कारगिल युद्ध की कहानी: भारतीय सेना के साहस की गाथा

 कारगिल युद्ध कहानी विजय की ,ऑपरेशन विजय

कारगिल युद्ध
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सन 1999 में पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने मिलकर बर्फीले और सर्द मौसम का फायदा उठाकर भारत की कुछ चौकियां जोकि नियंत्रण रेखा के बिल्कुल करीब थी उन पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने खाली पड़ी हुई चौकियों पर धोखे से अपना कब्जा कर लिया था यह चौकिया बर्फीले मौसम में अधिक ऊंचाई पर होने के कारण भारतीय सैनिकों द्वारा खाली कर दी जाती थी और बर्फ पिघलने पर भारतीय सेना वापस अपनी चौकियों पर जाकर बैठ जाती थी। पाकिस्तानी सेना ने इस बात का फायदा उठाया और उन्होंने धोखे से इन चौकियों पर कब्जा कर लिया था
पाकिस्तानी सेना ने तकरीबन 5000 सैनिकों के साथ भारतीय चौकियों पर कब्जा जमा लिया था। इस बात का पता जब भारत सरकार को चला तो तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना को कड़े निर्देश दिए और भारतीय सेना ने इस अभियान को ऑपरेशन विजय का नाम दिया

इस अभियान मेंindian armyको काफी नुकसान उठाना पड़ा भारतीय सेना के कई जवान शहीद हो गए थे, लेकिन एक के पीछे एक जवान खड़ा था उनकी बहादुरी को देख कर पूरे देश में उनके लिए गर्व और इज्जत का माहौल था ,मानो उस समय पूरा हिंदुस्तान एक हो गया हो,भारत की जनता हिन्दू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई भूल कर एक साथ ही गई थी , जहां कहीं से भी सेना का काफिला निकलता लोग भारत माता की जय और वीर सैनिकों की जय के नारों के साथ उनका फूल मालाओ से सम्मान करते थे,जिससे देश के सैनिक भी जोश में भर कर उनके अभिवादन को स्वीकार करते थे। सच में ऐसा दर्शन करना भी सबके नसीब में नहीं होता ,जब देश के हजारों वीर जवान देश के लिए लडने जा रहे हो ,ये अद्भुत दृश्य भी किसी किसी को ही नसीब होता है , मुझे ऐसा लगता है कि जैसे इस दृश्य को देखना और भगवान के दर्शन करना एक ही बात है,इस पर मुझे पुस्प की अभिलाषा नाम की कविता याद आती हैं जो मैंने अपने बचपन में किताबो में पढ़ी थी,उस समय तो मुझे उसका अर्थ समझ नहीं आता था लेकिन आज पुस्प की अभिलाषा ,,को मैं अपनी अभिलासा समझता हूं,
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""आ चीर मेरी छाती और देख!
क्या जूनून रखता हूँ।
जिस्म पर बस वर्दी नहीं,
दिल में वतन रखता हूँ।
देश के लिए कुर्बान हो जाना नसीब से मिलता है,
इसलिए संग में थोड़ी मिट्टी और कफ़न रखता हूँ।
जय हिंद 🇮🇳🙏🇮🇳

घटनाक्रम(प्रमुख घटनाएं)


3 मई 1999 को ताशी नामग्याल नामक एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की खबर दी, ताशी कारगिल के बटालिक सेक्टर में अपने एक याक के बच्चे की तलाश कर रहे जो झुंड से अलग हो गया था, ताशी पहाड़ियों पर चढ़कर उस याक के बच्चे को खोज रहे थे, अचानक उन्होंने कुछ संदिग्ध लोगों को देखा जो हथियारों से लेंस थे वह चुपचाप वहां से नीचे indian army के कैंप में आए और उन्होंने इसकी जानकारी भारतीय सेना को दी!यही से कारगिल वॉर की शुरुवात हुई

05 मई 1999

5 मई 1999 भारतीय सेना को जब एक चरवाहे के द्वारा घुसपैठ की जानकारी दी गई उसके बाद indian army ने एक पेट्रोलिंग पार्टी निकाली और जब भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम वहां पहुंची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से पांच सैनिकों की निर्मम हत्या कर दी!

09 मई 1999

9 मई 1999 को पाकिस्तानी सेना द्वारा भारी आर्टलरी फायर किया गया, जिससे कारगिल में स्थित भारतीय सेना का आयुध भंडार (अमनेशन डम्प) नष्ट हो गया,

10 मई1999

10 मई 1999 को पहली बार द्रास, काकसारन, और मश्कोह रैली में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया। इसके बीच ही भारतीय सेना ने अपनी सेना जो कश्मीर वैली में थी उनको कारगिल सेक्टर में मूव करने का आदेश दिया।
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14 मई 1999

10 मई को घुसपैठियों के नजर में आ जाने के बाद, भारतीय सेना की 4 जाट रेजीमेंट ने अपनी एक टुकड़ी को रेकी के लिए भेजा, इस दल का नेतृत्व कैप्टन सौरभ कालिया कर रहे थे, उनकी टुकड़ी में 5 जवान और शामिल थे कैप्टन सौरभ कालिया की टुकड़ी जब वहां पहुंची तो घुसपैठियों ने कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथियों का अपहरण कर लिया जिसके बाद उन्होंने कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथियों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी और उनके शवों को क्षत-विक्षत कर दिया था जोकि पाकिस्तानी सेना द्वारा की हुई एक बहुत ही शर्मनाक घटना थी।


25 मई1999

25 मई 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुएदेश को कारगिल में हुई पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ के बारे में जानकारी दी। और उन्होंने कहा कि हम अपनी 1 इंच जमीन तक किसी को लेने नहीं देंगे।और इस घुसपैठ का कड़ा जवाब दिया जाएगा,


26 मई 1999

26 मई 1999 को भारतीय एयरफोर्स को घुसपैठियों के खिलाफ कार्यवाही का आदेश दिया गया।
इस कार्यवाही को पूरा करने के लिए श्रीनगर और पठानकोट एयरबेस में भारतीय सेना के लड़ाकू विमान हाई अलर्ट पर कर दिए गए। इस कार्रवाई में मिग-21 और mig-27 , एम आई 17 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया।

27 मई 1999

27 मई 1999 को भारतीय वायुसेना के दो लड़ाकू जहाज मिग-21 और मिग -27, पाकिस्तानी सेना के एयर डिफेंस द्वारा मार गिराये गए, इस घटना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को पाकिस्तानी सेना द्वारा बंदी बना लिया गया ।हालाकि बाद में सरकार के प्रयासों के कारण पाकिस्तान को उनको छोड़ना पड़ा,और दूसरे लड़ाकू विमान में स्क्वाडन लीडर ए आहूजा वीरगति को प्राप्त हुए।

01 जून 1999

भारतीय सेना की कार्यवाही से बौखला कर पाकिस्तानी सेना ने नेशनल हाई वे 01 जो कि लेह को श्रीनगर से जोड़ता है पर भारी मात्रा में आर्टलरी फायर शुरू कर दिया,

05 जून1999

O5 जून1999 को भारतीय सेना ने मारे गए घुसपैठियों के पास से पाकिस्तानी रेंजर्स के कुछ कागजात बरामद किए जिससे यह साबित होता था कि वहां पर मौजूद घुसपैठिए पाकिस्तानी सेना के जवान है। भारतीय सेना ने अपनी जमीन से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए पूरी ताकत से कार्यवाही शुरू कर दी थी 3 दिनों के कठिन संघर्ष के बाद 9 जून को बटालिक सेक्टर में दो चौकियों पर भारतीय सेना का कब्जा हो गया।
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13 जून 1999

13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में सबसे ऊंची चोटी तोलोलिंग पर भी अपना कब्जा कर लिया,
तोलोलिंग चोटी पर कब्जा करने के लिए भारतीय सेना को काफी नुकसान उठाना पड़ा भारतीय सेना के कई जवान शहीद हो गए थे,

15 जून1999

यूएस के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने फोन से पाकिस्तानी प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ़ से बात कही और उनको कारगिल से अपनी सेना वापस लेने के लिए कहां।

29 जून 1999

पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों की वॉटर सप्लाई और खाने की सप्लाई को पकिस्तान की तरफ से बंद कर दिया गया,भारतीय सेना ने भी अपनी मुहिम को तेज कर दिया था,29 जून को ही भारतीय सेना ने टाइगर हिल के प्वाइंट 5060 और प्वाइंट 5100 पर अपना कब्जा कर लिया था,

04 जुलाई 1999

02 जुलाई 1999 को भारतीय सेना द्वारा कारगिल पर तीन तरफ से हमला बोला गया और भारतीय सेना ने कठिन अभियान के बाद 04 जुलाई 1999 को कारगिल की सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल पर अपना झंडा फहराया था,अब भारतीय सेना ने चारो तरफ से घेर कर दुश्मन पर हमला बोला था,जिसमें भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान ,और तोप खाना रेजिमेंट उनके लिए वरदान साबित हो रहे थे।
इसके अगले चरण में 05 जुलाई को द्रास सेक्टर पर भी भारतीय सेना का कब्जा हो गया था,और 07 जुलाई 1999 को भारतीय सेना में बटालिक सेक्टर में जुबरी हिल पर भी तिरंगा फहरा दिया था।
भारतीय सेना की असीम शौर्य को देखकर पाकिस्तानी सेना के पैरो के नीचे से जमीन खिसक रही थी,
और वे वापस पीछे की तरफ भाग रहे थे।
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11 जुलाई 1999

11 जुलाई 1999 को भारतीय सेना बटालिक पर भी अपना कब्जा करने में सफल रही और वहां से पाकिस्तानी रेंजर्स को भगाते हुए देखा गया,

14 जुलाई 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने ऑपरेशन विजय के सफल होने की जानकारी देश को दी,उसके बाद 26 जुलाई 1999 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के पूर्णतया सफल होने की बात कही, और इसकी आधिकारिक घोषणा की,



इस युद्ध में भारत के 30000 सैनिकों ने भाग किया जिसमें से 527 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए,1363 भारतीय सैनिक युद्ध में घायल हो गए,
कारगिल युद्ध में 04 सैनिकों को परमवीर चक्र जिसमें 02 को मरणोपरांत और 02 सैनिकों को जीवित रहते ही यह पुरस्कार दिया गया और 11 सैनिकों को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया,,

इस युद्ध में वीरगति प्राप्त करने वाले सैनिकों कि याद में कारगिल में एक युद्ध स्मारक बनाया गया है,हम और हमारे देश की आने वाली पीढ़ियां इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को हमेशा याद रखेंगे,और उन शहीदों कि शहादत को हमेशा
याद रखेंगे,
जय हिन्द वन्दे मातरम्





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