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गढ़वाल रेजिमेंट का इतिहास/गढ़वाल राइफल्स की स्थापना

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गढ़वाल रेजिमेंट के बारे में पूरी जानकरी ...................... गढ़वाल राइफल,, गढ़वाल रेजिमेंट भारत की एक जानी मानी और गौरव शाली इतिहास वाली पलटन है इज फौजीनाम की इस कड़ी में आपको गढ़वाल राइफल के बारे में जानकारी दूंगा गढ़वाल राइफल भारतीय थल सेना की एक इन्फेंट्री बटालियन है,गढ़वाल राइफल की स्थापना सन् 1887 में हुई थी, सन 1887 गढ़वाल राइफल्स की स्थापना से पहले गढ़वाली युवकों को गोरखा रेजिमेंट में भर्ती किया जाता था,गोरखा रेजिमेंट के साथ गढ़वालियो ने अपनी वीरता और ईमानदारी से अपना लोहा मनवाया,,जिसके कारण 1886 में लाट सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी और फील्ड मार्शल एफ एस राबर्ट्स (वीसी) के अथक प्रयासों के कारण गढ़वाल राइफल्स की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया, लाट सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी को ही गढ़वाल राइफल का संथापक माना जाता है,, लाट सूबेदार लभद्रसिंह नेगी ने फील्ड मार्शल एफ एस राबर्ट्स के साथ बहुत समय तक ड्यूटी की थी ,,और अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया था,,फील्ड मार्शल एफ एस राबर्ट्स लाट सुबेदार बलभद्र नेगी के वीरता,ईमानदारी,,और युद्ध कौशल के कायल थे,,फील्ड मार्शल एफ

कौन थे लाचित बोड़फुकन? Lachit Borphukan | Battle of Saraighat

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लाचित बोड़फुकन (एक महान योद्धा) Image source wikipedia आप सब भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास से तो अच्छी तरह परिचित हैं, और आप सब से नेशनल डिफेंस एकेडमी का नाम भी सुना होगा, और नेशनल डिफेंस एकेडमी के बारे में जानते भी होंगे, अगर नहीं पता हो तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको उसके बारे में थोड़ा बताता हूं।   नेशनल डिफेंस एकेडमी (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) भारतीय सेना का एक संयुक्त संस्थान है, यहां पर तीनों सेनाओं थल सेना वायु सेना और नौसेना के कैडेट्स को संयुक्त रूप से प्रशिक्षण किया जाता है, यह संस्थान महाराष्ट्र के पुणे के -करीब खडगवासला में स्थित है। नेशनल डिफेंस एकेडमी में चलने वाली ट्रेनिंग (प्रशिक्षण) में बेस्ट कैडेट को एक गोल्ड मेडल दिया जाता है, क्या आपको पता है कि उस गोल्ड मेडल का नाम क्या है ???  उस गोल्ड मेडल का नाम हैं "" लाचित बोडफुकन "" अब आप सब सोच रहे होंगे कि ये कैसा नाम है गोल्ड मेडल का? तो आज हम जानेंगे की गोल्ड मेडल का नाम "लाचित बोडफुकन" कैसे पड़ा, और कौन था ये लाचित बोडफुकन।  ; लाचित बोड़फुकन आहोम साम्राज्य के एक सेनापति थे, आहोंम आज के आसाम का