लव राज सिंह धर्मशक्तु,
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एक भारतीय पर्वारोही है जिन्होंने सात बार माउंट एवरेस्ट को क्लाइंब किया है। लव राज सिंह का जन्म उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के बोना गांव में हुआ था।इनकी शुरुवाती शिक्षा बोना गांव में ही हुई।उसके बाद आगे की पढ़ाई लखनऊ से हुई।सिंह जी बचपन से ही मेहनती थे घर की आर्थिक स्थिति ज्यादा मजबूत ना होने के कारण वो पढ़ाई के साथ साथ छोटा मोटा काम भी किया करते थे। वो अपने गांव से 35 किलोमीटर पढ़ने के लिए जाते थे।और साथ ही ट्रैकिंग भी करते थे।पढ़ाई पूरी करने के बाद सिंह जी एडवेंचर कोर्स भी किया और साहसिक पर्यटन कार्यालय में नौकरी भी की।उसके बाद लव राज सिंह ने उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से पर्वतारोहण का कोर्स भी किया और यही से उनके पर्वतारोही जीवन की शुरुवात हुई। उसके बाद उन्होंने एडवांस कोर्स , सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स,और स्की 🎿 कोर्स भी किया और सभी कोर्स " ए" ग्रेड से पास किए।इसके साथ ही रिवर राफ्टिंग में भी महारत हासिल की। सभी कोर्स में महारत हासिल करने के बाद सिंह जी ने,पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, पैराग्लाईडिंग, राफटिंग इत्यागि क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाई ।1989 में लव राज सिंह ने नंदा कोट चोटी पर फतेह हासिल की उस समय वे लखनऊ पर्वतारोहण दल का हिस्सा थे।
उसके बाद वे ममस्तोंग कांगड़ी ,नंदा भेनार, चोटी पर जाने वाले दल के भी सदस्य थे
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सन 1998 में लव राज सिंह ने पहली बार एवरेस्ट पर फतेह हासिल करी।उसके बाद तो जैसे एवरेस्ट इनको पहचान ही गया।
इन्होंने 2006 में बॉर्डर सिक्योरटी फोर्स की टीम के साथ दूसरी बार एवरेस्ट को क्लाइंब किया।
इन्होंने 2006 में बॉर्डर सिक्योरटी फोर्स की टीम के साथ दूसरी बार एवरेस्ट को क्लाइंब किया।
सन 2009में लव राज सिंह जी ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान(NIM) की टीम का नेतृत्व किया और फिर से एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच गए।
सन 2012 में इन्होंने फिर से एक दल के साथ एवरेस्ट की क्लाइंब किया ।ये दल एवरेस्ट से कचरा हटाने के मकसद से गया था और इस दल ने एवरेस्ट से तकरीबन 700 किलो कचरा हटाया।
2013 में लाइव राज सिंह फिर से एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच गए।
27, मई 2017 को, उन्होंने तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) के अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व करते हुए छठी बार एवरेस्ट सबमिट किया ।
साथ ही वे तिब्बत के रास्ते से एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले भारतीय है।
सन 2012 में इन्होंने फिर से एक दल के साथ एवरेस्ट की क्लाइंब किया ।ये दल एवरेस्ट से कचरा हटाने के मकसद से गया था और इस दल ने एवरेस्ट से तकरीबन 700 किलो कचरा हटाया।
2013 में लाइव राज सिंह फिर से एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच गए।
27, मई 2017 को, उन्होंने तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) के अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व करते हुए छठी बार एवरेस्ट सबमिट किया ।
साथ ही वे तिब्बत के रास्ते से एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले भारतीय है।
20 मई 2018 को लव राज सिंह ने सीमा सुरक्षा बल के 15 सदस्यों की एक टीम का नेतृत्व करते हुए सातवीं बार एवरेस्ट की चोटी को सबमिट किया। 15 सदस्यों के साथ मिलकर एवरेस्ट को क्लाइंब करने का एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है जो पहले भारतीय सेना द्वारा 14 सदस्यों का था।
लव राज सिंह जी ने 50 से भी अधिक पर्वतारोहण अभियानों में हिस्सा लिया है
लव राज सिंह जी ने 50 से भी अधिक पर्वतारोहण अभियानों में हिस्सा लिया है
लवराज सिंह जी ने 10 बार एवरेस्ट के पर्वतारोहण अभियानों में भाग लिया। विभिन्न दिशाओं से माउण्ड एवरेस्ट पर चढ़ने का भी उनका अपना एक कीर्तिमान है। अपने पर्वतों से प्रेम के कारण ही उन्होंने हिमायल को स्वच्छ रखने की मुहिम में योगदान करते हुए। बीएसएफ की मदद से एवरेस्ट के उच्च स्थलीय कैम्पों में छोड़ा गया 700 किलो कचरा हटाने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया।
सम्मान
------------' वर्ष 2003 में इनको तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर पुरस्कार दिया गया
सन 2003,सन 2006,और 2018 में border security force में उत्कृष्ट कार्य हेतु महानिदेशक द्वारा डायरेक्टर जनरल कमेंडेशन कार्ड दिया गया।
सन 2009 में भारतीय पर्वतारोहण संस्थान द्वारा गोल्ड मेडल दिया गया।
और सन 2014 में भारत सरकार द्वारा इनको पदम श्री से सम्मानित किया गया।
और भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन ने इनको स्थाई सदस्यता से सम्मानित किया।
वे border security force में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात हैं।
उनकी पत्नी श्रीमती रीना कौशल धर्मशक्तु भी एक पर्वतारोही हैं और अंटार्कटिका के तट से दक्षिण ध्रुव तक पहुँचने वाली भारत की पहली महिला है।
------------' वर्ष 2003 में इनको तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर पुरस्कार दिया गया
सन 2003,सन 2006,और 2018 में border security force में उत्कृष्ट कार्य हेतु महानिदेशक द्वारा डायरेक्टर जनरल कमेंडेशन कार्ड दिया गया।
सन 2009 में भारतीय पर्वतारोहण संस्थान द्वारा गोल्ड मेडल दिया गया।
और सन 2014 में भारत सरकार द्वारा इनको पदम श्री से सम्मानित किया गया।
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और भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन ने इनको स्थाई सदस्यता से सम्मानित किया।
वे border security force में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात हैं।
उनकी पत्नी श्रीमती रीना कौशल धर्मशक्तु भी एक पर्वतारोही हैं और अंटार्कटिका के तट से दक्षिण ध्रुव तक पहुँचने वाली भारत की पहली महिला है।
वर्ष 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में आयी भीषण आपदा में बीएसएफ टीम के साथ उन्होंने सक्रिय रुप से सहायता एवं पुनर्वास अभियान भी चलाया। ।
लव राज सिंह सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है
लव राज सिंह सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है
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