एक सैनिक जिसने अपनी खुखरी से अपना ही पैर काट दिया पढ़िए जनरल इयान कार्डोज़ो की अद्भुत कहानी

Ian Cardozo, who amputated his own leg on the battlefield


Ian Cardozo
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 मेजर जनरल इयान कार्डोजो INDIAN ARMY के पहले अधिकारी हैं,जिनका एक पैर कट जाने के बाद भी उनका प्रमोशन हुआ है और वे मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं,एक पैर कट गया ,,ये पैर उन्होंने खुद अपने हाथ से काटा था,आप सोच रहे होंगे कि खुद अपना पैर क्यों काट दिया उन्होंने,तो  पढ़ते है  ,वो कहते हैं ना ""पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती हैं ,इयान कार्डोजो पहले सैन्य अधिकारी हैं जिन्होंने अपंग(एक टांग नकली ) होने के बावजूद भी एक बटालियन और एक ब्रिगेड को कमांड किया था,
Ian Cardozo
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शुरुवाती जीवन,

                     इयान कार्डोजो का जन्म सना 1937 में बम्बई (मुंबई) महाराष्ट्र में हुआ था,इनके पिता का नाम विन्सेन्ट कार्डोज़ो और माता का नाम डायना कार्डोजो था,
इयान कार्डोजो जी की शुरुवाती शिक्षा संत जेवियर कॉलेज,बम्बई से हुई,12 क्लास पास करने के बाद इयान कार्डोजो जी ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA)की परिक्षा उत्तीर्ण की और इंडियन मिलिट्री अकादमी की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इयान कार्डोजो को 1/5 गोरखा राइफल्स(फ्रंटियर फोर्स) में बतौर सैकंड लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया,इयान कार्डोजो नेशनल डिफेंस एकेडमी में गोल्ड और सिल्वर मेडल प्राप्त करने वाले पहले कैडेट थे,कुछ समय  1/5 गोरखा राइफल्स(फ्रंटियर फोर्स) में सेवा देने के बाद इनको 4/5 गोरखा राइफल्स में स्थानांतरित किया गया,इयान कार्डोजो ने 1965 में भारत पाकिस्तान के युद्ध में भाग लिया ,और बहुत ही बहादुरी से कार्य किया,,

इयान कार्डोजो
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1971 INDIA PAKISTAN WAR 

                                                   1971 के युद्ध की घोषणा हो चुकी थी,उस समय  मेजर इयान कार्डोजो डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन से स्टाफ कोर्स कर रहे थे,और उनकी बटालियन 4/5 गोरखा राइफल,पूर्वी मोर्चे पर तैनात थी,युद्ध के शुरवात में ही 4/5 GORKHA RAIFALES के सैकंड इन कमांड (2ic)वीरगति को प्राप्त हो गए थे ,मेजर इयान कार्डोजो को 4/5 गोरखा राइफल्स के सैकंड इन कमांड (2ic) का चार्ज लेने का आदेश मिल गया था,मेजर इयान कार्डोजो समय पर अपनी यूनिट में पहुंच गए थे,उनको और उनके साथियों को हेलीकॉप्टर की मदद से ड्रॉप किया जाना था,इस युद्ध में 4/5 गोरखा राइफल्स पहली यूनिट थी जिसको हेलीकॉप्टर की मदद से सिलहट नामक जगह पर ड्रॉप किया जा रहा था,मेजर इयान कार्डोजो के नाम का उच्चारण करना मुश्किल था इसलिए उनके साथी उनको कारतूस साहब नाम से पुकारते थे, 4/5 गोरखा राइफल्स को सिलहट के पास अटगाम नामक जगह को कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी,
सिलहट का युद्ध शुरू हो गया था,9 दिन और 9 रात तक वे मोर्चे पर डटे रहे,गोला बारूद की कमी ,और कम राशन में भी मेजर इयान कार्डोजो  और उनके साथियों ने पाकिस्तानी सेना से लोहा लिया,
4/5 गोरखा राइफल्स से कई जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे,पाकिस्तानी सेना आत्म समर्पण के लिए तैयार हो गई थी,इसी बीच मेजर का पैर एक माइन के ऊपर पड गया  और एक जोरदार धमाके के साथ वे काफी दूर जा गिरे उनका बायां पैर माइन के धमाके से उड गया था,वे बुरी तरह से जख्मी हो गए थे,उनको तुरंत नजदीकी मेडिकल शिवर में ये जाया गया,वहा पर संसाधन सीमित थे ,मेजर ने
 नर्सिंग स्टाफ से मार्फिन कि मांग की,मगर वहां पर मार्फिन मौजूद नहीं था,ना ही दवाई,,मेजर इयान कार्डोजो ने उनसे कहा आप मेरा पैर काट सकते हैं"",डॉक्टर ने कहा मेरे पास कोई साधन नहीं है,
   मेजर इयान कार्डोजो ने अपनी खूखुरी मांगी और उन्होंने उससे कहा मेरा पैर काट दो ,,उसने ऐसा करने से मना कर दिया,तब मेजर इयान कार्डोजो ने खुद ही अपनी खुखरी से अपने पैर के संक्रमित हिस्से को काट दिया,उसके बाद उनके कटे हुए पैर को वहीं पर दबा दिया गया,और पाकिस्तानी डॉक्टर  जो की एक युद्ध बंदी थे ,उन्होंने मेजर के पैर का ऑपरेशन किया।भारत पाकिस्तान युद्ध समाप्त हो चुका था,पकिस्तान की सेना ने आत्म समर्पण कर दिया था,और एक इस युद्ध के बाद के एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हो गया था,।
इयान कार्डोजो
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युद्ध समाप्त होने के बाद मेजर इयान कार्डोजो का मिलिट्री हॉस्पिटल में इलाज किया गया और उनके बाएं पैर में एक लकड़ी का पैर लगाया गया,
                                    INDIAN ARMY  में अगर  किसी सैनिक का कोई अंग कट जाता हैं तो उसको सेना से मेडिकल कैटेगरी दे कर सर्विस से डिस्चार्ज कर दिया जाता हैं।
                                      लेकिन MEJOR Ian Cardozo
 को यह मंजूर नहीं था,उनके इरादे कुछ और ही थे,मेजर ने अपने पैर की तरफ ध्यान दिया और बहुत मेहनत की,उन्होंने सुबह सुबह दौड़ना शुरू किया,उन्होंने नकली पैर होने के बावजूद दौड़ में अपने साथियों को पीछे छोड़ा,

उन्होंने तत्कालीन चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल रैना से कहा मैंने स्टाफ कोर्स पास किया ,और मैं अपनी रेजिमेंट को कमांड करना चाहता हूं,मेरा एक पैर नकली है लेकिन मैं किसी भी दो पैर वाले सैनिक से किसी भी चीज में पीछे नहीं हूं,तब जनरल रैना ने उनसे कहा """ आप यह साबित करे,की आप किसी भी फौजी कार्यवाही में पीछे नहीं हैं""
उनका बैटल फीजीकल इफिसेनसी टेस्ट लिया गया(BPET) लिया गया ,जिसमें उन्होंने 07 ऑफिसर जिनके दोनों पैर सही थे उनको पीछे छोड़ दिया,और उन्होंने लेह में 4800फीट की एक चोटी पर चड़ाई की,उनके इस हौसले और जोश को देखते हुए उनको कमांडिंग ऑफिसर बनाया गया,वह पहले विकलांग अधिकारी थे ,जिनको एक पैदल सेना बटालियन(INFANTRY BATALION) और ब्रिगेड की कमान संभालने का मौका मिला था,
इयान कार्डोजो
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इयान कार्डोजो ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, मजबूत इरादे,
और कठिन परिश्रम से सेना में अपने सफ़र को जारी रखा,और साथ ही युद्ध में विकलांग होने वाले और सैनिकों और अधिकारियों के लिए भी आगे के लिए रास्ता खोल दिया,वे  सन् 1993 में मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए,
1971 के युद्ध में उनके योगदान के लिए उनको सना मेडल से सम्मानित किया गया,मेजर जनरल इयान कार्डोजो को अति विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया,
मेजर जनरल इयान कार्डोजो के इस हौसले और दृढ़ संकल्प को हम सलाम करते हैं,और इनके जीवन से सबको शिक्षा लेनी चाहिए,इनके जीवन पर एक फिल्म भी बनी है जिसका नाम गोरखा है ,अक्षय कुमार ने इनके जीवन का किरदार निभाया है .


तन समर्पित , मन समर्पित,और यह जीवन समर्पित,लेकिन फिर भी सोचता हूं मेरे देश तुझे और कुछ भी दू,,,,, जय हिंद

          













  

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