हवलदार काशीराय बम्मनल्ली शौर्य चक्र मरणोपरांत

 हवलदार काशीराय बम्मनल्ली शौर्य चक्र जीवनी


शौर्य चक्र
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सेना एक ऐसी संस्था है जिसको लेकर हमेशा राजनीति की जाती है,, सरकारें ,विपक्षी दल,आए दिन सेना को लेकर मुद्दे गर्म करते है,,लेकिन सेना को राजनीति से कोई मतलब नहीं है,,सेना सिर्फ अपना काम करती है ,जो सेना को आदेश दिया जाता उस पर अमल करती है,,सैनिक अपनी ड्यूटी करते समय ये नही सोचता की इसका अंजाम क्या होगा ,,वो अपनी जान को हथली पर रखकर आगे बढ़ता है ,,रास्ते में कितनी मुस्किले हो फिर भी आगे ही चलता है ,,और इस राह पर चलते हुए अपने प्राणों को भी देश के लिए बलिदान कर देता है,,और हम और हमारी सरकारें क्या करती है ,उनके साथ ये आप लोग अच्छी तरह से जानते है,आए दिन न्यूज पेपर्स ,और tv न्यूज चैनल्स पर देखा जा सकता है की सैनिकों के साथ क्या होता है,,हम सैनिकों के बलिदान को सिर्फ दो दिन ही याद रखते है उसके बाद हमें नाम भी पता नहीं होता है,
आज फौजी नामा कहानी वीरों की में एक और वीर सैनिक की कहानी ले कर आया हु जिनका नाम था हवलदार काशीराय बम्मनल्ली ,,इनको देश के लिए सर्वोच्च बलिदान के शौर्य चक्र मरणोपरांत से सम्मानित किया गया था,


शुरुवाती जीवन...........

हवलदार काशीराय बम्मनल्ली का जन्म कर्नाटक में विजयपुरा जिले की बसवाना बगेवाड़ी तहसील के उक्कल गांव में 19 जून 1984 में हुआ था,अपनी शुरुवाती शिक्षा पूरी करने के बाद 22 साल की आयु में सन 2006 में भारतीय सेना की मद्रास इंजीनियर्स (: द कोर ऑफ इंजीनियर्स) में भर्ती हो गए,,2.5 साल के कढ़िन परिक्षण के बाद उनकी सिपाही (सैपर्स ) के पद पर नियुक्त किया गया ,,कोर ऑफ इंजीनियर्स भारतीय सेना की वह शाखा है जो युद्ध के दौरान माइनिंग,,ब्रिजिंग,और भी कई मुस्किल अभियानों को अंजाम देती है,
मद्रास इंजीनियर्स में नियुक्ति के बाद उन्होंने अलग अलग स्थानों पर ड्यूटी की,वे एक अनुशासित ,बहादुर,,मेहनती ,कर्मठ सैनिक के रूप में उभरे, इस बीच उनका प्रमोशन भी होता रहा, और वे सैपर्स से लांस नायक,,फिर नायक ,और इसके बाद हवलदार के पद पर पदोन्नत किए gy,| 15 साल अपनी यूनिट के साथ ड्यूटी करने के बाद सन 2021में हवलदार काशीराय बम्मनल्ली को 44 रास्ट्रीय रायफल्स में पोस्टिंग दी गई ,44 आरआर जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंक विरोधी अभियानों में तैनाद थी,
रास्ट्रीय रायफल्स
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पुलवामा ऑपरेशन: 01 जुलाई 2021

कश्मीर के पुलवामा में आतंकी घटनाएं आम बात है,,हर दिन कुछ न कुछ आतंकी गतिविधियों की सूचना सेना को मिलती रहती थी और सेना पर एक्शन भी करती थी,44 आरआर भी नियमित तौर पर आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन कर रही थी,44 आरआर के जवानों का आतंकियों के बीच अच्छा खासा खोफ था,,44 आरआर के बहादुर जवानों ने कई आतंकियों को 72 हूरो के पास पहुचा दिया था,
30 जून 2021 के 44 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर को एक गुप्त खबर मिली जिसके अनुसार कुछ आतंकी पुलवामा के हजान नाम के गांव में पनाह लिए हुए थे,,इस खबर पर तुरंत एक्शन करते हुए कमांडिंग ऑफिसर ने अपने सैन्य दल को हजान गांव में एक तलाशी अभियान चलाने केलिए कहा,।हवलदार काशी राय को भी एक सैनिक टुकड़ी का कमांडर बनाया गया,जिसका काम अंदर जा कर आतंकियों को खोजना और उन्हे खत्म करना था,
30 जून 2021 की रात को यह अभियान शुरू किया गया ,,सभी सैन्य टुकड़ियां चुप चाप रात के अंधेरे में गांव के करीब आ गई थी ,और गांव को चारो तरफ से घेर लिया गया था,हवलदार काशी राय अपने दल के साथ आतंकियों के छिपने वाले स्थान की तरफ आगे बढ रहे थे,30 jun 2021 रात के 2 बजे वे आतंकियों के छुपने वाली जगह के बिलकुल नजदीक पहुंच गए थे,,
आतंकियों ने अपने आप को घिरा हुआ भाप लिया ,,उसके बाद उन्होंने हवलदार काशी राय के दल के ऊपर एक 47 राइफल से फायर किया और ग्रेनेड भी फेंके,ताकि वे भागने में कामयाब हो सके,
लेकिन हवलदार काशी राय ने सटीक गोला बारी करते हुए एक आतंकी को वही मौके पर ही मार गिराया,इस गोला बारी में उनको भी एक गोली आ लगी ,परंतु वे उससे भयभित नहीं हुए बल्कि आतंकियों पर काल बन कर टूट पड़े, अपने जख्मों की परवाह न करते हुए वे रेंगते हुए आगे बढ़े,और अपनी एक 47 राइफल से गोलाबारी करते रहे,जिसके कारण आतंकी पीछे हट गए ,और दल के ऊपर आया हुआ खतरा टल गया,घायल होने के कारण उनको 92 बेस हॉस्पिटल श्रीनगर में ले जाया गया , लेकिन अत्यधिक मात्रा में रक्त बह जाने और अपने घावों के कारण उन्होंने मिलिट्री हॉस्पिटल में अपनी अन्तिम सांस ली,
इंडियन आर्मी
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इस अभियान में चारो आतंकियों को मार गिराया गया,
हवलदार काशीराय एक बहादुर और समर्पित सैनिक थे, उन्होंने देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया । हवलदार काशीराय को उनके असीम बहादुरी, कर्तव्य के प्रति समर्पण, सौहार्द, निस्वार्थ भाव देश प्रेम और सर्वोच्च बलिदान के लिए 26 जनवरी 2022 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश का तीसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार "शौर्य चक्र"मरणोपरांत से सम्मानित किया गया।
हवलदार काशी राय के परिवार में उनकी पत्नी और 2 बच्चे है ,,
जय हिंद
तन समर्पित मन समर्पित और ये जीवन भी समर्पित फिर भी सोचता हु मेरे देश तुझे और क्या दु ❤️

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