कहानी इंडियन आर्मी के जवानों की

एक सैनिक की कहानी

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              एक बार किसी ने एक आदमी से पूछा भाई आपका धर्म क्या है उसके कहा कि हिन्दू, वहा पर एक आदमी और था उससे पूछा कि आपका धर्म क्या है दूसरे आदमी ने कहा कि मुस्लिम,फिर ऐसे ही एक और से पूछा कि आपका धर्म क्या है उसने कहा इसाई ,वहा पर एक और व्यक्ति था जब उससे पूछा गया कि आपका धर्म क्या है तो उसने जबाव दिया मैं सैनिक हूं !!!उसका जवाब सुन कर सभी हैरान थे ये कौन सा धर्म है,इस पर सैनिक ने जबाव दिया मैं सैनिक हूं और मेरा देश ही मेरा धर्म है,और अपने देश के काम आना मेरा कर्म है,

              आजकल हमारे देश में कई ऐसे बुद्धि जीवी और महान् आत्मा भी है जो सैनिक के लिए कहते है कि ये तो तनख्वाह लेते है ,तो उनसे मै कहना चाहता हूं कि तनख्वाह तो तुम भी लेते हो चलो अपनी जान दे सकते हो इस देश के लिए, कि तनख्वाह तो तुम भी लेते हो किसी की जान ले सकते हो इस देश के लिए!!!बोलना तो बहुत आसान है ,मगर एक सैनिक का त्याग अगर कोई पहचान सके तो इससे बड़ी कोई बात नहीं,इसलिए अगर कोई इस देश के सैनिकों का सम्मान नहीं कर सकता तो कम से कम ऐसे शब्द बोल कर उनका मनोबल तो मत गिराओ,एक सैनिक सियाचिन की ऊंचाई और ठंड में पूरी ईमानदारी और सगजता से अपनी ड्यूटी करता है,सियाचिन में भारतीय सैनिक 17000 फीट से लेकर 22600 फीट की ऊंचाई पर तैनात है,एक पर्वतारोही अपने जीवन में अगर एक बार नंदा देवी पीक जिसकी ऊंचाई 24600 फीट है उसको क्लाइब

कर लेता है तो उसका नाम न्यूजपेपर, टीवी चैनल,में लगातार आता है ,सब लोग वाह वाह करते है ,लेकिन कभी किसी से सोचा है हमारे देश के सैनिक जो 6 महीने इतनी ऊंचाई पर रह कर हमारी सरहदों की रक्षा करते है उनको क्या मिलता है,इतनी ऊंचाई पर 1 दिन निकालना मुश्किल होता है,वहा पर 3 या चार महीने निकालना कितना मुश्किल होता है,सैनिक किसी से शिकायत नहीं करता बल्कि वह सिर्फ और सिर्फ अपनी ड्यूटी करता है वो भी पूरी ईमानदारी के साथ ,हमारे देश के सबसे बड़ी और कड़वी सच्चाई यह है कि जब हमारे देश में कोई सैनिक शहीद  हो जाता है तो इस देश में एक तूफान सा आ जाता है ,लेकिन अफसोस ये तूफान सिर्फ फेसबुक ,व्हाट्सअप ,और न्यूज़ चैनलों तक ही सिमट जाता है ,,बस हम सिर्फ सोशल मीडिया पर ही हो हल्ला करते है ,न्यूज चैनल अपनी टीआरपी बनाते है,उस समय बड़े बड़े वादे किए जाते है,बड़े बड़े डिबेट किए जाते है, सब आग बबूला रहते है मगर अफसोस!!!!!!!!!!!! बस दो दिन बाद ये सब खतम हो जाता है ,उसके बाद कोई नहीं पूछता ,

कारगिल युद्ध में या उससे पहले के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के परिवारों के बारे में किसी ने कभी खोज की ,क्या कभी किसी ने जाकर पूछा ,क्या युद्ध या शांति काल में शहीद हुए सैनिकों के विधवा या परिवार को कितनी पेंशन मिल रही है और अगर मिल भी रही है तो कितनी?????मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इस देश में सैनिकों का सम्मान सिर्फ फेसबुक और सोशल मीडिया तक ही है  असल हकीकत तो बहुत ही बेकार है,क्या कभी किसी सैनिक की विधवा या मां को न्यूज़ चैनलों ने डिबेट में बुला कर पूछा है कि आपको क्या परेशानी है ,,, नहीं पुछा

  एक सैनिक जिसने अपनी जान हंसते हुए सिर्फ इसलिए कुर्बान कर दी ताकि हम और आप अपने घरों में आराम से रह सके ,हमारे बच्चे आराम से रह सके,हमारा समाज आराम से रह सके,हमारा देश आराम से रह सके,तक जब उसने हमारे आराम के लिए अपनी जान दी है तो उसके परिवार और उसके सम्मान की जिम्मेदारी कोन लेगा,ऐसा नहीं है कि भारतीय सेना अपने सैनिकों का ध्यान नहीं रखती मगर सेना भी कितना देखेगी ,उसको तो और भी बहुत मुश्किल कार्य करने है,यह कार्य है समाज का,हमारा ,हम सब का ,की अपने देश के सैनिकों का सम्मान करे,इस दिखावटी दुनिया में नहीं असल जिंदगी में, असल जिंदगी में अपने सैनिकों का सम्मान करे,नहीं तो जैसे हम भारतीय विदेशी लोगो से हर चीज सीख रहे हैं,तो उनसे अपने सैनिकों की इज्जत करना भी सीख लेना चाहिए,,कैसे वो अपने देश के रखवालों का सम्मान करते है,एक सैनिक जब छुट्टी जाता है ,किसी कारण वश वो अपना रिजर्वेशन नहीं करवा पता है ,तो उसको पूरा सफ़र ट्रेन में बाथ रूम के सामने गुजरना पड़ता है ,उस समय ट्रेन में उपस्थित सभी लोग जैसे देश द्रोही हो जाते है ,उस समय उनका देश प्रेम मानो ऐसे गायब हो जाता है जैसे गधे के सर से सिंग गायब होते है, लेकिन एक सैनिक इन सब की परवाह नहीं करता वह सिर्फ हसते हुए अपनी ड्यूटी करता है, अपनों से दूर , अपनों से दूर रहकर मुश्किल हालात में रहकर ,वह अपनी जान पर खेलकर हमारे देश की सीमओं की रक्षा करता है,,अगर हमें पता हो की कही जाने पर हमारी जान को खतरा हो सकता है तो क्या हम वहा जाएंगे कभी भी नहीं ना,,,अरे हमारे देश में अगर एक बिल्ली हमारा रास्ता काट ले तो 50 टोटके करने के बाद हम आगे बढ़ते हैं, कि कहीं हमारे साथ कुछ बुरा ना हो जाए,

  एक सैनिक ही है जिसको पता है कि यहां अंदर या जंगल आतंक वादी है और मैं मर भी सकता हूं , लेकिन उसने कभी नहीं बोला कि मैं नहीं जाऊंगा,वो वहां पर भी गया और हंसते हुए गया , चाहें बाद में वो सैनिक वहा वीरगति को प्राप्त हो गया हो,,लेकिन जाते समय वह उफ्फ तक नहीं करता ,ना उसका परिवार उफ्फ करता है ,उस शहीद सैनिक का पिता यही कहता है  की मुझे मेरे बेटे की शहादत पर गर्व है,अगर मौका मिला तो वो अपने दूसरे बेटे को भी देश के लिए न्योछावर कर देंगे,तो जब एक सैनिक और उसका परिवार इतनी कुर्बानी दे रहे है हमारे लिए तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है उन परिवारों के लिए कुछ ,इस 15 अगस्त को अगर आपके आस पास किसी ऐसे सैनिक का परिवार ,बल्कि किसी भी  सैनिक  का परिवाररहता है तो उनको सैल्यूट करे,उनकी इज्जत करे ,इज्जत करे उस कुर्बानी की जो उनके परिवार ने इस देश के लिए दी है,उनके पास जाए उनका हाल चाल पूछे,

अगर आप उनकी इज्जत नहीं कर सकते तो आप किसी लायक भी नहीं है,और साथ ही सम्मान करे उन सैनिकों का जो इस समय मुश्किल समय में हमारी सरहदों की रखवाली कर रहे हैं,

इसलिए आओ और झुककर सलाम करो उन महान सैनिकों को जिन्होंने इस देश के लिए ,हमारे लिए , हमारे आने वाले कल के लिए अपना आज कुर्बान कर दिया अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया,


जय हिन्द , वन्दे मातरम्,

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