Grenadier Yogendra Singh Yadav (Param Vir Chakra) Indian Army kept fighting even after getting 19 bullets( ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव(परमवीर चक्र)
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भारत में एक सैनिक 17 साल की उम्र में सेना में भर्ती हो जाता हैं,जिस उम्र में लड़के अपने स्कूल की किताबों का बोझ नहीं उठा पाते ,उस उम्र में एक सैनिक के कंधे पर देश की सुरक्षा का जिम्मा आ जाता हैं,और वह सैनिक बहुत ही ईमानदारी और सच्चाई के साथ उस जिम्मेदारी को पूरा करता है,जरूरत पड़ने पर एक सैनिक अपनी जान की बाज़ी लगाने से भी पीछे नहीं हटता है,,आज एक ऐसे ही सैनिक की कहानी लिखने जा रहा हूं, जिसने केवल 19 साल के आयु और केवल ढाई साल की सर्विस में देश के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की,17 गोलियां लगने के बाद में भी लड़ते रहे ,और दुश्मन को मजबूर कर दिया भारत की जमीन से पीछे हटने के लिए,तो चलते हैं पढ़ते है ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव(अब सूबेदार मेजर) की वीरता और देश प्रेम की ये अद्भुत कहानी!!!!!!!!!!!!!!!
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योगेन्द्र सिंह यादव indian army के सबसे कम उम्र में परम वीर चक्र प्राप्त करने वाले सैनिक है,इन्होंने मात्र 19 साल के उम्र में वीरता का सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र प्राप्त कर लिया था,Yogendra Singh Yadav ने 04 जुलाई 1999 में KARGIL WAR (ऑपरेशन विजय) के दौरान 15 गोलियां लगने के बावजूद भी असीम शौर्य का प्रदर्शन किया था जिसके लिए इनको भारत सरकार द्वारा परमवीर चक्र प्रदान किया गया,
शुरुवाती जीवन
श्री Yogendra Singh Yadav का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलदशहर के औरंगाबाद अहिर गांव में 10 जून 1980 में हुआ था, इनके पिता का नाम श्री करन सिंह यादव था,इनके पिता करन सिंह यादव ने भी भारतीय सेना कीKUMAOU REGIMENT में अपनी सेवाएं दी थी, करन सिंह यादव ने 1965 और 1971 के युद्ध में भी हिस्सा लिया थाघर में सैनिक माहौल होने के कारण श्री योगेन्द्र सिंह यादव का झुकाव भी भारतीय सेना की तरफ हो गया था,
शुरुवाती शिक्षा पूरी करने के बाद केवल 16 साल 05 महीने के आयु में योगेन्द्र सिंह यादव भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स ग्रुप में भर्ती हो गए थे,ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उनको 18 ग्रेनेडियर रेजिमेंट में बतौर ग्रेनेडियर नियुक्ति मिली,अब योगेंद्र सिंह यादव ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव बन गए थे,
1999 कारगिल का युद्ध(KARGIL WAR OPRATION VIJAY)
1999 में पाकिस्तानी सेना ने कुछ आतंकवादियों के साथ मिलकर KARGIL की ऊंची चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया था,और indian army ने उनको वापस खदेड़ने के लिए कमर कस ली थी,इसी अभियान को पूरा करने के लिए 18 ग्रेनेडियर रेजिमेंट को KASHMIR वैली से द्रास सेक्टर मूव करने का हुक्म मिल चुका था, और 18 ग्रेनिडयर्स को तोलोलिंग चोटी से दुश्मन को खदेड़ने का जिम्मा दिया गया था,तोलोलिंग शब्द बोलने में जितना मुश्किल हैं इस पर कब्ज़ा करना उससे बहुत मुश्किल था, यहां पर दुश्मन एक बड़ी संख्या में मौजूद था,जब 18 ग्रेनिडयर्स की टुकड़ी ने तोलोलिंग चोटी की तरफ एडवांस किया ,तो दुश्मन ने इनकी टुकड़ी पर भारी हथियारों से फायरिंग की ,,इस अभियान में 18 ग्रेनिडयर्स ने आखिरी में तोलोलिंग पर कब्जा तो कर लिया था,लेकिन उनके 02 ऑफिसर 02 जेसीओ और 21 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे,इस अभियान के दौरान Yogendra Singh Yadav प्रत्यक्ष रूप में तो अभियान का हिस्सा नहीं थी मगर वह इस अभियान में अपने साथियों तक (जो तोलोलिंग पर लड़ रहे थे) गोला बारूद और खाने पीने का समान पहुंचा रहे थे,ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव बिना थके बिना रुके भारी गोला बारी के बीच अपना कार्य बहुत अच्छे से कर रहे थे,जिससे उनकी बहुत प्रशंसा हुई,तोलोलिंग चोटी पर कब्जे के बाद ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को 18 ग्रेनेडियर की घातक पल्टून में जगह मिल गई,Image source wikipedia |
TIGER HILL WAR
तोलोलिंग चोटी पर कब्जे के बाद 18 ग्रेनेडियर रेजिमेंट को टाइगर हिल पर कब्जा करने का जिम्मा सौंपा गया था, टाइगर हिल 16500 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक दुर्गम चौकी थी,जिस पर कब्ज़ा करना बहुत ही मुश्किल कार्य था,18 ग्रेनेडियर रेजिमेंट की 03 टुकड़ियां अगल अगल दिशाओं में निकल चुकी थी टाइगर हिल पर कब्जा करने के उद्देश्य के साथ,ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव घातक प्लाटून का हिस्सा था ,घातक प्लाटून को टाइगर हिल के दाहिने तरफ से ऊपर चढ़ना था, जो कि 90 डिग्री की खड़ी चढ़ाई थी,इस पर चढ़ाई करना बहुत मुश्किल काम था ,लेफ्टिनेंट बलवान सिंह के नेतृत्व में घातक प्लाटून 90 डिग्री की खड़ी दीवार पर चढ़ने को तैयार थी, सर्वदा शक्तिशाली और भारत माता की जय के युद्ध घोष के साथ 18 ग्रेनेडियर का ये दल निकल चुका था टाइगर हिल पर भारतीय झंडे को फहराने के मकसद से, रात के घुप्प अंधेरे में लेफ्टिनेंट बलवान सिंह के नेतृत्व घातक प्लाटून आगे बढ़ रही थी,पाकिस्तानी सेना की जरा भी आभास नहीं था कि इस तरफ से भी कोई ऊपर आ सकता है,लेकिन जो असम्भव को सम्भव करे उसका नाम है INDIAN ARMY!: 02 रात और एक दिन चलने के बाद ये दल TIGER HILL के बिलकुल नजदीक पहुंच गया,नजदीक पहुंचते ही दुश्मन की सेना ने दल के ऊपर गोला बारी शुरू कर दी,,वहा पर सबको आदेश मिला की चुपचाप अपने आप को छुपा लो,रात होने का इंतजार करो,जब रात हो गई और दुश्मन के फायर में फसे दल को वापस पीछे लाया गया,उसके बाद निर्णय लिया गया कि टाइगर हिल कर हमला बोला जाए,ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव घातक दल के गाइड चुने गए,उनके दल में उनके नाम के एक और साथी भी थे जो उनके साथ साथ चल रहे थे,जब इनका दल टाइगर हिल के बिलकुल करीब आ गया था तब एक खड़ी चट्टान को पार करते समय दल दुश्मन की नजर में आ गया, ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव और उनके 06 साथी ही उस खड़ी चट्टान को पार कर पाए थे तब तक पाकिस्तानी सेना ने इनके दल पर भारी हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी,जिससे बाकी का दल ऊपर नहीं पहुंच पाया,ऊपर चोटी पर पहुंचते ही दोनों तरफ से भयानक गोला बारी शुरू हो गई थी।टाइगर हिल केवल 50 मीटर की दूरी पर था ,पर वहां तक पहुंचना आसान नहीं था,दोनों तरफ से भयानक गोला बारी हो रही थी,ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव और उनके साथियों का एमुनेशन(गोलियां) खत्म होने वाला था ,ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव और उनके साथियों ने गोला बारी बंद कर दी,जिससे पाकिस्तानी सेना को लगा कि शायद भारतीय जवान मारे जा चुके हैं,जब पाकिस्तानी सेना के 10 से 12 जवान ऊपर से नीचे ये देखने आए की भारतीय सेना के जवान मारे जा चुके हैं,तब ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव और उनके साथियों ने अचानक फायर करके दुश्मन को मार गिराया और उनका हथियार और एमुनेशन(गोला बारूद) छीन लिया और फिर से दुश्मन पर फायर शुरू कर दिया;लेकिन दुश्मन की संख्या वहां पर ज्यादा थी ,पाकिस्तानी सेना ने अपने सभी हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी,और एक एक करके indian armyके जवान वीरगति को प्राप्त हो गए,, ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव भी बुरी तरह से घायल हो गए थे,जब भारतीय दल के तरफ से गोला बारी बंद हो गई तब दुश्मन सैनिक निकल कर आए और देखने लगे कि कोई जिंदा तो नहीं बचा है,वे सभी मरे हुए जवानों के शरीर में गोलियां मार रहे थे,ताकि अगर कोई बचा हो तो वो भी मर जाए,जब वे ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव के पास आए उन्होंने इनके शरीर में भी गोलियां मारी ,लेकिन एक देश प्रेम ही था जो ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव को मरने नहीं दे रहा था,उनके शरीर में तकरीबन 15 गोलियां लग चुकीं थीं ,हाथ टूट गया था,उन्होंने एक बार फिर से अपने आप को इक्कठा किया और दुश्मन सैनिक के ऊपर ग्रेनेड फेंक दिया,जिससे दुश्मन सेना में खलबली मच गई उन्होंने सोचा कि भारतीय सेना के और जवान पीछे से आ गए ,ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव ने दुश्मन सैनिक की राइफल से दुश्मनों पर फायर किया ,बचे हुए पाकिस्तानी सेना के जवान वहा से भाग खड़े हुए ये अनुमान लगा कर की भारतीय सेना की एक और टुकड़ी वहा पहुंच गई है।ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव ने घायल अवस्था में ही चौकी का पूरा जायजा लिया और पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद वे नीचे की तरफ एक नाले में लुढ़क गए,वहा उनको उनके साथी नजर आए उन्होंने उनको आवाज़ लगाई ,उसके बाद Yogendra Singh Yadav को नीचे कमांडिंग ऑफिसर के पास ले जाया गया,और उनकी खबर के आधार पर 18 ग्रेनेडियर के दल ने फिर से टाइगर हिल पर हमला बोला और बिना की नुकसान के टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया, तो देखा आपने ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव ने 15 गोलियां लगने के बाद ,एक हाथ टूट जाने के बाद भी असीम वीरता और निस्वार्थ देश प्रेम का प्रदर्शन किया,जिसके कारण टाइगर हिल जैसी महत्वपूर्ण चोटी पर भारतीय सेना का कब्जा हो पाया,
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ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह को PARAMVIR CHAKRA देने की घोषणा मरणोपरांत की गई थी, लेकिन जल्दी ही पता चला कि अस्पताल में उनकी हालत में सुधार है और वे जीवित है।
ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को 04 जुलाई1999 के इस अभियान में अपनी जान की परवाह ना करते हुए असीम शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए भारत सरकार द्वारा वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार PARAMVIR CHAKRA द्वारा सम्मानित किया गया,
जय हिन्द
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