राइफलमैन राकेश सिंह(RAIFALMAN RAKESH SINGH)

 राइफलमैन राकेश सिंह(RAIFALMAN RAKESH SINGH)


राइफलमैन राकेश सिंह
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एक सैनिक होना आसान नहीं होता ,दिल को पत्थर नहीं लोहा बनाना पड़ता है,एक सैनिक के भी सपने होते है ,जीवन को लेकर ,अपनी पत्नी और बच्चो को लेकर ,अपने मां पिता भाई बहन को लेकर,
लेकिन वे सपने कभी पूरे नहीं होते,सैनिक के सामने हमेशा उसकी ड्यूटी आ जाती है।हमारे देश में बहुत से लोग कहते है ये तो उनका काम है ,पैसे मिलते है उनको इसके बदले,,अरे यार तो मैं उन लोगो से ये कहना चाहता हु,की आप एक दिन उनकी ड्यूटी कर के देखो तब आपको पता चलेगा ,की एक सैनिक होना कितना muskil हैं ,कई बार हालत ऐसे होते है की पूरा दिन दिन पानी भी पीने को नसीब नहीं होता ,,आप ,मैं हम लोग अपने घरों में कूलर ,ac , पंखे की हवा में होते है ,सैनिक को ये सब तो दूर सर पर छाव भी नसीब नहीं होती,,कई कड़कड़ाती ठंड में तेज हवाओं के वो तैनाद है मुस्तैद है सिर्फ अपनी ड्यूटी के लिए,,ड्यूटी तो सब करते है । लेकिन एक जवान अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से और निष्ठा से करता है ,अगर सैनिक भी अपनी ड्यूटी बाकी सरकारी कर्मचारियों की तरह करने लगे,,तो उन लोगो को जवाब मिल जाएगा जो बोलते हैं की सैनिक क्या करते है,आज अपने वीर जवानों की जीवनी की कड़ी में एक और वीर सैनिक की जीवनी ले कर आया हु जिन्होंने 26 साल की आयु में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया,


शुरुवाती जीवन......

RAIFALMAN RAKESH SINGHका जन्म हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ के महेशगढ़ गांव में हुआ था,इनके पिता का नाम श्री जिगरी राम था ,,श्री जिगरी राम भी भारतीय सेना से सेवा निवृत है,इनकी माता का नाम श्रीमति संधा देवी है,और पत्नी का नाम श्रीमती अंजली देवी है ,और एक 6 माह का पुत्र भी है ,,लगभल 1.5 साल (डेढ़ साल) पहले ही इनका विवाह हुआ था,
राइफलमैन राकेश की शुरुवाती शिक्षा अपने गांव में ही हुई,RAIFALMAN RAKESH SINGHअपने पिता की नक्शे कदम पर चलते हुएINDIAN ARMY में शामिल होना चाहते थे,इस प्रयास को पूरा करते हुए वे पढ़ाई की साथ साथ सेना में भर्ती होने की तैयारी करने लगे थे, सन 2014 में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारतीय सेना की जम्मू कश्मीर राइफल में शामिल हो गए , शुरवाती ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इनको 19 jak rifal में बतौर राइफलमैन तैनाद किया गया,जिसके बाद राइफल मैंन राकेश ने भिन्न भिन्न जगह पर ड्यूटी की ,,इसी दौरान सन 2020 में वे विवाह के बंधन में बंध गए,,और उनका एक पुत्र भी हुआ,


06 फरवरी 2022,

19 jak राइफल इस समय भारत-चीन सीमा के पास अरुणाचल में तैनाद थी,19 jak राइफल जो की INDIAN ARMYकी एक गौरव शाली यूनिट है,,जिसका इतिहास वीरता और कई GALLANTRY AWARD से भरा हुआ है,
राइफल मैन राकेश की कंपनी लगभग 15000 fit की ऊंचाई पर तैनाद थी,,इन इलाकों में जनवरी और फरवरी के महीनों में बहुत ज्यादा बर्फबारी होती है,लेकिन बर्फ हो या तूफान एक सैनिक का काम कभी नहीं रुकता ,सैनिक को तो अपना कार्य करना ही है, रायफल मैन राकेश एक पेट्रोलिंग दस्ते का हिस्सा थे ,जो सीमा की निगरानी की लिए निकला था,19 jak रायफल का यह पेट्रोलिंग दस्ता जब चीन सीमा के करीब यांग्त्से नामक इलाके से गुजर रहे थे , तभी दुर्भाग्यवश वे सभी सैनिक जो इस दस्ते में शामिल थे एक एवलांच की चपेट में आ गए,(अवलांच एक बर्फ़ का तूफान होता है ,जो की बहुत भी भयानक होता है जो जिसकी चपेट में आ जाता है वह कोई भी चीज बरबाद हो जाती है)
एवलांच (Avalanche ) की चपेट में आने के कारण इस दल का संपर्क अपने हेड क्वार्टर से टूट गया,जिसके बाद INDIAN ARMY KE द्वारा बहुत बड़े पैमाने पर बचाव कार्य शुरू किया गया,,मौसम के विपरीत होने के कारण 2 दिन बाद 8 जनवरी 2022 को
राइफल मैन राकेश सहित अन्य शहीद सैनिकों के शव बरामद कर लिए गए,इस Avalanche के कारण राइफल मैन राकेश सिंह के अलावा, हवलदार जुगल किशोर, राइफल मैन अरुण कट्टल, राइफल मैन अक्षय पठानिया, राइफल मैन विशाल शर्मा, राइफल मैन अंकेश भारद्वाज और गनर गुरबाज सिंह ने प्राणों की आहुति दी,,इस प्रकार भारत मां के लिए फिर से कई बेटे एक साथ अपना कर्म करते हुए हस्ते हस्ते अपने प्राणों का त्याग kr gye, राइफल मैन राकेश उस समय केवल 26 साल के थे और उनका बेटा केवल 4 माह का था ,
इस घटना पर भारत के राष्ट्रपति समेत कई नेताओं ने भारी दुख जाहिर किया,

राइफलमैन राकेश सिंह
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लेकिन हमारे देश के युवाओं की बदकिस्मती है की वे गूगल पर किसी असली हीरो को सर्च नहीं करते बल्कि बॉलीवुड की नकली horeos को सर्च करते है,,ये इस देश की युवा पीढ़ी का दुर्भाग्य ही है,
जय हिंद जय भारत,indian army jindabaad




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