कर्नल रिंचेन चेवांग (महावीर चक्र, दो बार)(,सेना मेडल)

 कर्नल रिंचेन चेवांग (महावीर चक्र, दो बार)(,सेना मेडल)

                   
''शौर्य साहस का तू चन्दन है ,,,,,,
                        हे!!!!!!मात्रभूमि के महा वीर  तुम्हारा वंदन है ,,,
कर्नल रिंचेन चेवांग
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                कर्नल रिंचेन चेवांग भारतीय सेना के वो बहादुर सैनिक है जिनको महावीर चक्र से दो बार सम्मानित किया गया है,कर्नल रिंचेन चेवांग को """लॉयन ऑफ लद्धाख""के नाम से भी जाना जाता हैं,कर्नल रिंचेन चेवांग को 1962 के भारत चीन 
युद्ध में भी वीरता पुरस्कार सेना मेडल से सम्मानित किया गया था,
 रिंचेन चेवांग ने सेना में भी भर्ती होने से पहले ही ,अपनी मिट्टी के लिए लड़े ,,और असीम शौर्य का प्रदर्शन किया,जिसके लिए इनको महावीर चक्र से पहली बार सम्मानित किया,दूसरी बार 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में वीरता के प्रदर्शन और कुशल नेतृत्व  लिए इनको दूसरी बार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया,कर्नल रिनचेन उन 06 भारतीय सैनिको में से एक हैं जिनको महावीर चक्र से दो बार सम्मानित किया गया है


कर्नल रिनचेन का जन्म लद्दाख की नुब्रा घाटी के सुमुर गांव में 11 नवंबर 1931 हुआ था, साल 1948 में पाकिस्तानी सेना और कबायली लड़ाकों ने भारत पर आक्रमण कर दिया था,जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में युद्ध छिड़ा हुआ था,कारगिल पर पाकिस्तानी कबायली लड़ाकों का कब्जा हो गया था,और वे लेह की तरफ बढ़ रहे थे,लेह में भारतीय सेना की मौजूदगी बहुत कम थी, मई 1948 में  जब कबायली लड़ाके लेह पहुंच गए तो लेफ्टिनेंट कर्नल पृथ्वी चंद ने कबायली लड़ाको से लडने के लिए स्थानीय लोगों से मदद मांगी,जिसमें से एक 17 साल का लड़का मदद के लिए सबसे पहले आगे बढ़ा, उसी 17 साल के लड़के का नाम था "" रिंचेन चेवांग'",

रिंचेन चेवांग के साहस को देखकर 28 और स्थानीय लोग 
कबायली लड़ाको से लडने के लिए आगे आए,इस सब वॉलंटियर्स को बेसिक ट्रेनिंग दी गई,और इस दल का नाम रखा गया""नुब्रा गार्ड्स""
नुब्रा गार्ड्स के बहादुर लोगो ने 1948 के युद्ध में असीम शौर्य का प्रदर्शन किया और पाकिस्तानी लड़कों को तब  तक रोके रखा जब तक भारतीय सेना की मदद के लिए लेह  नहीं पहुंच गई,रिंचेन चेवांग ने इस युद्ध में गजब का युद्ध कौशल और अद्भुत वीरता का प्रदर्शन किया,

रिंचेन चेवांग के मदद से भारतीय सेना ने 17000 फिट की ऊंचाई पर स्थित लामा हाउस पर कब्जा कर लिया था,
रिंचेन चेवांग के इस युद्ध कौशल और साहस को देखकर भारतीय सेना के अफसर भी दंग रह गए थे,इसके बाद दिसंबर 1948 में बैगाडंगडो के पास एक ऊंची चोटी को भी भारतीय सेना ने अपने कब्जे में के लिया था,रिंचेन चेवांग सेना के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल रहे थे,और एक अत्यंत दुर्गम पहाड़ी चौकी जिसकी समुन्द्र तल से ऊंचाई लगभग 21000 फीट थी,जिसका नाम तुक्कर हिल था ,तुक्कर हिल पर बर्फ से कारण लड़ाई लड़ना आसान नहीं था ,दल के काफी सैनिक बर्फ के कारण बीमार पड़ गए थे,लेकिन रिंचेन चेवांग की अगुवाई में तुक्कर हिल पर भी कब्जा कर लिया गया,17 साल के उस लड़के की बहादुरी , देशभक्ति,नेतृत्व क्षमता को देखते हुए रिंचेन चेवांग को भारतीय सेना में जूनियर कमीशन ऑफिसर बनाया गया, और उन्हें वीरता के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, इसके बाद रिंचेन चेवांग ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी हिस्सा लिया और उस युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,इस युद्ध में भी रिंचेन
को उनकी बहादुरी के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया था,
कर्नल रिंचेन चेवांग
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1964 में कर्नल रिंचेन चेवांग ने भारतीय सेना में लद्दाख स्काउट में स्थाई कमीशन लिया और सेकंड लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लद्दाख स्काउट में अपनी कंपनी का नेतृत्व कर रहे थे,
इस लड़ाई में कर्नल रिंचेन चेवांग और उनके जवानों ने 804  वर्ग किलोमीटर का  इलाका पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त करा लिया था जिसमें तुर्तुक गांव भी शामिल था, जो कि इस युद्ध के लिए बहुत महत्वपूर्ण था , 1971 के भारत-पाकिस्तान में कर्नल रिंचेन चेवांग के  कुशल नेतृत्व और साहस और देश प्रेम के लिए एक बार फिर से वीरता के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया,
1984 में कर्नल रिंचेन चेवांग सेना से रिटायर हो गए और
01 जुलाई 1997  भारत मा के इस वीर सपूत ने हमेशा के लिए अपनी आंखे मूंद लीं,
 कर्नल रिंचेन चेवांग भारतीय सेना में कमीशंड ऑफिसर बनने वाले नुब्रा घाटी के पहले व्यक्ति थे.
 21 अक्टूबर, 2019 में लद्दाख में श्योक नदी पर एक पुल बनाया गया है,जिसका नाम कर्नल रिंचेन चेवांग पुल रखा गया है,
कर्नल रिंचेन चेवांग
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महान सैनिक को मेरा सत सत नमन, 
जय हिन्द जय मा भारती,,
किसी से क्या खूब लिखा है,,इस क़दर जानती है मेरी कलम मेरे जज़्बातो को कि अगर महबूब भी लिखूं तो हिन्दुस्तान लिखा जाता हैं




रायफल मैन बदलू राम

असम रेजिमेंट
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रायफल मैन बदलू राम
बदलू राम का बदन जमी के निचे है;;;इसिलए हमें उसका राशन मिलता है ,
आसाम रेजिमेंट का यह ग्रुप सॉन्ग आप लोगो में से शायद बहुत कम लोगो ने सुना होगा, पिछले ७० सालो से यह गीत आसाम रेजिमेंट की शान है ,और बहुत जोश और उत्साह के साथ यह रेजिमेंट गीत गया जाता है ,सन १९४६ में मेजर म. टी. प्रोक्टर ने रायफल मैन बदलू राम के सम्मान में यह गाना बनाया था
,आज इस गाने बोल बदलू राम के बारे ने जानकारी हासिल करेंगे;बदलू राम ब्रिटिश भारतीय सेना में सिपाही थे और दुसरे विश्व युद्द में जापानी सेना से लड़ते हुए शहीद हो गये थे

रायफल मैन बदलू राम असम रेजिमेंट की पहली बटालियन में सिपाही (रायफल मैन) के पद पर तैनाद थे ,दुसरे विश्व युद्द में पहली आसाम रेजिमेंट को जापान के खिलाफ लड़ने के लिये कोहिमा में भेजा गया था ,इस युद्द में गोली लगने के कारण वीरगति को प्राप्त हो गये थे ,वे वीरगति को प्राप्त हो गये परन्तु कंपनी क्वार्टर मास्टर उनका नाम लिस्ट से हटाना भूल गया और ना ही उसकी जानकारी आगे दी जिसकी वजह से राइफलमैन बदलू राम का राशन हर महीने आता रहा और वह राशन जमा होता रहा,06 अप्रैल 1946 को द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की सेना ने ब्रिटिश भारतीय सेना की सप्लाई को कट कर दिया,जिसकी वजह से आसाम रेजिमेंट की राशन और पानी की आपूर्ति रुक गई, लेकिन बदलू राम की कंपनी के पास राशन जमा होने के कारण वह कई दिनों तक उस राशन से लड़ते रहे,
जिससे बदलू राम की कंपनी कई दिनों तक जिंदा रह सकीं, सन 1946 में आसाम रेजीमेंट के एक मेजर ने बदलू राम के सम्मान में एक गीत बनाया यह गीत अमेरिका के मार्चिंग सॉन्ग जॉन ब्राउन बॉडी से प्रेरित होकर बनाया गया था यह गाना अमेरिका के गृह युद्ध के समय बहुत मशहूर हो गया था, इस गाने के बोल इस प्रकार हैं
"""""""
असम रायफल्स
image source pinterest

"""""
"""बदलूराम का बदन जमीन के नीचे है तो हमें उसका राशन मिलता है एक एक खूबसूरत लड़की थी उसको देखकर राइफलमैन चिंदी खींचना भूल गया. हवलदार मेजर देख लिया उसको पिट्ठू लगाया बदलू राम एक सिपाही था वह तो वार में मर गया क्वार्टर मास्टर स्मार्ट था उसने राशन निकाला बदलू राम का बदन जमीन के नीचे है तो हमें उसका राशन मिलता है शाबाश हालेलुया हालेलुया तो हमें उसका राशन मिलता है!!!!!!




इस गीत को सुनकर दिल में एक जोश भर जाता है और साथ ही बढ़ जाती है दिल में इज्जत अपने देश के सिपाहियों के लिए जो कि बुरे से बुरे हालात में रहकर भी खुश रहना जानते हैं!!!

जय हिंद जय भारत










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