परम वीर चक्र विजेता-मेजर पीरू सिंह| Biography Of Piru Singh Parm Veer Chakr Vijeta In Hindi
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत (परमवीर चक्र)
Image source Google |
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत ने 1947-48 के भारत पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस,का प्रदर्शन किया था
उन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह जम्मू कश्मीर के तिथवाल में दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।इस युद्ध में उत्कृष्ट वीरता,अदम्य साहस,और सर्वोच्च बलिदान के लिए
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह को परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया.
उन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह जम्मू कश्मीर के तिथवाल में दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।इस युद्ध में उत्कृष्ट वीरता,अदम्य साहस,और सर्वोच्च बलिदान के लिए
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह को परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया.
shuruwati jiwan ,,......
पीरू सिंह शेखावत का जन्म 20 मई 1918 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बेरी गाव में हुआ था।इनके पिता का नाम श्री लाल सिंह शेखावत था,पीरू सिंह शेखावत के तीन भाई और चार बहनें थीं ,जिसमें पीरू सिंह सबसे छोटे थे,इनके माता पिता खेती बाड़ी का काम करते थे,पीरू सिंह का मन पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता था,एक बार स्कूल में शिक्षक द्वारा डांटने पर पीरु सिंह स्कूल से भाग गए,और फिर कभी स्कूल नहीं गए,वे घर पर ही अपने पिता के साथ खेती के काम में हाथ बटाने लगे,
पीरू सिंह की खेल खुद में काफी रुचि थी,वे सेना में भर्ती होना चाहते थे,वे दो बार सेना में भर्ती होने के लिए गए परन्तु उम्र कम होने के कारण उनको बाहर कर दिया गया,
पीरू सिंह की खेल खुद में काफी रुचि थी,वे सेना में भर्ती होना चाहते थे,वे दो बार सेना में भर्ती होने के लिए गए परन्तु उम्र कम होने के कारण उनको बाहर कर दिया गया,
20 मई 1936 को पीरू सिंह पंजाब रेजीमेंट में भर्ती हो गए और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इनको 01 मई 1937 को 05वी पंजाब रेजीमेंट में तैनात किया गया,बचपन में पढ़ाई से नफरत होने के बावजूद पीरू सिंह ने सेना में शिक्षा को गम्भीरता से लिया और सेना से शिक्षा प्रमाण पत्र प्राप्त किया,07 अगस्त 1940 को पीरू सिंह को लांस नायक के पद पर पदोन्नत किया गया,और मार्च 1941को नायक के पद पर नियुक्त किया गया, इसके बाद पीरू सिंह को पंजाब रेजीमेंट सेंटर में प्रशिक्षक(उस्ताद)के रूप में तैनात किया गया,पीरू सिंह एक बहुत अच्छे खिलाड़ी थे,उन्होंने हाकी ,क्रॉस कंट्री,बास्केटबॉल की अंतर रेजिमेंटल और राष्ट्रीय स्तर के खेलो में अपनी रेजीमेंट का नेतृत्व किया था, पीरू सिंह को 1942 में हवलदार और 1945 में कंपनी हवलदार मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया,1945 तक इन्होंने सेंटर में ही अपनी सेवाएं दी,उसके बाद इनको जापान भेजा गया,और वहा से आने के बाद पीरू सिंह को राजपूताना राइफल्स की छठी बटालियन में तैनात किया गया
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947
18 जुलाई 1948 को 6 राजपूताना राइफल्स को आदेश मिला की जम्मू कश्मीर केतिथवाल में एक दुश्मन की पोस्ट पर कब्जा करना है जो की एक ऊंची पहाड़ी पर थे,6 राजपूताना के कामंडिंग ऑफिसर ने ये कार्य कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत की डेल्टा कंपनी को सौंपा,डेल्टा कंपनी शत्रु पर राजपुताना रायफल्स के जोशीले युद्धघोष ” राजा रामचंद्र की जय”का युद्धघोष करते हुए टूट पड़े ,परन्तु शत्रु ऊंचाई पर स्थित था,उन्होंने भारतीय सैनिकों पर एम एम जी से भारी गोला बारी की और उनके ऊपर ग्रेनेड फेंके,जिसकी वजह से कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह के साथी सैनिक घायल हो गए और कई शहीद हो गए, पीरू सिंह ने अपने बचे हुऐ जवानों को युद्ध के लिए प्रेरित किया और उनका हौसला बढ़ाया,खुद घ्याल होने के बावजूद पीरू सिंह ने दुश्मन के दो बंकरो को बर्बाद कर दिया जहां से दुश्मन एम एम जी का लगातार फायर कर रहा था ।तभी वो एक ग्रेनेड की चपेट में आ गए और बुरी तरह से घायल हो गए,लेकिन घायल होने पर भी कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह ने हार नहीं मानी और वे खून से सने बदन में ही रेगते हुए आगे बढे और दुश्मनों के लिए काल बन गए , वे अपनी सगीन से शत्रुओं को मौत के घाट उतारने लगे,तभी अचानक एक गोली उनके सर पर आकर लगी ,और वे नीचे गिर गए ,लेकिन गिरने से पहले कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह ने एक हथगोला दुश्मन की एम एम जी पोस्ट कि तरफ फेक दिया,इस प्रकार उन्होंने अंतिम सांस लेने से पहले शत्रु की पोस्ट को बर्बाद कर दिया था।इस प्रकार ये वीर सैनिक अपने खून की एक एक बूंद इस देश के नाम कर गया,और साथ ही ऋणी कर गया हम सब देश बसियो को ,हम सब देश वासी ऋणी है ऐसे वीर सैनिको के जिनके कारण हम आज आजाद हवा में सास ले रहे है।
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह को तिथवाल की इस लड़ाई में अदम्य साहस,कर्त्तव्यनिष्ठा ,उत्कृष्ट योगदान देने के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया,
जय हिन्द।
जय हिन्द।
0 टिप्पणियाँ