Col Navjot Singh Bal biography
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समर्पित जीवन मेरा परिचय,
कर्नल नवजोत सिंह बल
,वैसे तो जिंदगी सभी जीते हैं, लेकिन कुछ लोग, अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा काम कर जाते है,जो सबके लिए प्रेणा का स्रोत बन जाता हैं,आज एक ऐसे ही सैनिक की कहानी लिखने जा रहा हूं,जिसकी जिंदादिली और हिम्मत हम सब के लिए आदर्श है,उस सैनिक का नाम है कर्नल नवजोत सिंह बल ,
कर्नल नवजोत सिंह बल का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था इनके पिता का नाम कर्नल के एस बल और माता का नाम श्रीमती परमिंदर बल था, इनकी शुरुवाती शिक्षा दिल्ली धोला कुआं के आर्मी पब्लिक स्कूल से हुई, सन 1998 में नवजोत सिंह ने एन डी ए की परिक्षा पास की,और ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सन्2002 में 2 पैराशूट रेजिमेंट( विशेष बल)में बतौर लेफ्टिनेंट तैनात हुए,सन 2008 में जम्मू कश्मीर में एक अतांकविरोधी अभियान में असीम शौर्य के प्रदर्शन के लिए , और दो आतंकवादी मार गिराने के लिए नवजोत सिंह बल को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया,उस समय वे कैप्टन के पद पर तैनात थे,उसके बाद भी नवजोत सिंह ने कई अभियानों में अपने दल का नेतृत्व किया,इस समय कर्नल नवजोत सिंह बल
2 पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) में कमांडिंग ऑफिसर का कार्य भार देख रहे थे,
दो साल पहले कर्नल के दाहिने हाथ में एक गांठ हुई ,बाद में पता चला कि ये गांठ तो कैंसर में बदल गई है ,यह एक
दुर्लभ प्रकार का कैंसर था,इसकी वजह से कर्नल का दाहिना हाथ 2019 में अगल करना पड़ा,,लेकिन कर्नल ने अपनी सर्विस जारी , परन्तु उनका दुर्भाग्य था कि कैंसर पूरे शरीर में फ़ैल गया था,और 09अप्रैल 2020 को बंगलौर में
कर्नल बल ने अपनी जिंदगी कि आखरी सांस ली,वे इतने हिम्मती इंसान थे कि उन्होंने आखरी समय में भी अपने फोन से सेल्फी ली थी,जिसमें वह मुस्कराते हुए नजर आ रहे थे,
जब 2019में जब कैंसर की वजह से इनका एक
हाथ काटा गया तब भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी,और अपनी सेना की सेवा जारी रखी,वे एक हाथ से ही 50 पुस उप लगा लेते थे,उन्होंने 21 किलोमीटर हाफ मैराथन में भी भाग लिया,वे अपने बाएं हाथ से ही फायर भी कर लेते थे,,इनकी,इच्छा शक्ति के सामने मानो कैंसर भी कमजोर पड़ रहा था,सब कर्नल नवजोत सिंह बल की मिसाल देते थे,वे सच में एक कमांडो थे जिसने जिंदगी की लड़ाई में आखरी दम तक हार नहीं मानी,ये बात और की इस लड़ाई में अंत में वे जिंदगी से हार गए ,मगर ना तो उनके चहरे पर डर था ,और ना ही उदासी,वे अपने आखरी समय में भी मुस्करा रहे थे,उन्होंने अपने अंतिम दिनों में एक कविता लिखी थी
ऐसे वीर और जिंदादिल सैनिक को नमन है,
जय हिन्द जय भारत,
हाथ काटा गया तब भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी,और अपनी सेना की सेवा जारी रखी,वे एक हाथ से ही 50 पुस उप लगा लेते थे,उन्होंने 21 किलोमीटर हाफ मैराथन में भी भाग लिया,वे अपने बाएं हाथ से ही फायर भी कर लेते थे,,इनकी,इच्छा शक्ति के सामने मानो कैंसर भी कमजोर पड़ रहा था,सब कर्नल नवजोत सिंह बल की मिसाल देते थे,वे सच में एक कमांडो थे जिसने जिंदगी की लड़ाई में आखरी दम तक हार नहीं मानी,ये बात और की इस लड़ाई में अंत में वे जिंदगी से हार गए ,मगर ना तो उनके चहरे पर डर था ,और ना ही उदासी,वे अपने आखरी समय में भी मुस्करा रहे थे,उन्होंने अपने अंतिम दिनों में एक कविता लिखी थी
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''शौर्य साहस का तू चन्दन है ,,,,,,
हे!!!!!!मात्रभूमि के महा वीर तुम्हारा वंदन है ,,,,
ऐसे वीर और जिंदादिल सैनिक को नमन है,
जय हिन्द जय भारत,
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