ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान {MAHAVIR CHAKRA },JIWANI,BIO,KAHANI I HINDI
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जात न पूछो सैनिक की ;चाहे ले लो जान ।;वैसे तो हमारा समाज कई धर्मो में बटा हुआ है ,अगर आप किसी से पूछे आप क्या है तो वो आपको बोलेगा मैं हिंदू हूं ,कोई बोलेगा मैं मुस्लिम हू,कोई बोलेगा मैं ईसाई हू ,इसी प्रकार सभी अपना अपना धर्म ही बताएंगे,लेकिन अगर आप एक भारतीय सेना के सैनिक से पूछेंगे तो वो आपको ये नहीं बोलेगा की मैं फलाना सिंह हूं ,वो बोलेगा की मैं एक सैनिक हू।हमारे समाज में कुछ असामजिक तत्व हिंदू मुस्लिम को आपस में लड़ाने की कोशिश करते रहते है,लेकिन समय आने पर हमारे मुस्लिम सैनिकों ने भी हंसते हस्ते अपनी जान कुर्बान की है भारत देश के लिए,
आज एक ऐसे ही सैनिक के बारे में लिखने जा रहा हु ;जिन्होंने इस देश के लिये अपनी जान को कुर्बान कर दिया ;उनका नाम था BRIGADIER MOHAMMAD USMAN MAHAVIR CHAKRA;इन्होने सन 1947 में भारत पकिस्तान युद्ध में असीम वीरता और देशप्रेम का परिचय दिया था ,सन 1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के समय इन्होने पाकिस्तान जाने से मना कर दिया था;पाकिस्तान की तरफ से इनको पाकिस्तानी सेना का जनरल बनाये जाने की पेशकस भी की गई थी ;लेकिन ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने पाकिस्तान का यह ऑफर ठुकरा दिया था ;इनको नौशेरा का शेर भी कहा जाता था ,और वे ऐसे एकमात्र सैनिक है जिनके उपर पाकिस्तान ने 50000 का इनाम रखा था 1948 के INDIA PAKISTAN WAR में इन्होने असीम वीरता द्देश्प्रेम और अद्भुत नेत्रत्व छमता का परिचय दिया था ,और 1948 के इसी युद्ध में इनको मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया ,
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान {MAHAVIR CHAKRA },JIWANI,BIO,KAHANI I HINDI
शुरुवाती जीवन ...........................
उस्मान का जन्म महु जिले के बीबीपुर ग़ाव में 15 जुलाई 1912 को हुआ था ,इनके पिता का नाम काजी मोहमद फारुक था , वह बनारस शहर के कोतवाल थे और अंग्रेज सरकार ने उनको खान बहादुर की उपाधि दे रखी थी उस्मान बचपन से बहादुर थे ,केवल 12 साल की आयु में इन्होने एक बच्चे को डूबने से बचाया था. इनके पिता चाहते थे किन उस्मान पुलिस में जाये ,लेकिन उस्मान को सेना में जाने का शौक था सन 1932 में वह इंग्लेंड गये और रॉयल मिलिट्री अकादमी के लिये आवेदन किया और प्रवेश परीक्षा पास कर ली।
सैन्य जीवन"""""""
सन 1935 में इंग्लैंड से वापसी के बाद इनको बलूच रेजीमेंट में नियुक्त किया गया।इसके बाद ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने सन 1944 में दूसरे विश्व युद्ध में भाग लिया । सन 1947 में भारत की आजादी के बाद बलूच रेजीमेंट पाकिस्तानी हिस्से में आई क्युकी बलूच रेजीमेंट में ज्यादातर ऑफिसर और जवान मुस्लिम थे,इसीलिए वे पाकिस्तान में शामिल हो रहे थे।ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान से भी पाकिस्तानी सेना में शामिल होने के लिए पेशकश की गई ।उनको PAK ARMY का सेना प्रमुख बनाने का भी आश्वासन दिया गया,लेकिन ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने पाकिस्तान का ऑफर ठुकरा दिया था,उनको अपनी मिट्टी से बहुत प्यार था ,जिसके कारण उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया,।आजादी के बाद इनको डोगरा रेजिमेंट में नियुक्त किया गया।1947 भारत पाकिस्तान युद्ध""""""
आजादी के तुरंत बाद ही पाकिस्तान ने INDIA के ऊपर हमला बोल दिया ,इस हमले का मकसद जम्मू काश्मीर रियासत को अपने कब्जे में लेना था,07 नवम्बर 1947 को पाकिस्तानी हमलावरों ने राजौरी पर कब्जा कर लिया ,जिसके कारण राजौरी के आस पास के इलाको में भी तनाव बढ़ने लगा था,24 दिसंबर 1947 कोPAKISTAN ARMY ने कबलियो के साथ मिल कर जम्मू इलाके के झंगर इलाके पर कब्जा कर लिया था,झंगर एक महत्वपूर्ण जगह थी।
BRIGADIER MOHAMMAD USMAN (MAHAVIR CHAKRA)को उस 50 वी पैरा ब्रिगेड की कमांड सौंपी गई ,ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने झंगर को पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाने के कसम खाई । उन्होंने प्रण लिया की जब तक वे झंगर को पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाने में कामयाब नही होते तब तक वे आरामदायक बिस्तर पर नहीं सोएंगे,वे उस दौरान जमीन पर चटाई बिछाकर सोते रहे। 06 फरवरी 1948 के सुबह की पहली किरण के साथ ही दुश्मन ने नौशेरा पर हमला बोल दिया था,कुछ इलाको में भारतीय सेना ने फिर से कब्जा कर लिया था,,16 मार्च 1948 को BRIGADIER MOHAMMAD USMAN ने झांगर पर कब्जा करने के लिए अपने सैनिकों को प्रेरित किया, उन्होंने अपने अपने सैनिकों को एकत्रित करके कहा ,""""""" मेरे वीर साथियों इस दुनिया में एक न एक दिन सबको मौत आनी है,और इससे गौरवशाली मौत और क्या हो सकती है,अपने डर पर फतेह हासिल करो, अपने पूर्वजों की राख के सम्मान में आगे बढ़ो मेरे दोस्तो।निडर हम बढ़ेंगे झांगर की ओर, मां भारती को हमसे बहुत उम्मीदें हैं ,जय हिंद ,(My brave friends, one day everyone has to die in this world, and what can be a more glorious death than this, conquer your fears, move ahead in honor of the ashes of your ancestors, my friends. Fearless, we will move towards Jhangar. Mother Bharti has high hopes from us, Jai Hind)
उनके इस सम्बोधन से 50 वी पैरा ब्रिगेड और 19 वी ब्रिगेड के सैनिकों में जोश भर गया और उन्होंने 18 मार्च 1948 को झांगर पर कब्जा कर लिया,
इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 1000 से अधिक सैनिक मारे गए और तकरीबन इतने ही घायल हुए,
इसके बाद 3 जुलाई 1948 में बौखलाई हुई पाकिस्तानी सेना ने फिर से एक बार झांगर पर कब्जा करने के लिए झांगर के ब्रिगेड मुख्यालय पर बम बरसाने शुरू कर दिए।इस हमले में एक गोला ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के पास आकार गिरा जिसके कारण वे वीरगति को प्राप्त हुए।
उनकी शहादत के बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, उनकी अंतिम विदाई में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नेहरू जी और लोग शामिल हुए,।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को उनकी बहादुरी ,नेतृत्व क्षमता और सर्वोच्च बलिदान के लिए MAHAVIR CHAKRA मरणोपरांत से सम्मानित किया गया,। उनको जामिया के पास बाटला हाउस में दफनाया गया। ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने हमारे लिए अपने प्राणों का त्याग किया और राजौरी ,नौशेरा और झांगर इलाके को दुश्मन के कब्जे से आजाद करवाया ,अगर वे चाहते तो पाकिस्तानी सेना में जनरल बनने का प्रस्ताव को मान सकते थे ,और आराम से अपना जीवन व्यतीत करते ,लेकिन देश प्रेम से ज्यादा कोई कीमती चीज और पद नहीं होता,लेकिन हम और हमारे देश में कुछ ऐसे लोग भी है जिनको देशभक्ति से कोई लेना देना नही है ,अभी कुछ समय पहले उनकी कब्र पर किसी ने तोड़ फोड़ कर दी थी,जब इसकी खबर सरकार को दी गई तो फिर से उनकी कब्र की मरम्मत करवाई गई, लेकिन हमारे समाज के लिए यह एक शर्म की बात है,ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए,जिन्होंने एक सैनिक की शहादत का अपमान किया है ,हमे उनका अपमान नही उनका आदर करना चाहिए,और हमेशा उनका ऋणी रहना चाहिए,
"सैनिक हैं हम ,वतन है ,हिन्दोस्तां हमारा। सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा,
जय हिंद,जय भारत,INDIAN ARMY JINDA BAAD
इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 1000 से अधिक सैनिक मारे गए और तकरीबन इतने ही घायल हुए,
इसके बाद 3 जुलाई 1948 में बौखलाई हुई पाकिस्तानी सेना ने फिर से एक बार झांगर पर कब्जा करने के लिए झांगर के ब्रिगेड मुख्यालय पर बम बरसाने शुरू कर दिए।इस हमले में एक गोला ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के पास आकार गिरा जिसके कारण वे वीरगति को प्राप्त हुए।
उनकी शहादत के बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, उनकी अंतिम विदाई में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नेहरू जी और लोग शामिल हुए,।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को उनकी बहादुरी ,नेतृत्व क्षमता और सर्वोच्च बलिदान के लिए MAHAVIR CHAKRA मरणोपरांत से सम्मानित किया गया,। उनको जामिया के पास बाटला हाउस में दफनाया गया। ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने हमारे लिए अपने प्राणों का त्याग किया और राजौरी ,नौशेरा और झांगर इलाके को दुश्मन के कब्जे से आजाद करवाया ,अगर वे चाहते तो पाकिस्तानी सेना में जनरल बनने का प्रस्ताव को मान सकते थे ,और आराम से अपना जीवन व्यतीत करते ,लेकिन देश प्रेम से ज्यादा कोई कीमती चीज और पद नहीं होता,लेकिन हम और हमारे देश में कुछ ऐसे लोग भी है जिनको देशभक्ति से कोई लेना देना नही है ,अभी कुछ समय पहले उनकी कब्र पर किसी ने तोड़ फोड़ कर दी थी,जब इसकी खबर सरकार को दी गई तो फिर से उनकी कब्र की मरम्मत करवाई गई, लेकिन हमारे समाज के लिए यह एक शर्म की बात है,ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए,जिन्होंने एक सैनिक की शहादत का अपमान किया है ,हमे उनका अपमान नही उनका आदर करना चाहिए,और हमेशा उनका ऋणी रहना चाहिए,
"सैनिक हैं हम ,वतन है ,हिन्दोस्तां हमारा। सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा,
जय हिंद,जय भारत,INDIAN ARMY JINDA BAAD
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