मेजर अनुज सूद (Major Anuj Sood) की वीरता से भरी हुई कहानी
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हमारे देश में पीढ़ी दर पीढ़ी सेना में जाने का रिवाज है ,,अगर किसी के पिता जी भारतीय सेना में है तो उनका बेटा भी सेना में ही जाना चाहता है ,एक किस्सा है ,,कारगिल war चल रही थी ,17 जाट रेजिमेंट में एक कंपनी में पूछा गया कि हवलदार महेंद्र सिंह के गांव का कोई बंदा है ,,वो शहीद हो गए है उनकी डेड बॉडी ले कर उनके गांव जाना है,,तभी एक 18 साल का नौजवान सैनिक बोलता है सर हवलदार महेंद्र सिंह मेरा बाप है,आप इस ciz को महसूस नहीं कर सकते,,,इसके बाद वहा पर सन्नाटा था,, ये होता है त्याग ,,और समर्नपन्न ,हमारे देश में जब एक सैनिक शहीद हो जाता है तो मां ये नहीं बोलती की मैं अपने परिवार से किसी को fouj में नहीं भेजूंगी, वो बोलती है मैं अपने दूसरे बेटे को भी फ़ौज में ही भेजूंगी,,एक पत्नी अपने पति की शहादत के बाद भी अपने बेटे को भारतीय सेना में भेज देती है ,,आज फौजी नामा की इस कड़ी में मेजर अनुज सूद शौर्य चक्र की वीरता से भरी हुई कहानी ले कर आया हु,
शुरुवाती जीवन..........
मेजर अनुज सूद का जन्म 17 दिसंबर 1989 में वायु सेना हॉस्पिटल बेगलुरू में हुआ था,इनके पिता का नाम ब्रिगेडियर चंद्रकांत सूद (ईएमई)और माता का श्रीमती रागिनी सूद हैं,इनका परिवार मूल रूप सेहिमाचल प्रदेश के कांगड़ा का रहने वाला था ,ब्रिगेडियर चंद्रकांत सूद के रिटायर होने बाद वे चंडीगढ़ में रहने लगे,
इनकी एक बहन भी जिनका नाम हर्षिता है और वे भी भारतीय सेना में अधिकारी है,
मेजर सूद ने अपनी शुरुवाती पढ़ाई पंजाब पब्लिक स्कूल नाभा से पूरी की ,,मेजर सूद पढ़ाई में शुरुवात से बहुत तेज थे,, सन 2008 में इनका चयन आईआईटी के लिए हो गया था,,लेकिन इनको भारतीय सेना में जाने का शौक था,,इसलिए उन्होंने आईआईटी को छोड़कर एनडीए को चुना ,और सन 2008 में इनका चयन एनडीए के लिए हो गया और 4 साल की कढ़िन ट्रेनिंग के बाद 09 jun 2012
को ये इंडियन मिलिट्री अकादमी से पासआउट हुए,
पासआउट होने के बाद इनको 19 गार्ड रेजिमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया,
इसके बाद उन्हेंने एक युवा लेफ्टिनेंट के रूप में कई जगह अपनी ड्यूटी की ,वे जनरल 14 रैपिड के एडीसी भी रहे,,और उसके बाद 19 गार्ड रेजीमेंट के एडजुटेंट के पद पर भी ड्यूटी की,
29 सितंबर, 2017 को उन्होने हिमाचल प्रदेश को रहने वाली आकृति से शादी कर ली,,आकृति एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी ,और इनके पिता इंडियन नेवी में मरीन कमांडो थे,इसी क्रम में 04 मार्च 2018 में मेजर अनुज सूद को 21 राष्ट्रीय राइफल्स में पोस्टिंग दी गई,
21 आरआर जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में तैनात थी और लगातार आतंकी विरोधी अभियानों में लगी हुई थी,
21 आरआर ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑल आउट चलाया हुआ था,
हंदवाड़ा ऑपरेशन: 02 मई 2020
01 मई 2020 को 21 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा( सेना मेडल )को एक खुफिया जानकारी मिली ,जिसके अनुसार कुपवाड़ा जिले में वदरबाला-राजवारा के घने जंगलों में कुछ आतकी छुपे हुए थे,उन्होंने अपनी यूनिट को तुरंत एक्शन करने का आदेश दिया ,और खुद भी अपने दल के साथ सर्च ऑपरेशन में चले गए,मेजर अनुज सूद को भी एक दल के नेतृत्व का जिम्मा सौपा गया,,इस अभियान में सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों ने भी हिस्सा लिया था,सभी सुरक्षा बलों ने 01 मई 2020 को एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया, जिसमें सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान शामिल थे। सर्च अभियान में कुछ nhi मिला ,आतंकी वहा से पहले ही निकल चुके थे
जब मेजर अनुज सूद, सीओ कर्नल आशुतोष शर्मा और अन्य सैनिकों उस सर्च अभियान से वापस लौट रहे थे ,,उसी समय एक और गुप्त सूचना मिली जिसके अनुसार लगभग 4 आतंकी हिंदवाड़ा के चंजिमुल्ला इलाके में शरण लिए हुए थे,और आतंकियों ने एक घर की लोगो को बंधक बना लिया है,मेजर अनुज सूद अपने दल के साथ बताए गए इलाके के पास गए,,और घेरा बंदी शुरू की,आतंकी 2 घरों में छुपे हुए थे, मौके की नजाकत को समझते हुए खुद कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष भी मौके पर मौजूद थे,
आतंकियों ने सैन्य दल के ऊपर गोलाबारी शुरू कर दी,
दोनो तरफ से भारी गोला बारी शुरू हो गई,
इस गोलाबारी के बीच मेजर अनुज सूद ने बंधक बनाए हुए लोकल लोगो को आतंकियों से छुड़वा दिया ,आतंकियों ने बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक हथियारों से फायरिंग की ,,इस गोला बारी में मेजर अनुज सूद सहित कर्नल आशुतोष शर्मा, नायक राजेश कुमार और लांस नायक दिनेश सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए,, अत्याधिक मात्रा में रक्त बह जाने के कारण इस सब ने अपने प्राण त्याग दिए,,और वीर गति को प्राप्त हुए, मेजर सूद ने केवल 30 साल की आयु में देश के लिये अपना सर्वोच्च बलिदान दिया ,
मेजर अनुज सूद को अनके सर्वोच्च बलिदान के लिये शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया ,
जय हिन्द
जय हिन्द
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