कर्नल आशुतोष शर्मा सेना मैडल (तीन बार)
""हिम्मत को परखने की गुस्ताखी मत करना पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूं""
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नेत्रत्व एक ऐसा कार्य है जो हर कोई नही कर सकता,,नेतृत्व क्षमता सिर्फ किसी विशेष सीट पर केवल बैठना ही नहीं बल्कि अपने साथ कार्य करने वाले साथियों की देख रेख करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना भी है,बॉस बनना भी आसन नहीं होता ,,मुश्किल समय में कोई निर्णय लेना,,ऑर्डर पास करना ,, उस आदेश का क्या इफेक्ट होगा ये सब देखना होता है ,,नेतृत्व एक कठिन आर्ट है जो हर कोई सही तरीके से नहीं निभा सकता है ,,हर कोई इस जिम्मेदारी को नही निभा सकता है,और प्रत्येक व्यक्ति में यह गुण नहीं होता ,आज इस कड़ी में आपके लिए एक सैन्य अधिकारी की जीवनी ले कर आया हु ,जिन्होंने अपने नेतृत्व के आधार पर अपनी एक अलग पहचान बनाई ,और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान भी दिया,
पारंभिक जीवन........image source googal
कर्नल आशुतोष शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के औरंगाबाद क्षेत्र के परवाना महमोदपुर गांव में 03 जुलाई सन 1975 में हुआ था, इनके पिता जी का नाम श्री शंभू दत्त पाठक और माता जी का नाम श्रीमती सुधा शर्मा है ,इनके पिता श्री शंभू दत्त पाठकउत्तर प्रदेश सरकार में मृदा संरक्षण अधिकारी थे,
कर्नल आशुतोष शर्मा ने अपनी पढ़ाई डीएवी कॉलेज बुलंदशहर से ही पूरी की ,वे भारतीय सेना में जाने के लिए उत्सुक थे ,,जिसके लिए स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने प्रयास शुरू कर दिए थे,इन्होंने लगभग 6 साल तक इसके लिए कोशिश की ,,कई बार प्रयास किया,,लेकिन उनका चयन INDIAN ARMY में नहीं हो रहा था,12 बार प्रयास करने के बाद उन्होंने एक बार और प्रयास किया और इस प्रयास में में ssb की परीक्षा पास करने में सफल रहे। वे 13 वे प्रयास में INDIAN ARMY में अधिकारी के लिए चुने गए,,ये उनकी मेहनत और हार न मानने की आदत को दर्शाता है, ओटीए चेन्नई (कोर्स नंबर एसएससी 72)में उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी की। 1 सितंबर 2001 में उनको 19 गार्ड बटालियन में बतौर लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया,,इसके बाद उन्होंने भारत के भिन्न भिन्न इलाको में अपनी ड्यूटी की,
जिसमे ज्यादातर कश्मीर का इलाका है,, सन 2018 और 2019 में इनको लागतार 2 बार वीरता पुरस्कार " सेना मेडल " से सम्मानित किया गया,2019 में कश्मीर में एक आतंकवादी विरोधी अभियान में इन्होंने एक आतंकी को बिलकुल पास जाकर मार गिराया था जो हाथ में ग्रेनेड लेकर सैन्य दल की तरफ भाग रहा था,
इस समय में 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर के पद पर तैनाद थे,, उनके कार्यकाल के दौरान 21 rr कश्मीर में आतंकियों के लिए काल बनी हुई थी ,उनके नेतृत्व में 21 आरआर ने कई आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था,,
आतंकी कर्नल आशुतोष शर्मा के नाम से खौफ खाते थे,
हंदवाड़ा ऑपरेशन 02 मई 2020.......
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30 अप्रैल 2020 को 21 आरआर को एक खुफिया जानकारी मिली थी जिसके अनुसार कश्मीर के हंदवाड़ा के पास चंगिमुल्ला गांव में कुछ आतंकी एक घर में छुपे हुए थे,और आतंकियों कुछ गांव के लोगो को बंधक बनाया हुआ था, कर्नल आशुतोष शर्मा ने jaamu कश्मीर पुलिस ,और सीआरपीएफ के साथ मिल कर कर एक सयुक्त अभियान शुरू किया,कर्नल आशुतोष खुद अपनी यूनिट की टीम को लीड कर रहे थे, अगर वे चाहते तो पीछे आराम से बैठ सकते थे,लेकिन वे एक बहादुर और कुशल अधिकारी थे इसीलिए उन्होंने खुद सर्च अभियान को लीड करने का फैसला किया ,,अभियान में जाने से पहले उनका व्हाट्स एप स्टेटस था ""हिम्मत को परखने की गुस्ताखी मत करना पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूं""और उन्होंने बबर शेर की फोटो लगाई हुई थी,
01 मई 2020 को तलाशी अभियान शुरू किया गया,
पूरे इलाके को घेर लिया गया ,कर्नल आशुतोष शर्मा अपनी qrt ke साथ सर्च करने लिए आगे बड़े,सर्च के दौरान आतंकियों को घर में छुपा पाया ,,आतंकियों ने अपने आप को घिरा देख कर कर गोला बारी शुरू kr दी,शुरुवाती गोलाबारी में कर्नल आशुतोष के नेतृत्व में उनके सैनिकों ने 2 आतंकियों को मार गिराया,और बंधक बनाए हुए लोकल लोगो को छुड़वाया, दोनो तरफ से चली इस भारी गोला बारी में कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश कुमार और लांस नायक दिनेश सिंह, जम्मू कश्मीर पुलिस सब इंस्पेक्टर शकील काजी गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ आतंकी अभी भी छुपे हुए थे ,अत्यधिक मात्रा में रक्त बह जाने और अपने घावों के कारण कर्नल आशुतोष शर्मा सहित सभी घायल सैनिकों ने 2 मई 2020 को मौके पर ही दम तोड दिया ,,इस अभियान में कर्नल आशुतोष शर्मा सहित सभी सैनिकों ने असीम वीरता और देश प्रेम का परिचय दिया,
इसके बाद सेना ने बचे हुए आतंकियों को भी मार गिराया ,,कर्नल आशुतोष शर्मा को 26 जनवरी 2021 को एक बार फिर से भारत सरकार के द्वारा वीरता पुरस्कार सेना मेडल से सम्मानित किया गया,कर्नल आशुतोष के परिवार में उनके माता ,पिता,पत्नी श्रीमती पल्लवी शर्मा और 12 साल की बेटी तमन्ना है ,
जय हिंद जय भारत
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ऐसे वीर और साहसी सैनिकों के लिए कहना चाहता हु,
पत्थर सा तन,खंजर सा मन
समर्पित जीवन हमारा परिचय,
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