आतंकियाें से लड़ते शहीद हुए कैप्टन आशुतोष कुमार शाैर्य चक्र की कहानी

 कैप्टन आशुतोष कुमार........SHOURYA CHAKRA

कैप्टन आशुतोष कुमार शाैर्य चक्र
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बहादुरी उम्र की मोहताज नहीं होती ,,बहादुरी तो किसी भी उम्र में दिखाई जा सकती है,मैने 18 साल के एक जवान को परमवीर चक्र लेते देखा है,मेरे ख्याल से एक सैनिक ही है जो बिना अपनी जान की परवाह करते हुए कही भी किसी भी हालात से निपटने के लिए राजी हो जाता है,,अगर आपको पता हो किसी घर के अंदर आतंकी छुपे है, और उनके पास भरी हथियार भी है ,तो यकीन मानिए आपको कोई कितने पैसे भी दे ,आप उस घर के अंदर तो क्या वहा नजदीक जाने से भी मना कर देंगे,अब कई मेरे बुद्धि जीवी मित्र बोलेंगे की ये तो सेना का काम है ,उनको करना पड़ेगा ,,तो उन सभी बुद्धि जीवी लोगो से मैं यही कहना चाहता हु की बाकी भी तो सरकारी कर्मचारी आपने देखें है,वो कितना काम करते है, चलो मेरा काम है अपने देश के असली हीरोज की जीवन गाथा आप लोगो तक पहुंचना,,आज इसी कड़ी में आपके सामने कैप्टन आशुतोष कुमार(शौर्य चक्र) की जीवनी ले कर आया हु ,


शुरुवाती जीवन.....:

कैप्टन आशुतोष कुमार(शौर्य चक्र) का जन्म बिहार के मधेपुरा जिले के परमपुर गांव में 15 अक्टूबर 1996 को हुआ,इनके पिता का नाम श्री रविन्द्र यादव और माता जी का नाम श्रीमती गीता देवी है, इनकी 2 बहने भी है जिनका नाम खुसबू ,और अंशु है,कैप्टन आशुतोष कुमार ने ओड़िशा के सैनिक स्कूल से पूरी की,सैनिक स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही उनका भारतीय सेना के प्रति लगाव बढ़ गया,सैनिक स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद सन् 2014 में उनका चयन नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA)में हो गया, INDIAN MILITARY ACADEMY देहरादून से अपनी ट्रेनिंग पूरी करने बाद जून 2018 में बतौर LIEUTENANT(लेफ्टिनेंट) पासआउट हुए।उनको 18 मद्रास रेजिमेंट में नियुक्त किया गया,। उस समय 18 मद्रास रेजिमेंट JAMMU KASHMIR में तैनाद थी,पहली पोस्टिंग कश्मीर में मिलने वे बहुत खुश थे,। उनको 18 मद्रास की घातक पलाटून(GHATAK) में जगह दी गई थी,

माछिल सेक्टर ऑपरेशन:
कैप्टन आशुतोष कुमार शाैर्य चक्र
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08 नवंबर 2020 को कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में आतंकियों के घुसपैठ की खबर थी,कुछ आतंकी लाइन ऑफ कंट्रोल से फायर की आड़ में अंदर आ घुसे थे ,,उनको पकड़ने के लिए कैप्टन आशुतोष कुमार अपने दल से साथ निकल पड़े थे, कैप्टन आशुतोष कुमार और उनके दल का आतंकियों से आमना सामना हो गया,दोनो तरफ से भारी गोला बारी शुरू हो गई ,कुछ देर तक गोला बारी चली लेकिन आतंकी इनकी संख्या 3 से 4 थी ,,वो घने जंगलों का फायदा उठा कर मौके से फरार हो गए,कैप्टन आशुतोष ने अपने दल को उनका पीछा करने के लिए प्रेरित किया,और कुछ घंटों के तलाशी के बाद ATANKI फिर से पकड़ में आ गए,कैप्टन आशुतोष और उनके दल ने आतंकियों पर गोलियां चलाई ,,दोनो तरफ से चली इस गोला बारी में 3 कट्टर आतंकी मौके पर ही ढेर हो गए,
परंतु इस भारी गोलाबारी में कैप्टन आशुतोष और उनके चार साथियों को भी गोली लग गई थी,,
जिसके बाद कैप्टन आशुतोष कुमार और उनके दल के दो और सैनिकों हवलदार प्रवीण कुमार और राइफलमैन रियादा महेश्वर ने अत्यधिक मात्रा में रक्त बह जाने ,और अपने घावों के कारण दम तोड़ दिया ,इस प्रकार भारत मां के 3 और लाल अपने प्राणों की बाजी लगा गए और शहीद हो गए। कैप्टन आशुतोष कुमार को उनके नेतृत्व क्षमता,कुशल रण कोशल, अदम्य साहस और देश प्रेम के शौर्य चक्र (POSTHUMOUS) से सम्मानित किया गया,
तो साथियों इस प्रकार हमारे सैनिक हमारे लिए रोज़ कुर्बानी देते है,,हम है की हमे कोई फर्क ही nhi पड़ता,,हमारे देश में 90 % लोगों को तो पता ही नही चलता ,की क्या हुआ है,,आप इजराइल जैसे मुल्कों को देख लो वहा पर सैनिकों के बारे में स्कूलों में पढ़ाया जाता है,,आप लोगो को जानकर ताज्जुब होगा की इजराइल के स्कूलों में भारतीय सैनिकों की वीरता का पाठ भी पढ़ाया जाता है,
और एक हमारे देश के युवा है जो गूगल पे उल्टी पलटी चीज़े ही सर्च करते है,,, चलो मुझे इससे क्या करना ,,मेरी तो कोशिश है कि """मेरे सीने में न सही तेरे सीने में ही,,लेकिन ये आग जलनी चाहिए,,
जय हिंद जय भारत❤️




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