इंडियन आर्मी भर्ती होने से पहले बताना पड़ता है अपना धर्म और जाती ???

 भारतीय सेना में क्यों होता है धर्म की जानकारी देना जरूरी............

INDIAN ARMY





इंडियन आर्मी डिस्क
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जय हिंद साथियों आजकल पूरे देश में एक विषय पर बहुत हल्ला मचा हुआ है,,और वो विषय है की इंडियन आर्मी में धर्म के नाम पर भर्ती की जाती है,,तो साथियों आज आपको इसके बारे में ही बताया जाएगा की क्या सच में इंडियन आर्मी में जाती के नाम पर भर्ती होती है,और अगर होती है तो उसका सच क्या है , क्यों होती है इंडियन आर्मी में जाती के नाम पर भर्ती ,, क्यो पूछी जाती है भर्ती होने वाले फॉर्म में उम्मीदवार की जाती,,आज इस पोस्ट में आपके सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे,

डिस्क
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क्यूँ ली जाती है इंडियन आर्मी में जाती और धर्म की जानकरी .....


इंडियन आर्मी का इतिहास बहुत ही गौरव शाली रहा है,जब एक जवान भर्ती होता है ,तो ट्रेनिंग के समय ही उसको 2 अलमुनियम की डिस्क दी जाती है,,जो आकार में घड़ी के डायल के जितने होते है,इस डिस्क पर सैनिक का आर्मी नंबर ,सैनिक का धर्म और सैनिक का ब्लड ग्रुप ,नाम ,यूनिट लिखा होता है,,एक डिस्क ओवल आकार की होती है और दूसरी डिस्क गोल आकार की होती है ,,जब भी सैनिक लड़ाई में जाते है तो उस समय गोल वाली डिस्क को गले में और ओवल वाली डिस्क को हाथ में पहना जाता है,,अगर लड़ाई के दौरान सैनिक घायल हो जाए और उसको खून देने को जरूरत पड़े तो उसके हाथ ,या गले की डिस्क के पता चल जाता है की सैनिक का ब्लड ग्रुप कौन सा है और घायल सैनिक का तुरंत उपचार हो सके,अब घायल सैनिक या बेहोश सैनिक तो उठ कर बोल नही सकता की मेरा ब्लड ग्रुप ये है ,,ये थी पहली बात और दूसरी बात यह है कि अगर युद्ध के दौरान कोई सैनिक वीरगति को प्राप्त हो जाता है तो
उसके गले या हाथ में बंधे डिस्क से पता चल जाएगा कि वो सैनिक किस धर्म का है ,तो उसके धर्म के मुताबिक सैनिक का अंतिम संस्कार किया जा सके, सन 1996 से पहले जो भी सैनिक युद्ध वीरगति को प्राप्त होता था उनका उसी स्थान पर अंतिम संस्कार किया जाता था,,और सैनिक के परिवार को सैनिक का सामान और अस्थियां दी जाती थी ,ये तो 1996 में जब श्री मुलायम सिंह भारत के रक्षा मंत्री बने तो उन्होंने शहीद सैनिक के पार्थिव शरीर को किसी भी हालत में उसके घर तक पहुंचाने का आदेश पारित करवाया था,,उन्होंने कहा कि थी जो सैनिक देश के लिए शहीद हुआ है उसके परिवार को उसके अंतिम दर्शन करने का मौका जरूर मिलना चाहिए,और शहीद सैनिक का उसके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार होना चाहिए,तब से सैनिक कही भी शहीद हो उसकी बॉडी उसके घर पहुचाई जाती है,इसलिए सैनिक के भर्ती होते समय उसका धर्म जाति पूछी जाती है,,इंडियन आर्मी में धर्म और जाति पूछे जाने का एक कारण और भी है,,जब सैनिक सेना में होते है तो वही उनका घर होता है ,सैनिक भी हर त्योहार ,,पर्व,को मनाते है,,एक रेजीमेंट में मंदिर भी होता है ,,अगर रेजीमेंट में सिख,ईसाई,मुस्लिम है तो , वहा गुरुद्वारा ,,चर्च,और मस्जिद भी होती है,,ऐसे ही रेजिमेंट में धर्म गुरु भी होते है
पंडित जी,पादरी,मौलवी जी ,और पाई(ग्रंथि) जी,जो समय के आने वाले पर्व और त्योहारों को सभी सैनिकों के साथ आदर और बहुत ही उल्लास के साथ मनाते भी है, इसमें बाकी धर्म के सैनिक भी शामिल होते है ,ऐसा नहीं है की हिंदू सैनिकों का पर्व है तो बाकी सैनिक शामिल नहीं होंगे,बाकी सैनिक भी बड़े हर्ष उल्लास के साथ पर्व में शामिल होते है,
इंडियन आर्मी
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और इसके साथ ही धर्म और जाति इसलिए भी पूछी जाती है ताकि उस हिसाब से सैनिकों का भोजन बन सके,,

तो साथियों इंडियन आर्मी में जाती धर्म इसलिए पूछी जाती है ,,बाकी पूरी भारतीय सेना का एक ही धर्म है और वो है देश प्रेम ,देश सेवा

जय हिंद


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