मेजर विवेक गुप्ता महावीर चक्र[मरणोपरांत] की जीवनी
सन्1999 के कारगिल युद्ध में भारत के वीरों ने अपनी वीरता का परिचय दिया है ,दुश्मन की सेना ने भी भारतीय सेना की वीरता का लोहा माना था, इस युद्ध में कई जवान वीरगति को प्राप्त हुए,हमारे देश भारत में देश की सेवा करने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है,देश की लिए कुछ करने का मौका किसी किसी को ही मिल पाता हैं,बहुत नसीब वाले होते हैं वे लोग जिनको देश अपने राष्ट्र के लिए अपना रक्त बहाने का मौका मिलता हैं,आज कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले मेजर विवेक गुप्ता (महावीर चक्र)की वीर गाथा पढ़ते है
हवलदार अनिल कुमार तोमर शौर्य चक्र |
हवलदार हंगपन दादा,(अशोक चक्र) |
मेजर शैतान सिंह मराठी माहिती |
हाइफा का युद्ध |
बाना सिंह |
हरियाणा में कौन परमवीर चक्र विजेता है |
शुरुवाती जीवन
मेजर विवेक गुप्ता का जन्म 02 जनवरी 1970 में उत्तराखंड के देहरादून जिले में हुआ था,इनके पिता का नाम कर्नल बीआरएस गुप्ता था, घर में अनुशासन और सैनिक माहौल होने के कारण विवेक गुप्ता ने भी भारतीय सेना में शामिल होने और देश सेवा करने का फैसला किया,कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका चयन भारतीय सेना के लिए हो गया ,और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 13 जून 1992 में विवेक गुप्ता को 2 राजपूताना राइफल्स में बतौर सैकंड लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया,1997 में मेजर विवेक गुप्ता ने राजश्री बिष्ट से शादी कर ली ,राजश्री बिष्ट भी सेना की मेडिकल कोर में अधिकारी थी,
सैनिक जीवन
मेजर विवेक गुप्ता एक अनुशासित,समर्पित,और बहादुर सैन्य ऑफिसर थे, इस बीच उनकी नियुक्ति जम्मू कश्मीर में भी हुई,मेजर विवेक गुता ने यहां पर एक आतंकवादी विरोधी अभियान में हिस्सा लेते हुए एक आतंकी को मार गिराया था ,जिसके लिए इनको "चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ"प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था,इसके बाद मेजर की पोस्टिंग महू के वैपन स्कूल में हुई,
1999 का कारगिल युद्ध
पाकिस्तानी सेना ने भारत की कुछ चौकियों पर धौखे से कब्जा कर लिया था,उनको वापस खदेड़ने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय नाम से एक अभियान चलाया,इसी अभियान को पूरा करने की लिए 02 राजपूताना राइफल्स को भी कारगिल कूच करने का हुक्म मिल चुका था,,कारगिल पहुचनें के बाद02 राजपूताना राइफल्स को तोलोलिंग की पहाड़ी से दुश्मन को मार भागने का जिम्मा सौंपा गया था,तोलोलिंग पहाड़ी पर कब्जा करना भारतीय सेना के लिए बहुत जरूरी था,क्युकीतोलोलिंग से लेह श्रीनगर हाई वे को आसानी से निशाना बनाया जा सकता था,जिससे भारतीय सेना को अपनी मूवमेंट करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था,
2 राजपूताना राइफल्स ने अपने एक दल को प्वाइंट 4590 पर हमला करने के लिए तैयार किया,मेजर विवेक गुप्ता इसी दल का हिस्सा थे,13 जून1999 को 2 राजपूताना राइफल्स की चार्ली कंपनी मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में तोलोलिंग पर कब्जा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ गई थी,,तोलोलिंग पर कब्जा करना आसान नहीं था ,दुश्मन ऊंचाई पर मौजूद था,और उसने सभी आने वाले रास्तों पर स्वचालित हथियार, लगा रखे थे। दुश्मन ऊपर से पत्थर भी फेंकता तो उससे भी भारतीय सैनिक घायल हो जाते थे,
मेजर विवेक गुप्ता अपने दल के साथ तोलोलिंग की तरफ आगे बढ़ रहे थे,उनका दल तोलोलिंग के बहुत करीब जा पहुंचा था।दुश्मन उनके ऊपर लगातार नजर बनाए हुए था,जब मेजर विवेक गुप्ता का दल उनकी फायर रेंज में आ गया तब पाकिस्तानी सेना ने भारी हथियारों से इनके दल पर भारी गोला बारी शुरू कर दी,इस भारी गोला बारी में मेजर विवेक गुप्ता को गोली लग गई और वे बुरी तरह से घायल हो गए,मेजर विवेक गुप्ता ने वीरगति प्राप्त करने से पहले तीन पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया ,इनके नेतृव में चार्ली कंपनी ने 02 चौकियों पर कब्जा कर लिया था,अत्यधिक मात्रा में रक्त बह जाने के कारण वे वीरगति को प्राप्त हो गए,मेजर विवेक गुप्ता की शहादत की खबर सुन कर इनकी सैन्य टुकड़ी बदले के भाव से भर गई,और वे "राजा रामचन्द्र की जय" का युद्ध घोष करते हुए दुश्मनों पर टूट पड़े,और तोलोलिंग से दुश्मन सेना को मार भगाया,और आखिरकार तोलोलिंग पर भारतीय सेना का कब्जा हो गया,परन्तु इसके लिए 2 राजपूताना राइफल्स को बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ी,उनके कई जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे,मेजर विवेक गुप्ता ने इस अभियान में अदभुत नेतृत्व क्षमता,अदम्य साहस,और निस्वार्थ भाव से देश प्रेम की भावना का परिचय दिया,जिसके लिए भारत सरकार द्वारा इनको वीरता के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, मेजर विवेक गुप्ता 13 जून 1992 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे और ठीक 7 साल बाद 13 जून 1999 में वे देश के लिए वीरगति को प्राप्त हुए, 2 दिन बाद जब इनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया तो उस समय इन पत्नी कैप्टन राजश्री बिष्ट ने इनको आखरी सैल्यूट दिया था,वे सेना की ड्रेस में ही थी ,इस तस्वीर को देखकर पूरे भारत की आंखो में आंसु आ गए थे,
2 राजपूताना राइफल्स ने अपने एक दल को प्वाइंट 4590 पर हमला करने के लिए तैयार किया,मेजर विवेक गुप्ता इसी दल का हिस्सा थे,13 जून1999 को 2 राजपूताना राइफल्स की चार्ली कंपनी मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में तोलोलिंग पर कब्जा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ गई थी,,तोलोलिंग पर कब्जा करना आसान नहीं था ,दुश्मन ऊंचाई पर मौजूद था,और उसने सभी आने वाले रास्तों पर स्वचालित हथियार, लगा रखे थे। दुश्मन ऊपर से पत्थर भी फेंकता तो उससे भी भारतीय सैनिक घायल हो जाते थे,
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मेजर विवेक गुप्ता अपने दल के साथ तोलोलिंग की तरफ आगे बढ़ रहे थे,उनका दल तोलोलिंग के बहुत करीब जा पहुंचा था।दुश्मन उनके ऊपर लगातार नजर बनाए हुए था,जब मेजर विवेक गुप्ता का दल उनकी फायर रेंज में आ गया तब पाकिस्तानी सेना ने भारी हथियारों से इनके दल पर भारी गोला बारी शुरू कर दी,इस भारी गोला बारी में मेजर विवेक गुप्ता को गोली लग गई और वे बुरी तरह से घायल हो गए,मेजर विवेक गुप्ता ने वीरगति प्राप्त करने से पहले तीन पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया ,इनके नेतृव में चार्ली कंपनी ने 02 चौकियों पर कब्जा कर लिया था,अत्यधिक मात्रा में रक्त बह जाने के कारण वे वीरगति को प्राप्त हो गए,मेजर विवेक गुप्ता की शहादत की खबर सुन कर इनकी सैन्य टुकड़ी बदले के भाव से भर गई,और वे "राजा रामचन्द्र की जय" का युद्ध घोष करते हुए दुश्मनों पर टूट पड़े,और तोलोलिंग से दुश्मन सेना को मार भगाया,और आखिरकार तोलोलिंग पर भारतीय सेना का कब्जा हो गया,परन्तु इसके लिए 2 राजपूताना राइफल्स को बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ी,उनके कई जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे,मेजर विवेक गुप्ता ने इस अभियान में अदभुत नेतृत्व क्षमता,अदम्य साहस,और निस्वार्थ भाव से देश प्रेम की भावना का परिचय दिया,जिसके लिए भारत सरकार द्वारा इनको वीरता के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, मेजर विवेक गुप्ता 13 जून 1992 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे और ठीक 7 साल बाद 13 जून 1999 में वे देश के लिए वीरगति को प्राप्त हुए, 2 दिन बाद जब इनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया तो उस समय इन पत्नी कैप्टन राजश्री बिष्ट ने इनको आखरी सैल्यूट दिया था,वे सेना की ड्रेस में ही थी ,इस तस्वीर को देखकर पूरे भारत की आंखो में आंसु आ गए थे,
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तत्कालीन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान श्री कपिल देव ने जब इस तस्वीर को टीवी पर देखा तो वे भी अपने आंसुओं कि नहीं रोक पाए,और उन्होंने उस समय चल रहे भारत पाकिस्तान क्रिकेट मैच को रद्द करने की बात कही।मेजर विवेक गुप्ता के इस बलिदान को देश कभी नहीं भूलेगा,और हमारी आने वाली पीढ़ियां उनकी बहादुरी से हमेशा प्रेरित होती रहेंगी,।जय हिन्द जय भारत!!!!!
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