नायक यदुनाथ सिंह,जीवनी
परमवीर चक्र विजेता नायक जदुनाथ सिंह
नायक यदुनाथ सिंह ने 1947 के भारत पाकिस्तान युद्ध में अद्वितीय साहस का परिचय दिया था, उनके इस बलिदान के लिए भारत सरकार द्वारा उनको 1950 में परमवीर चक्र (मरणोपरांत)से सम्मानित किया गया था
नायक यदुनाथ सिंह का जन्म 21नवंबर 1916 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के खुजरी गाव में हुआ था, इनके पिता का नाम बीरबल सिंह राठौर और माता का नाम यमुना कवर था,इनके 5 भाई और एक बहन थी,जिसमें यदुनाथ सिंह तीसरे नंबर पर थे,इनके पिता एक किसान थे,
यदुनाथ की शुरुवाती शिक्षा गांव में ही हुई,आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण यदुनाथ सिंह आगे नहीं पढ़ पाए,वे अपने माता पिता के साथ खेती बाड़ी में हाथ बंटाते थे,
यदुनाथ सिंह को बचपन से ही खेल कूद और कुश्ती में बहुत रुचि थी, देखते देखते वे अपने गांव के कुश्ती चैंपियन बन गए थे,यदुनाथ सिंह बचपन से ही हनुमान के भक्त थे इसलिए उन्होंने ब्रह्मचर्य ले लिया था, उनको हनुमान भगत बाल ब्रह्मचारी के नाम से जाना जाता था।यदुनाथ सिंह ने शादी भी नहीं की थी,
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यदुनाथ सिंह ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे, उनको राजपूत रेजीमेंट नियुक्ति मिली थी।
ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उनको प्रथम (1)राजपूत रेजीमेंट में तैनात किया गया, प्रथम राजपूत रेजीमेंट में तैनाती के बाद इन्होंने बहुत ही सराहनीय कार्य किया,
1942 में उनकी रेजीमेंट को बर्मा भेजा गया जहा इन्होंने जापान के खिलाफ मोर्चा संभाला,
भारत- पाकिस्तान 1947 का युद्ध
अक्टूबर 1947 में जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठियो के हमले के बाद भारतीय सेना को भी जबाबी कार्यवाही करने का निर्देश मिल चुका था,इस कार्यवाही कोई करने की लिए नायक यदुनाथ सिंह की पलटन पहली राजपूत रेजिमेंट को नौशेरा भेजा गया जिसका मकसद नौशेरा को पाकिस्तानी सेना से बचाना था,
पहली राजपूत रेजिमेंट ने अपनी पोजीशन ले ली थी,
और छोटे छोटे समूहो में सैनिकों की टुकड़ियों को तैनात कर दिया था
नायक यदुनाथ सिंह टेंढर नामक जगह पर एक पोस्ट पर अपने जवानों के साथ तैनात थे,06 फरवरी 1948 की सुबह पहली किरण में ही पाकिस्तान की सेना ने टेंढर चौकी पर हमला बोल दिया था,दोनों तरफ से भयानक गोलाबारी शुरू हो गई थी, पाकिस्तानी सेना ने अंधरे और धुंध का पूरा फायदा उठाया था,वे बहुत बड़ी संख्या में थे,और टेंढर पोस्ट पर केवल 27 भारतीय सैनिक मौजूद थे,नायक यदुनाथ सिंह अपनी टुकड़ी की कमान संभाले हुए थे,,नायक यदुनाथ और उनकी टुकड़ी ने पाकिस्तानी सेना के 3 लगातार हमलों को नाकाम कर दिया था,उन सब ने ,नायक यदुनाथ सिंह के नेतृत्व में असीम शौर्य का प्रदर्शन किया था,तीसरे हमले तक ,नायक यदुनाथ सिंह की टुकड़ी के कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थेऔर कई सैनिक बुरी तरह घायल हो गए थे, 27 जवानों में से 24 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे,
,नायक यदुनाथ सिंह ने टुकड़ी का लीडर होने के नाते अपने जवानों को तब तक प्रेरित किया जब तक वे शहीद नहीं हो गए,बुरी तरह से घायल होने के बावजूद ,नायक यदुनाथ सिंह ने आखरी सांस तक दुश्मन से लोहा लिया और पाकिस्तानी सेना को उलझा कर रखा,इसी बीच उनकी मदद के लिए एक एक और पलटन को भेजा गया,जिसके कारण पाकिस्तानी घुसपैठियो को पीछे हटना पड़ा,
इस प्रकार नायक यदुनाथ सिंह ने अपने निस्वार्थ देश प्रेम और अदम्य साहस ,कुशल नेतृत्व ,का परिचय दिया ,इसके कारण हमारे सैनिक पाकिस्तानी सेना को पीछे खदेड़ने में सफल हो सके, उनके इस सर्वोच्च बलिदान के लिए भारत सरकार ने सन 1950 में नायक यदुनाथ सिंह को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र (मरणोपरांत )से सम्मानित किया,
नायक यदुनाथ सिंह की यह वीरता की कहानी हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं,
हे!!!!! शूरवीर ,तुझ पर क्या लिखू ??????
मेरी कलम में इतनी सयाही नही ;
चंद शब्दों में तेरी कुर्बानी लिखू '
ऐसा तू सिपाई नही ;;;;
जय हिंद जय भारत
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