हवलदार पिंकू कुमार शौर्य चक्र की जीवन गाथा

हवलदार पिंकू कुमार .......,,हवलदार पिंकू कुमार शौर्य चक्र की जीवन गाथा
हवलदार पिंकू कुमार शौर्य चक्र
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जिंदगी में पैसा तो लगभग सब कमा लेते है,लेकिन नाम कुछ ही लोग कमा पाते है,एक सैनिक को नाम कमाना ही सिखाया जाता है,सैनिक के अंदर ट्रेनिंग के दौरान ही नाम, नमक ,और निशान के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा कूट कूट के भरा जाता हैं,सैनिक के लिए सबसे पहले उसका कर्तव्य होता है।और उस कर्तव्य को पूरा करने के लिए वह हस्ते हुए अपने प्राणों तक भी कुर्बान कर देता है,आज इस कड़ी में एक और वीर सैनिक की वीरता से भरी छोटी लेकिन यादगार और प्रेणादायक जीवन गाथा!

शुरुवाती जीवन

हवलदार पिंकू कुमार का जन्म सन 1982 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के लाहौरी गांव में हुआ था,इनके पिता का नाम श्री जबर सिंह और माता का नाम श्रीमती कमलेश देवी था,हवलदार पिंकू कुमार की शुरवाती पढ़ाई गांव में ही पूरी हुई, हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद 18 साल की आयु में भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में भर्ती हो गए,बेसिक ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इनको 6 जाट रेजीमेंट में नियुक्त किया गया, इसके बाद इन्होंने अगल अगल स्थानों पर ड्यूटी की ,, सन 2005 में हवलदार पिंकू कुमार ने श्रीमती कविता से शादी कर ली,जिससे उनको 2 बेटियां और एक बेटे की प्राप्ति हुई,हवलदार पिंकू की बड़ी बेटी 10 साल की है जिनका नाम अंजली है ,दूसरी बेटी 8 साल की है जिनका नाम शेली हैं,और एक 9 महीने का बेटा जिसका नाम अर्णव है,
6 जाट रेजीमेंट में अपनी सेवाएं देते हुई पिंकू कुमार ने बहुत ही अच्छा कार्य किया ,वे एक अनुशासित और बहादुर सैनिक के रूप में निखर कर सामने आए।इस दौरान वे सिपाई से नायक और उसके बाद हवलदार के पद पर पदोनित्त किए गए। सन 2020 में हवलदार पिंकू कुमार को 34 राष्ट्रीय राइफल्स में स्थांतरित किया गया,34 आरआर जम्मू कश्मीर के शोपिया में आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगी हुई थी,


शोपियां ऑपरेशन: 27 मार्च 2021।
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34 rr कश्मीर के शोपिया जिले में तैनाद थी,, यहां पर सीमा पार से आतंकी लगातार घुसपैठ की फिराक में रहते थे,34 आरआर को सेना के गुप्त विभाग से इनपुट मिली थी की शोपिया के वांगम इलाके में कुछ कट्टर आतंकी छुपे हुए है,27 मार्च 2021 को 34 rr ने आतंकियों को निपटाने के लिए एक तलाशी अभियान शुरू किया,आतंकी गांव के किसी घर में शरण लिए हुए थे।हवलदार पिंकू कुमार भी इसी दल का हिस्सा थे,हवलदार पिंकू कुमार ने घर के बिलकुल नजीदक जा कर घर से निकले वाले रास्ते को नजर बंध कर दिया,उनके साथ उनका और साथी सिपाही सुशील राठी भी था, रात के तकरीबन 2 बजे आतंकी लक्षित घर से बाहर निकले और अंधा धुंध फायरिंग,और ग्रेनेड फेकते हुए वहा से भाग निकलने की कोशिश करने लगे।हवलदार पिंकू कुमार ने आतंकियों के फायर का जवाब फायर से दिया ।हवलदार पिंकू कुमार ने अदभुत वीरता का परदर्शन करते हुए एक कट्टर आतंकी को वही मौके पर ही ढेर कर दिया,
लेकिन दूसरा आतंकी भाग कर वही घर के पीछे छुप गया,
हवलदार पिंकू कुमार ने अपनी जान की परवाह न करते हुए ,दूसरे आतंकी के नजदीक जा कर उस पर गोला बारी शुरू कर दी,दोनो तरफ से चली इस गोला बारी में हवलदार पिंकू कुमार ने दूसरे आतंकी को भी भी ढेर कर दिया,परंतु दोनो तरफ से गोला बारी के दौरान एक गोली हवलदार पिंकू से सर में भी लग गई,जिसके कारण हवलदार पिंकू कुमार वीर गति को प्राप्त हुए,हवलदार पिंकू कुमार ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया,हवलदार पिंकू कुमार एक कर्तव्य निस्ठ और बहादुर सैनिक थे,
26 जनवरी 2022 को भारत के राष्ट्र पति द्वारा हवलदार पिंकू कुमार को उनकी असीम वीरता ,कर्तव्य के प्रति समर्पण,और सर्वोच्च बलिदान के लिए शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया,
तो दोस्तो मेरे भाइयों इस प्रकार भारत मां का एक और लाल अपनी कुर्बानी दे गया ,और ऋणी कर गया हम सब को,हम सब भारत वासियों को हवलदार पिंकू कुमार के बलिदान पर हमेशा गर्व रहेगा ,जय हिंद
हवलदार पिंकू कुमार (शौर्य चक्र) अपने पीछे अपनी पति ,दो बेटियां ,और एक 9 माह का पुत्र छोड़ गए है

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