Col.Santosh Babu MAHAVIR CHAKRA INDIAN ARMY
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त्याग और बलिदान करना अगर किसी से सीखना हो तो आप एक सैनिक की जीवनी पढ़ सकते है, एक सैनिक और उसका परिवार जितने सेक्रीफाइस करता है मेरे ख्याल से सायद ही कोई करता हो ,, एक सैनिक के लिए सबसे ऊपर होता है देश ,अपनी यूनिट,। भारतीय सेना में नाम ,नमक ,निशान,के आदर्श वाक्य पर कार्य किए जाते है,कोई भी काम हो , टास्क हो,या आतंकी विरोधी अभियान हो ,या फिर युद्ध हो , एक सैनिक से यही कहा जाता है कि आपने हमेशा अपने नाम ,नमक ,और निशान को याद रखना है और आपने इन पर खरा उतरना है,।नाम मतलब देश का नाम ,या यूनिट का नाम,।नमक मतलब आप जिसका रेजीमेंट का नमक खा रहे है,निशान मतलब आपके देश का निशान,या आपकी रेजीमेंट या कम्पनी का निशान,,, एक सैनिक अपने नाम,नमक,और निशान के लिए लड़ता है,और हंसते हंसते अपने प्राण भी त्याग देता है ,
आज एक ऐसे ही सेना अधिकारी की सच्ची और वीरता से भरी हुई कहानी आप लोगों से साझा करूंगा जिन्हीने भारत देश की गरिमा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी,इनका नाम था कर्नल संतोष बाबू,Col.Santosh Babu MAHAVIR CHAKRA INDIAN ARMY
शुरुवाती जीवन,,,,,,,,,,
कर्नल संतोष बाबू का जन्म 13 फरवरी 1983 को आंध्र प्रदेश के सूर्य पेट में हुआ था,इनके पिता का नाम बी उपेंदर और माता का नाम श्रीमती मंजुला था,इनके पिता भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत थे, संतोष बाबू बचपन से ही मेधावी छात्र थे ,शुरुवाती पढ़ाई के बाद उनका सैनिक स्कूल कोरुकोंडा विजयनगरम में चयन हो गया,सैनिक जीवन,,,,,,,,,,,,,,,
सैनिक स्कूल से शिक्षा हासिल करने के बाद संतोष बाबू ने सन 2000 में नेशनल डिफेंस अकादमी की परीक्षा पास की और 27 नवंबर 2000 को उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी में 105 कोर्स को ज्वाइन किया ,04 साल की ट्रेनिंग के बाद वे एक लेफ्टिनेंट के रूप में इंडियन मिलिट्री कॉलेज से पासआउट हुए, उनको 10 दिसंबर 2004 में 16 बिहार रेजीमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया,उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में हुई , उस समय 16 बिहार रेजीमेंट जम्मू काश्मीर में तैनाद थी, लेफ्टिनेंट बाबू को 10 दिसंबर 2006 को कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया,उसके बाद 10 दिसंबर 2010 को उनको मेजर पद पर पदोन्नत किया गया,,इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय राइफल में भी अपनी सेवाए दी,और जम्मू कश्मीर में चल रहे आतंकी विरोधी अभियानो में हिस्सा लिया ,उसके बाद वे स्टाफ कोर्स करने के लिए वेलिंगटन भेजा गया,कर्नल बाबू ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के साथ भी कार्य किया,कर्नल संतोष बाबू एक बहादुर और दयालु सेना अधिकारी थे, वे अपने साथ काम कर रहे जवानों और अधिकारियों का हौसला बढ़ाने का कार्य बखूबी करते थे,
वे एक मदद गार और दयालु सैन्य अधिकारी थे ,
10 दिसंबर 2107 को उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया,इस दौरान उन्होंने एनडीए में मंडल अधिकारी और प्रशिक्षक के रूप कार्य किया,02 दिसंबर 2019 को लेफ्टिनेंट कर्नल संतोष बाबू को कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया और 16 बिहार रेजीमेंट की कमान दी गई,अब कर्नल संतोष बाबू 16 बिहार रेजीमेंट के सी ओ बन गए थे,
बलिदान ,,,,,,,
16 bihar regiment इस समय गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख ) में तैनाद थी , चीन के साथ उस समय काफी गर्म माहौल बना हुआ था, पीएलए( पीपल्स लिबरेशन आर्मी) सैनिक भारत की सीमा में घुस कर अपनी पोस्ट बना रहे थे,चीन के सैनिकों ने अपने भारी हथियार वहा पर जमा कर लिए थे, पीएलए के सैनिक उस सीमा में अपने बंकर बना रहे थे,भारतीय सेना के जवानों ने उनकी वापस जाने के लिए कहा लेकिन पीएलए के सैनिक उस जगह से टस से मस होने को तैयार नही थे,14 जून 2020 को 16 बिहार को पीएलए सैनिकों को पीछे खदेड़ने का हुक्म मिला ,कर्नल संतोष बाबू अपने सैनिकों के साथ मौके पर गए,मौके पर जाकर उन्होंने पीएलए के सैनिकों को समझाने का प्रयास किया,।
लेकिन चीन के सैनिकों ने कर्नल संतोष बाबू और उनके साथी सैनिकों पर लाडी , पथरो,और कंटेली तार से हमला कर दिया,कर्नल संतोष बाबू अपनी यूनिट के साथ मिलकर पीएलए की सेना को रोकने का प्रयास करते रहे,दोनो तरफ से धक्का मुक्की,और हाथा पाई की लड़ाई होने लगी ,
इसी बीच किसी ने Col.Santosh Babu के सर पर वार कर दिया जिसके कारण उनको काफी चोटे आई,उनके साथ
नायब सूबेदार नुदुराम सोरेन, हवलदार (गनर) के पलानी, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह भी बुरी तरह से घायल हो गए ,और 17 अन्य सैनिक भी भिन्न भिन्न चोट लगने के कारण शहीद हो गए, पीएलए सेना के इस कदम से 16 बिहार रेजीमेंट के जवानों में क्रोध की ज्वाला भड़क गई थी। 16 बिहार के सैनिक जय बंजरग वली का युद्ध घोष करते हुए पीएलए सैनिकों पर टूट पड़े ,और 16 बिहार के सैनिकों ने पीएलए के 40 से 50 सैनिकों को मार डाला ,हालाकि इन सब के बीच कर्नल संतोष बाबू ने भी अपनी चोटों के कारण दम तोड दिया ,साथ ही 20 अन्य सैनिक भी शहीद हो गए,
16 बिहार रेजीमेंट के कामंडिंग ऑफिसर Col.Santosh Babu ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर दुश्मन की सेना को रोके रखा,और विपरीत परिस्थितिया हिनेंके वाउजुद अपनी सेना का नेतृत्व किया और पीएलए की सेना को रोक कर रखा,उन्होंने अपने सैनिकों के साथ मिलकर असीम साहस का परिचय दिया,जिसके कारण चीन की
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा ,हालाकि चीन ने अपने मारे गए सैनिकों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी ,परंतु इस घटना से चीन को पता चल गया की भारत अब 1962 वाला भारत नही है,
लद्दाख मे यहाँ पर शहीद हुए सैनिकों के याद में एक स्मारक बनया गया है ,इस स्मारक में ऑपरेशन
स्नो लेपर्ड के साहसी सैनिकों के बारे में बताया गया है जिन्होंने पीएलए के सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया ,भले ही इसमें उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी,
26 जनवरी 2021 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा Col.Santosh Babu को उनकी वीरता ,अद्भुत नेतृत्व क्षमता,और निस्वार्थ देश प्रेम के लिए भारत के दूसरे सबसे बड़े सैन्य पुरस्कार महावीर चक्र (मरणोपरांत)से सम्मानित किया,
साथ ही उनके साथ शहीद हुए चार सैनिकों नायब सूबेदार नुदुराम सोरेन, हवलदार (गनर) के. पलानी, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को भारत के राष्ट्रपति के द्वारा वीर चक्र से सम्मानित किया गया,
कर्नल संतोष बाबू अपने पीछे अपने माता ,पिता ,पत्नी और 2 बच्चे छोड़ गए है,अभी तेलंगाना सरकार ने कर्नल संतोष बाबू की पत्नी को डिप्टी कलेक्टर का पद दिया है,साथ ही उनकी पोस्टिंग घर के आस पास करने का निर्देश भी दिया,तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने कर्नल संतोष बाबू के परिवार को 5 करोड़ रुपए की मदद ,और हैदराबाद में 711 गज का एक आवासीय प्लॉट भी दिया है,
हालाकि एक सैनिक की शहादत का मोल किसी भी कीमत में चुकाया नहीं जा सकता लेकिन तेलंगाना सरकार द्वारा यह कदम सच में सराहनीय है,
कर्नल संतोष बाबू और बाकी सभी शहीद हुए जवानों का भारत देश हमेशा ऋणी रहेगा,
जय हिंद जय भारत!!!!!!!?
हालाकि एक सैनिक की शहादत का मोल किसी भी कीमत में चुकाया नहीं जा सकता लेकिन तेलंगाना सरकार द्वारा यह कदम सच में सराहनीय है,
कर्नल संतोष बाबू और बाकी सभी शहीद हुए जवानों का भारत देश हमेशा ऋणी रहेगा,
जय हिंद जय भारत!!!!!!!?
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