Indian आर्मी की गोरखा रेजिमेंट का इतिहास

 गोरखा रेजिमेंट का इतिहास और गोरखा रेजिमेंट
के बारे में पूरी जानकारी

गोरखा रेजिमेंट
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गोरखा इस नाम से कोई अनजान हो ही नहीं सकता है ,,किसी समय हिटलर ने कहा थी की अगर मुझे गोरखा की फौज मिल जाती है तो मैं पूरे विश्व पर कब्जा कर सकता हु,,गोरखा जो मूलत:नेपाल देश के रहने वाले लोग है उनको गोरखा कहा जाता है , भारत में भी गोरखा जाती पाई जाती है ,,थापा,गुर्रुंग,मगर ,शाही,राना ,लिम्बू,ठकुरी,और भी कई अन्य जातीया गोरखा कहलाती है

,और गोरखा ही एक ऐसे जाती है जिसके लोग अलग अलग देशों में अपनी सेवाएं दे रहे है, भारत के अंदर भारतीय सेना में सबसे ज्यादा पलटन गोरखा रेजीमेंट की है,, भारत के अलावा यूनाइटेड किंगडम( ब्रिटिश आर्मी) में भी गोरखा पलटन है,,गोरखा सैनिक बहुत ही बहादुर और ईमानदार होते है,, गोरखा जाती के लोग दिखने में सीधे साधे होते है लेकिन दुश्मन के लिए काल बन के आते है ,,एक समय भारत के जनरल और फील्ड मार्शल मानेक शॉ ने कहा था कि”" यदि कोई आपसे ये कहे की वो मौत से नहीं डरता तो या तो वो झूठ बोल रहा है ,या फिर वो गोरखा है,,भारतीय सेना में समय समय पर गोरखा रेजीमेंट के जवानों ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया है,, आज फौजी नामा की इस कड़ी में आपके लिए गोरखा पलटन के इतिहास की जानकारी ले कर आया हु,,गोरखा रेजिमेंट का इतिहास

गोरखा रेजिमेंट जवान
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जिगर वालों का डर से कोई वास्ता नही होता ,गोरखा सैनिक क़दम वहां रखते है जहा कोई रास्ता नही होता 


गोरखा रेजिमेंट का इतिहास.........

गोरखा रेजिमेंट का इतिहास बहुत पुराना है ,भारत की आजादी से पहले गोरखा सैनिक ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहे थे,, उस दौरान गोरखा सैनिकों ने पहले विश्व युद्ध ,दूसरे विश्व युद्ध ,में और भी कई युद्ध में अपनी वीरता का लोहा मनवाया, आजादी की बाद ब्रिटेन ,भारत,और नेपाल की।बीच एक समझौता हुआ जिसके मुताबिक उस समय 10 गोरखा रेजीमेंट में से 6 गोरखा रेजिमेंट को भारतीय सेना में शामिल होना था और बाकी की 4 गोरखा पलटन ब्रिटिश अपने साथ ले गए,, उन 4 गोरखा पलटन में से कुछ मलाया और सिंगापुर में तैनाद की गई,,बाद में इनके आजाद होने के बाद भी गोरखा पलटन आज भी उन देशों की सेना में अपनी सेवाएं दे रही है।

गोरखा रेजिमेंट जवान


भारत में गोरखा बटालियन.......

इस समय भारत में 39 गोरखा बटालियन अपनी सेवाएं दे रही है ,, इसमें से 6 बटालियन ब्रिटिश इंडियन आर्मी की भी है,भारत में गोरखा पलटन की जानकारी नीचे दी गई है,


1. 1 गोरखा राइफल्स
2. 3 गोरखा राइफल्स
3. 4 गोरखा राइफल्स
4. 5 गोरखा राइफल्स
5. 8 गोरखा राइफल्स
6. 9 गोरखा राइफल्स
7. 11 गोरखा राइफल्स


गोरखा बटालियन ट्रेनिंग सेंटर.......

भारत में गोरखा बटालियन के चार ट्रेनिंग सेंटर है ,,जो अगल अलग स्थानों पर देश के लिए सैनिक तैयार कर रहे है,

1. 11 गोरखा राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर(लखनऊ,उत्तर प्रदेश)
2. 14 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर( सबाथु हिमाचल प्रदेश)
3. 39 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर( वाराणसी ,उत्तर प्रदेश
4. 58 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर( शिलांग, मेघालय)

गोरखा रेजिमेंट का इतिहास और गोरखा रेजिमेंट के बारे में पूरी जानकारी


गोरखा रेजिमेंट सोल्जर


1st गोरखा राइफल्स( the malun regiment)......

गोरखा रेजिमेंट
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1 GR इंडियन आर्मी की सबसे पुरानी गोरखा रेजिमेंट है, 1 ST जीआर 1815 में स्थापित की गई थी,,पहले इसका नाम बंगाल इन्फेंट्री था,,बाद में जार्ज पंचम (ब्रिटिश सम्राट ) ने इस पलटन को गोरखा राइफल्स( द मालौन रेजिमेंट) का नाम दिया था,1875 में रेजीमेंट को पेराक के युद्ध में लड़ने के लिए विदेश भेजा गया,इस युद्ध में मलाया में हुए विद्रोह को दबाया गया, इसके बाद सन 1878 में पहली गोरखा बटालियन ने अफगान के युद्ध में भाग लिया और इस अफगान के युद्ध में पहली गोरखा बटालियन को ,,थियेटर सम्मान अफगानिस्तान 1878_ 80 से सम्मानित किया गया,। 1886 में रेजिमेंट को पहली गोरखा लाइट इन्फेंट्री का नाम दिया गया,
और फरवरी 1886 में दूसरी बटालियन की स्थापना की,सन 1891 में इस रेजिमेंट का नाम एक बार फिर से बदली कर के एक राइफल रेजिमेंट कर दिया गया, इसके बाद पलटन ने और भी कई अन्य युद्धों में भाग लिया,
1901 में एक बार फिर से इस पलटन का नाम बदली kr के पहली गोरखा राइफल्स कर दिया गया,,और नाम बदली होने का यह सिलसिला रुका nhi ,1903 में जार्ज पंचम (ब्रिटिश सम्राट ) ने इस पलटन को पहली गोरखा राइफल्स( द मालौन रेजिमेंट) का नाम दिया ,, द मालौन का नाम इस पलटन को इसलिए दिया गया क्युकी सन 1815 में इस पलटन ने मालौन के युद्ध में अपना शौर्य दिखाया था,इसके बाद पलटन ने पहले विश्व युद्ध और दूसरे विश्व युद्ध में भी भाग लिया और अपनी वीरता से पूरे विश्व में अपनी बहादुरी का डंका बजाया,,,

आजादी के बाद ...........
भारत देश के आजाद होने पर सभी गोरखा रेजिमेंट जो अंग्रेज अपने साथ नहीं ले गए थे,, उन सभी गोरखा रेजिमेंट को भारतीय सेना में मिला लिया गया,इसके बाद पहली गोरखा बटालियन अपना जोश और वीरता दिखाती रही , सन 1961 में सयुक्त राष्ट्र सेना में पहली गोरखा राइफल्स की तीसरी बटालियन (3/1 GR)को भेजा गया,, 3/1 GR के कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया में कांगो में असीम शौर्य का प्रदर्शन किया, जिसके लिए कैप्टन गुरुबचन सिंह सलारिया को वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार के लिए परमवीर चक्र( मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया,इसके बाद से 3/1 GR को परमवीर चक्र पलटन के नाम से जानते है,
अभी तक 1 गोरखा राइफल्स की 6 बटालियन हैं,

6 /1 GR को 1 अप्रैल 2015 में खड़ा किया गया है,

1 ST गोरखा राइफल्स( THE MALAUN REGIMANT) की 6 बटालियन निम्न लिखित है,

1. 1/1 बटालियन
2. 2/1 बटालियन
3. 3/1 बटालियन( pvc paltan)
4. 4/1 बटालियन
5. 5/ 1 बटालियन
6. 6/1 बटालियन


गोरखा रेजिमेंट सोल्जर


1 st गोरखा राइफल का रेजिमेटल सेंटर......

पहली गोरखा राइफल का ट्रेनिंग सेंटर सबाथु हिमाचल प्रदेश में है,


1 st गोरखा राइफल्स का मोटो (motto)......
पहली गोरखा रायफल्स का मोटो है ,कायर हुनु भांदा मरनू रामरो (better to die than live like a coward)
इसका हिंदी में मतलब है कि ..कायर होकर जीने से अच्छा है मर जाओ,



वार cry..... पहली गोरखा राइफल्स का वॉर क्राई है"" जय महा काली आयो गोरखाली ""

1 st गोरखा राइफल्स के पास अवार्ड........

विक्टोरिया क्रॉस.......2(आजादी से पहले)

परमवीर चक्र........1
कैप्टन गुरबचन सिंह (3/GR)

महावीर चक्र......7
नायक एम थापा.
लांस नायक राम बहादुर गुरुंग
रायफल मैन पाती राम गुरुंग


वीर चक्र........ 16

कीर्ति चक्र...... 1

शौर्य चक्र.... 3

युद्ध सेवा मेडल.....1

सेना मेडल .... 22

...

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3 rd गोरखा राइफल्स.......

3 गोरखा रेजिमेंट
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3rd गोरखा राइफल्स भी 1815 के समय की पलटन है,इस पलटन की शुरुवात 24 अप्रैल 1815 में हुई थी,इस पलटन में us समय गोरखा सैनिक के अलावा कुमाऊं और गढ़वाली सैनिक भी थी,,
उस समय गढ़वाल,और कुमाऊं की अलग से कोई पलटन नहीं थी, शुरूवाती दौर में पलटन का नाम कुमाऊ बटालियन था,
,1861 में पलटन को 18 वी बंगाल नेटिव इन्फेंट्री का नाम दिया गया,इसके बाद पलटन ने पहले विश्व में भाग लिया और भी कई युद्ध लड़े और अपना परचम लहराया,

आजादी की बाद तीसरी गोरखा को भी भारतीय सेना में मिला लिया गया


आज के समय में 3rd Gorkha राइफल्स की 5 बटालियन है ,


तीसरी गोरखा राइफल्स का ट्रेनिग सेंटर उत्तर परदेश के वाराणसी में स्थित है,


तीसरी गोरखा राइफल्स का मोटो;कायर हुनु भांदा मरनू रामरो (better to die than live like a coward)
इसका हिंदी में मतलब है कि ..कायर होकर जीने से अच्छा है मर जाओ,

वार क्राई......... जय महा काली आयो गोरखाली


तीसरी गोरखा राइफल्स के पास अवार्ड.......

विक्टोरिया क्रॉस.......2

अशोक चक्र......... 1

कीर्ति चक्र .......1

वीर चक्र.......... 5

शौर्य चक्र.........5

सेना मेडल ......19


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4 th गोरखा राइफल्स........

4  गोरखा रेजिमेंट
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4 GR की स्थापना 1857 में हुई थी, सन 1857 के विद्रोह के बाद एक और रेजिमेंट की स्थापना की गई थी , उस समय इस पलटन का नाम बंगाल इंफेंट्री की 19 वी बटालियन था,1861 में इस पलटन को 4 गोरखा राइफल्स का नाम दिया गया,इसके बाद पलटन ने कई युद्ध लड़े ,,और अपना नाम कमाया,,आजादी के बाद 4 गोरखा राइफल्स को भी भारतीय सेना में विलय कर दिया गया,,4 गोरखा राइफल्स की 5 बटालियन है,


1/4 GR(1/4 गोरखा राइफल्स)..(जेठी पलटन)

2/4 GR (मैली पलटन)( स्थापना 22 अप्रैल 1886

3/4GR (चिंदित्स) (स्थापना 1 अक्टूबर 1940

4/4 GR(कैनली पलटन) स्थापना 15 मार्च 1941

5/4 GR (कांची पलटन) स्थापना 1 जनवरी 1963

चौथी गोरखा राइफल्स का मोटो ,कायर हुनु भांदा मरनू रामरो (better to die than live like a coward)
इसका हिंदी में मतलब है कि ..कायर होकर जीने से अच्छा है मर जाओ,

रेजिमेंट डे 11 मार्च


4 गोरखा राइफल्स का वॉर क्राई....जय महा काली आयो गोरखाली



4 गोरखा राइफल्स के पास अवार्ड........

विक्टोरिया क्रॉस ......1
महावीर चक्र.........1
कीर्ति चक्र.......1
वीर चक्र ......... 5
शौर्य चक्र........2
सेना मैडल.....24


4th गोरखा राइफल्स का रेजिमेंटल सेंटर सुबाथू हिमाचल प्रदेश में है,


3 गोरखा रेजिमेंट  जवान


5 th गोरखा राइफल्स ( फ्रंटियर फोर्स)


5 गोरखा रेजिमेंट
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5 गोरखा राइफल्स को रॉयल गोरखा रेजिमेंट के नाम से भी जाना जाता है,5 वी गोरखा राइफल्स का गठन 1858 में किया गया था, उस समय रेजिमेंट का नाम 25 वी नेटीव पंजाब इन्फेंट्री था,रेजिमेंट को हजारा गोरखा बटालियन के नाम से भी जाना जाता था, सन 1861 में इस पलटन का नाम बदलकर 5 वी गोरखा रेजिमेंट कर दिया गया,1903 में रेजिमेंट का नाम बदलकर 5 th गोरखा राइफल्स ( फ्रंटियर फोर्स) कर दिया गया,इसके बाद बटालियन ने अलग अलग देश विदेश में युद्ध लड़े और कई वीरता पुरस्कार अपने नाम किए, जिसके लिए सन 1921 में रेजिमेंट का नाम बदलकर 5 वी रॉयल गोरखा राइफल्स कर दिया गया,


आजादी के बाद 5 बी गोरखा राइफल्स को भी भारतीय सेना में मिला लिया गया
और अब इस पलटन का नाम फिर से 5 वी रॉयल गोरखा
राइफल्स(फ्रंटियर फोर्स) से बदल कर 5 वी गोरखा
राइफल्स(फ्रंटियर फोर्स) कर दिया गया,5 वी गोरखा राइफल्स की अब 6 बटालियन भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रही है,

1/5 GR बटालियन (जेठी)

2/5 GR बटालियन (विक्टोरिया क्रॉस पलटन)

3/5 GR बटालियन (THREEFIF)

4/5 GR बटालियन (कांची पलटन)

5/5 बटालियन (CHINDITS)
6/5 बटालियन

5 वी गोरखा राइफल्स का ट्रेनिंग सेंटर शिलांग मेघालय में है( 58 GTC)


5 बी गोरखा राइफल्स का मोटो::: शौर्य और निष्ठा ।

5 वी गोरखा राइफल्स का वॉर क्राई ,,,आयो गोरखाली

5 वी गोरखा राइफल्स के द्वारा प्राप्त अवॉर्ड्स......

विक्टोरिया क्रॉस..........7
महावीर चक्र.........8
अशोक चक्र.....1
कीर्ति चक्र ........5
वीर चक्र ........23
शौर्य चक्र...... 9
सेना मैडल ......53




8 वी गोरखा राइफल्स .......

8  गोरखा रेजिमेंट
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8 वी गोरखा राइफल्स की स्थापना 1824 में की गई थी,पहले इस बटालियन को 16 वी सिलहट बटालियन के नाम से जाना जाता था ,,इसके बाद सन 1861 में इस बटालियन को बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में शामिल किया गया,और इसका नाम 48 वी सिलहट लाइट इन्फेंट्री रखा गया,8 बी गोरखा राइफल्स का नाम इस बटालियन को 1907 में दिया गया,,इसके बाद यूनिट ने देश और देश के बाहर अनेक लड़ाइयां ladi aur , कई मिलिर्टी अवार्ड और थेटियर अवार्ड अपने नाम किए,आजादी की बाद 8 बी गोरखा राइफल्स को भी अन्य गोरखा राइफल्स को तरह भारतीय सेना में मिला लिया गया,इसके बाद 8 बी गोरखा राइफल्स ने भारत के हर युद्ध में भाग लिया और अनेक मिलिट्री अवार्ड अपने नाम किए,

8 बी गोरखा राइफल्स की 7 बटालियन है

1/8 GR ( 3 MEC. INFANTRY) 1/8 GR को तीसरी मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट में बदली किया गया है।(PVC पलटन)

2/8 GR ( GEORGE CROSS बटालियन)

3/8 GR

4/8 GR (VC पलटन)
5/8 GR (सिरमोर )
6/8 GR

7/8 GR

भारत के प्रथम फील्ड मार्शल मानेक शॉ भी 8 बी गोरखा राइफल्स से है,


8 वी गोरखा राइफल्स का मोटो.....कायर हुनु भांदा मरनू रामरो (better to die than live like a coward)
इसका हिंदी में मतलब है कि ..कायर होकर जीने से अच्छा है मर जाओ,

वार cry...... जय महाकाली आयो गोरखाली

ट्रेनिंग सेंटर..... शिलांग (मेघालय)



8 बी गोरखा राइफल्स के द्वारा प्राप्त मिलिट्री अवार्ड......


विक्टोरिया क्रॉस....... 4

परमवीर चक्र..........1

अशोक चक्र..... 4

महावीर चक्र.........7

कीर्ति चक्र........2
वीर चक्र........22
सेना मैडल.........34

गोरखा रेजिमेंट का इतिहास और गोरखा रेजिमेंट के बारे में पूरी जानकारी


9 गोरखा राइफल्स.........

9  गोरखा रेजिमेंट
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9 गोरखा राइफल्स की स्थापना 1817 में की गई थी , उस समय उसको फतेहगढ़ लेवी के नाम से जाना जाता था,1861 में इस बटालियन का नाम 9 बी बंगाल नेटिव इन्फेंट्री कर दिया गया,1903 में रेजिमेंट को 9 बी गोरखा राइफल्स का नाम दिया गया,इसके बाद यूनिट ने कई युद्धों में भाग लिया और कई मिलिट्री अवार्ड जीते,आजादी के बाद 9 वी गोरखा राइफल्स को भारतीय सेना में मिला लिया गया,9 वी गोरखा राइफल्स की इस समय 5 बटालियन है,

9 गोरखा राइफल्स का मोटो ....कायर हुनु भांदा मरनू रामरो (better to die than live like a coward)
इसका हिंदी में मतलब है कि ..कायर होकर जीने से अच्छा है मर जाओ,


वार cry...... जय महा काली आयो गोरखाली

ट्रेनिंग सेंटर.......वाराणसी


9 गोरखा राइफल्स के मिलिट्री अवार्ड........

विक्टोरिया क्रॉस..... 3

अशोक चक्र........1

महावीर चक्र .....1

कीर्ति चक्र...........3

vir चक्र............ 17

शौर्य चक्र...........7

सेना मेडल ........13

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11 गोरखा राइफल्स

11  गोरखा रेजिमेंट
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11 गोरखा राइफल्स की स्थापना सन् 1918 में की गई थी, उस समय 11 गोरखा में 4 बटालियन थी,आज़ादी के बाद 11 गोरखा राइफल्स को फिर से खड़ा करने का निश्चय लिया गया,,1 जनवरी 1948 को 11 गोरखा को फिर स्थापित किया गया,11 गोरखा राइफल्स ने आजादी के बाद सभी युद्धों में भाग लिया और 11 गोरखा के वीर सैनिकों ने कई वीरता पुरस्कार हासिल किए,कारगिल युद्ध में कैप्टन मनोज कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया,कारगिल के युद्ध में 11 गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन ने अदभुत शौर्य का प्रदर्शन किया,
11 गोरखा राइफल्स 7 बटालियन है और 1 ta बटालियन भी है,
11   गोरखा रेजिमेंट
image source googal 



11 गोरखा राइफल्स की बटालियन........

. 1/11 GR (बटालिक,PVC पलटन)
. 2/11 GR (SHINGO)
. 3/ 11 GR
. 5 / 11 GR (BOGRA)
. 6 /11 GR
. 7 /11 GR
. 107 TA बटालियन



11 गोरखा राइफल्स का ट्रेनिंग सेंटर लखनऊ उत्तर प्रदेश

11 गोरखा राइफल्स का मोटो....यात्राहम विजयस्तत्ता ( हम विजय के रूपक है)


11 गोरखा राइफल्स के पास गैलंट्री awards.....

परम वीर चक्र.......... 1

अशोक चक्र..............3

महावीर चक्र............ 2

वीर चक्र............. 11

शौर्य चक्र.............. 5

सेना मेडल............. 35


तो दोस्तो ये थी गोरखा राइफल्स की थोड़ी से जानकारी ,,गोरखा राइफल्स का इतिहास और वीरता को किसी पेज या कागज पर नही लिखा जा सकता है ,,लेकिन ये कोशिश है ताकि आपको थोड़ी सी जानकारी उपलब्ध कराई जाए,,अगर आपको इस पेज को सुधार या इंप्रूव करने का आइडिया हो तो संदेश करे,

बहादुरी का दूसरा नाम गोरखा है

जय महा काली आयो गोरखाली,,

जय हिंद,






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