क्या है Indian Army का Tour Of Duty या Agnipath Recruitment Scheme? इमेज सोर्स गूगल
अग्निपथ नाम सुनकर उन्नीस सौ नब्बे में आई अमिताभ बच्चन की फ़िल्म की याद ताजा हो जाती है लेकिन केंद्र सरकार की बदौलत ये शब्द और भी लोकप्रिय होने वाला है जी हाँ अग्निपथ का अर्थ है अग्नि का मार्ग अग्नि संघर्ष और पवित्रता का प्रतीक है और अब इस नाम को एक और पहचान मिलने वाली है क्योंकि ये भारतीय सेना के जवानों के लिए नई भर्ती योजना का नाम है जिसमें रंगरूटों को अग्निवीर कहा जाएगा इस योजना को टूर ऑफ ड्यूटी कहा जाता है इस प्रक्रिया के तहत युवाओं को चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सारे सुधार से जुड़ी महत्वाकांक्षी सूचना चोर ऑफ ड्यूटी को तीनों सेनाओं में लागू करने की घोषणा की जाएगी अब हम आपको बताने जा रहे हैं क्या है चोर ऑफ ड्यूटी या अग्निपथ योजना और इससे युवाओं को कैसे मिलेगा रोजगार? एक तय अवधि के लिए सेना में शामिल होने के कॉन्सेप्ट को चोर ऑफ ड्यूटी कहा जाता है चोर ऑफ ड्यूटी का कॉन्सेप्ट नया नहीं है दूसरे विश्व युद्ध के समय जब ब्रिटिश वायुसेना के पायलट तनाव में आ गए थे, तब वायुसेना में टू ऑफ ड्यूटी का कॉन्सेप्ट लाया गया था इसके तहत शामिल होने वाले पायलट को दो साल
तक दो सौ घंटे तक विमान उड़ाने को कहा गया था भारत में शुरू होने वाली यह योजना रक्षा बलों के खर्च और आयु प्रोफाइल को कम करने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सुधार का एक हिस्सा है और उनका ड्रीम प्रोजेक्ट भी टूर ऑफ ड्यूटी योजना के तहत भारतीय सेना के तीनों सेवाओं थलसेना, नौसेना और वायुसेना में भर्ती की नई प्रणाली में कुछ बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जिसके तहत भर्ती किए गए सैनिक चार साल के बाद सेवा से मुक्त कर दिए जाएंगे और फिर समीक्षा के बाद पच्चीस प्रतिशत को पूर्ण सेवा में शामिल किया जा सकता है, जिन्हें सेवा विस्तार नहीं मिलेगा वो ड्यूटी पूरी होने के बाद दूसरी जगह नौकरी भी कर सकते हैं योजना को अगर जल्द ही हरी झंडी मिल जाती है तो इस साल अगस्त के महीने से सेना, थल सेना, नौसेना और वायुसेना में भर्तियां शुरू हो सकती है बताया जा रहा है कि चार साल की नौकरी में सेना में शामिल होने वाले को छह से नौ महीने की ट्रेनिंग पहले दी जाएगी रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं मिलेंगे बल्कि एक मुश्त राशि जो है वो दे दी जाएगी इसमें पदोन्नती की कोई गुंजाइश नहीं है नई योजना के तहत शुरुआती वेतन तीस हज़ार रुपये हो सकता है जो चौथे साल के अंत तक चालीस हज़ार रुपये हो सकता है हालांकि सेवा निधि योजना के तहत वेतन, का तीस प्रतिशत बचत के रूप में रखा जाएगा और हर महीने सरकार की तरफ से समान राशि का योगदान दिया जाएगा दस लाख रुपये से बारह लाख रुपए के बीच कुल राशि सैनिक को चार साल के अंत में दी जाएगी और यह करमुक्त होगी बताया ये भी जा रहा है कि सशस्त्र बलों ने जो अनुमान लगाया है उसके मुताबिक इस योजना के जरिए वेतन भत्तों और पेंशन में हजारों करोड़ की बचत हो सकती है खास बात तो यह होगी कि अगर सेना के रेजिमेंट में जाति धर्म और क्षेत्र के हिसाब से भर्ती नहीं होगी बल्कि विश्वासी के तौर पर होगी यानी कोई भी जाति, धर्म और क्षेत्र का युवा किसी भी रेजिमेंट के लिए आवेदन जो है वो कर सकेगा बताया ये भी जा रहा है कि प्रशिक्षण और कार्यकाल के दौरान हासिल किए गए कौशल के आधार पर सैनिकों को या तो एक डिप्लोमा या क्रेडिट से सम्मानित किया जा सकता है, जिसका उपयोग आगे की शिक्षा के लिए किया जा सकता है चार साल की अवधि के बाद इन सैनिकों के पुनर्वास में सेना भी मदद कर सकती है माना जा रहा है कि इस कदम से सशस्त्र बलों से संबंधित कई मुद्दों को हल करने
और सेना और नौसेना वायु सेना सशस्त्र बलों में शामिल होने के इच्छुक लाखों युवाओं को राहत मिलने की उम्मीद कई क्षेत्र ऐसे प्रशिक्षित और अनुशासित युवाओं के लिए नौकरी भी आरक्षित कर सकते हैं, जिन्होंने अपने देश की सेवा की है और चार साल बाद इस सेवा से मुक्त हो गए चोर ऑफ ड्यूटी का कॉन्सेप्ट कॉर्पोरेट घरानों में भी अपनाया जाता है अमेरिका के कई कॉर्पोरेट ऑफिस में ऐसा कल्चर भी है आपको बता दें कि पिछले दो सालों से सेना की भर्ती रुकी हुई है इसी साल की शुरुआत में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने संसद में एक सवाल के जवाब में लिखित जवाब दिया था कि कोरोना महामारी के चलते सेना भर्ती जो है, वो रुकी हुई थी इसके अलावा वायुसेना और नौसेना की भर्तियों पर रोक लगाई गई थी हालांकि ऑफिसर रैंक की परीक्षाओं और कमिशनिंग पर कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन सैनिकों की भर्ती रोकने से देश के युवाओं में रोष है और इसको लेकर वो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चुनावी रैली में अपना विरोध भी दर्ज करा चूके हैं सोशल मीडिया पर भी कई बार रिक्रूटमेंट को लेकर बातें हुईं, इसको लेकर कई कैंपेन भी हो चूके हैं ,लेकिन मेरे हिसाब से ये बिलकुल गलत है ,फौज की नौकरी एक ऐसी जॉब है जिसके लिये अनुभव बहुत बड़ी चीज़ है ,सेना में अनुभव बहुँत मायने रखता है ,जब सैनिक ४ साल के लिये भर्ती होगा तो उसको क्या अनुभव होगा , सेना में १ साल की तो ट्रेनिंग ही होती है तब उसके बाद जो सैनिक ४ साल के लिये भर्ती होगा वो क्या सोच के नौकरी करेगा किम मैंने ३ साल बाद फिर से सिवल में जाना है ,और बहुत सारे जनरल साहब उन्होंने खुलकर टीओडी का विरोध किया है ये सेना की ताकत के साथ समझौता है/
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जैसे जैसे एक सैनिक पुराना होता है ,उसका अनुभव बढ़ जाता है ,,३ साल में तो उसको क्यां करना आयेगा ,मेरे हिसाब से तो टूर ऑफ़ ड्यूटी का पूरा विरोध हिना चाहिए .सरकार देश की सुरक्षा के साथ खेल रही है ,अपने कुछ पैसे बचाने के लिये सरकार देश को खतरे में डाल रही है
jai hind
2 टिप्पणियाँ
toer duty nhi hona chay
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