बॉर्डर' के असली नायक ब्रिगेडियर कुलदीप चांदपुरी
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ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी(महावीर चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल) इस नाम से तो आप लोग वाकिफ होंगे ही,और अगर नही है तो शायद ये मेरे देश का दुर्भाग्य है, क्यो कि हमारे देश मे जो सिनेमा में नकली खून बहाते है उनका नाम तो हर कोई जानता है,परंतु जो जवान हमारे लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं उनके नाम को कोई जानता,
आज एक ऐसे ही वीर सपूत की वीरता से भरी हुई कहानी आप लोगो के बीच ले कर आया हु ,मेरी कोशिश है की ये आग जलनी चाहिए मेरे सीने में न सही तेरे सीने में ही सही लेकिन ये आग जलनी चाहिए,,ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी(महावीर चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल) इस नाम को तो आप में से कई लोग नहीं जानते होंगे लेकिन बॉलीवुड की बॉर्डर फिल्म में सन्नी देओल ने इसी वीर सपूत का किरदार निभाया था,
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी(महावीर चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल) को ही 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध me लोंगेवाला का हीरो कहा जाता है, और उनकी वीरता और नेतृत्व क्षमता के ऊपर ही बॉर्डर फिल्म बनाई गई है
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हवलदार अनिल कुमार तोमर शौर्य चक्र |
हवलदार हंगपन दादा,(अशोक चक्र) |
मेजर शैतान सिंह मराठी माहिती |
हाइफा का युद्ध |
बाना सिंह |
हरियाणा में कौन परमवीर चक्र विजेता है |
शुरुवाती जीवन .........
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी(महावीर चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल) का जन्म 22 नवम्बर 1940 को punjab में हुआ था,इनके पिता का नाम सरदार वतन सिंह था,उन्होंने अपनी स्नातक की परीक्षा होशियार पर के सरकारी कॉलेज से पास की,वह एनसीसी के सदस्य भी थे,स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद सन 1962 में श्री कुलदीप सिंह जी भारतीय सेना में भर्ती हो गए ,उन्होंने ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी चेन्नई से कमीशन प्राप्त किया,और उनको 23 वी पंजाब रेजिमेंट में बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया,इसके बाद उन्होंने 1965 के युद्ध में भाग लिया,युद्ध समाप्त होने के बाद इनको, रेजिमेंट के साथ संयुक्त राष्ट्र के लिए तैनात किया गया, जिसके दौरान वे गाजा में कार्यरत थे, संयुक्त राष्ट्र में ड्यूटी का टर्नओवर समाप्त होने के बाद वे महू के इन्फैंट्री स्कूल में बतौर इंस्ट्रक्टर तैनाद रहे,IMAGE SOURECE GOOGAL |
1971 india pak war ,,,,,,,,,,,
सन 1971 में भारत पाकिस्तान में फिर से युद्ध छिड़ गया था ,उस समय कुलदीप सिंह मेजर के पद पर तैनाद थे ,और वह 23 पंजाब की एक कम्पनी के कम्पनी कमांडर के पद पर कार्यरत थे,वह अपने 120 जवानों के साथ लोंगेवाला पर डटे हुए थे,04 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने बड़ी संख्या में बख्तरबंद (टैंक) गाड़ियों के साथ लोंगेवाला पर हमला बोल दिया था,पाकिस्तानी सेना का एक बड़ा दल जो तकरीबन 58 टैंक और बड़ी संख्या में जवान ले कर लोंगेवाला की तरफ बढ़ रहे थे,उनका प्लान था की नाश्ता लोंगेवाला में,दिन का खाना रामगढ़ में और रात का खाना जैसलमेर में होगा,लेकिन पाकिस्तानी सेना इस बात से अनजान थी की लोंगेवाला पोस्ट पर मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी अपने 120 बहादुर जवानों के साथ उनका इंतजार कर रहे हैं,जैसे ही मेजर कुलदीप सिंह को पाकिस्तानी सेना के आने की खबर लगी ,तो उन्होंने पीछे अपने रेजिमेंट हेडक्वार्टर (जो की रामगढ़ में था ) को इनफॉर्म किया ,उसके बाद रेजिमेंट हेडक्वार्टर ने उनको कहा की जो आपको ठीक लगे वह करो, हेड क्वार्टर ने फैसला मेजर कुलदीप सिंह के ऊपर छोड़ दिया था ,मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने अपने मुट्ठी भर सैनिकों को ललकारा और उनको पाकिस्तानी सेना का मुकाबला करने के लिए प्रेरित किया,उनके साथी सैनिकों ने जब उनसे कहा की पाकिस्तानी सेना संख्या में उनसे कई गुना है तो मेजर कुलदीप सिंह में गुरु गोविंद सिंह जी की याद दिलाई ,
उनके अद्भुत साहस और नेतृत्व क्षमता से उनके साथी सैनिक भली भांति परिचित थे,और इसके साथ ही 23 पंजाब के ये मुट्ठी भर सैनिक पाकिस्तान के एक बिग्रेड से जा भिड़े,और उनको नाकों चने चबवा दिए,पूरी रात भंयकर गोला बारी हुई ,दोनो तरफ से गोलियां चल रही थी,मेजर कुलदीप सिंह जी को पाकिस्तानी सेना को रात भर वही रोककर रखना था ,क्यूकी सुबह पहली किरण के निकलते ही भारतीय वायु सेना के फाइटर प्लेन उनकी मदद के लिए आने वाले थे,मेजर कुलदीप सिंह जी के नेतृत्व में भारतीय सेना के जवान """ जो बोले सो निहाल,,,,,, सत श्री अकाल का युद्ध घोष करते हुए पाकिस्तानी सेना पर रण चंडी बन कर टूट पड़े थे,पूरी रात भयानक युद्ध चला और सुबह पहली किरण के होते होते मेजर कुलदीप सिंह जी के नेतृत्व में भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी ने पाकिस्तानी सेना ने 12 टैंक बर्बाद कर दिए थे और पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था , सुबह होते ही पाकिस्तानी सेना का लोंगेवाला पहुंच कर नाश्ता करने का सपना बस एक सपना बन कर रह गया था,अब भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान में मेजर कुलदीप सिंह की मदद के लिए आ गए थे,
तो इस प्रकार 23 पंजाब के मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और उनके 120 सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी,इस युद्ध के बाद मेजर कुलदीप सिंह को लोंगेवाला का हीरो कहा जाने लगा,
भारत सरकार ने मेजर कुलदीप सिंह की वीरता ,असीम साहस , अद्भुत नेतृत्व क्षमता ,और निस्वार्थ देश प्रेम के लिए उनकी महावीर चक्र से सम्मानित किया,1971 के युद्ध के बाद भी मेजर कुलदीप सिंह जी ने भारतीय सेना में अपनी सेवाए जारी रखी,और वे ब्रिगेडियर के पद से रिटायर हुए जिसके दौरान उनको विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया
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,17 नवंबर 2018 को भारत माता के इस वीर सपूत ने अपनी आखरी सांस ली,
भारतीय सेना के इस वीर सैनिक का हमारा देश हमेशा ऋणी रहेगा ,और इस देश की आने वाली पीढ़ीयां गर्व से उनकी वीर गाथा को सुनेंगी,
जय हिंद जय भारत
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