पैराशूट रेजिमेंट का इतिहास और जानकारी

 इंडियन आर्मी की पैराशूट रेजिमेंट का   इतिहास 

इंडियन आर्मी की पैराशूट रेजिमेंट


पैरा शूट रेजीमेंट ये नाम किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है ,,पैरा शूट रेजिमेंट इंडियन आर्मी का एक विशेष बल है,,पैरा स्पेशल फोर्सेज ने समय आने पर मुश्किल से मुश्किल अभियानों को पूरा किया है,,पैरा स्पेशल फोर्सेज के सैनिकों ने कई गैलंट्री अवार्ड अपने नाम कर पैरा फोर्सेस और भारतीय सेना का नाम बढ़ाया है,, सन 2016 में इंडियन आर्मी की पैरा कमांडो के जवानों ने पाकिस्तान में घुस कर जो कार्यवाही (सर्जिकल स्ट्राइक ) की उससे सब भली भाती परिचित है,,2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक से पूरे देश जोश का माहौल था,,इस कार्यवाही से पूरे देश
में सेना के प्रति इज्जत और बढ़ गई थी,और दुश्मन देश में इंडियन आर्मी का खौफ बढ़ गया था,पैरा कमांडो बेहतर से बेहतरीन होते है ,पैरा कमांडो छोटी टुकड़ी में बटकर अभियान को अंजाम देते है .पैरा यूनिट के 6 कमांडो भी दुश्मन के कई सैनिको पर भारी पढ़ते है
आज फौजी नामा की इस कड़ी में आपको पैरा शूट रेजिमेंट के इतिहास और पैरा रेजिमेंट के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी,
इंडियन आर्मी की पैराशूट रेजिमेंट
इमेज सोर्स विकिपेडिया 


पैरा शूट रेजिमेंट का इतिहास,...........

इंडियन आर्मी में पैरा शूट रेजिमेंट की स्थापना 29 अक्टूबर 1941 में दूसरे विश्व युद्ध के समय की गई थी , उस समय ये दल ब्रिटिश इंडियन आर्मी का हिस्सा था,इस स्पेशल फोर्स का नाम 50 वीं पैरा शूट ब्रिगेड रखा गया था, 50 वीं पैरा शूट ब्रिगेड में 3 पैरा शूट बटालियन थी,
1. 151 पैरा शूट बटालियन (इस बटालियन में अंग्रेज सैनिक थे,
2. 152 पैरा शूट बटालियन (इस बटालियन में भारतीय सैनिक थे,
3. 153 पैरा शूट बटालियन( इस बटालियन में गोरखा सैनिक और अन्य सपोर्ट आर्म के सैनिक भी थे,

भारत के पहले पैरा कमांडो कौन थे ...

इंडियन मेडिकल सर्विसेस के लेफ्टिनेंट (कर्नल) ए जी रंगराज (महावीर चक्र) और 152 पैरा शूट के हवलदार मथुरा सिंह पहले भारतीय सैनिक थे जिन्होंने पैरा जंप किया था,,और वे दोनो भारत के पहले पैरा कमांडो थे,

1942 –43 में पैरा शूट रेजिमेंट में बर्मा के अंदर कुछ खुफिया अभियानों को पूरा किया,अगस्त 1943 में एक और 154 पैरा शूट रेजिमेंट का गठन किया गया,,इस बटालियन में 153 पैरा शूट रेजिमेंट से और 7 गोरखा राइफल्स के जवानों को शामिल किया गया,और 154 पैरा शूट बटालियन को भी 50 वीं पैरा ब्रिगेड में मिला लिया गया,
सन 1944 में 151 पैरा बटालियन को ब्रिटेन को हस्तांतरित कर दिया गया,और उस बटालियन का नाम बदल कर 156 पैरा शूट रेजिमेंट कर दिया गया,

इसके बाद 152 और 153 पैरा शूट रेजिमेंट के सैनिकों ने इम्फाल में जापानी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी

संगशाक की लड़ाई(21 मार्च 1944 से 26 मार्च 1944) में लड़ाई के दौरान 50 वीं पैरा ब्रिगेड को काफी नुकसान झेलना पड़ा,,इस 06 दिन की लड़ाई में 50 वी पैरा ब्रिगेड के 40 ऑफिसर,,और 545 अन्य रैंक की कैजुअल्टीज हुई,लेकिन इस घटना के बाद भी बाकी सैनिकों ने लड़ाई जारी रखी,

भारतीय सेना की पैरा शूट रेजिमेंट का गठन आधिकारिक रूप में 1 मार्च 1945 को किया गया था, इसमें 4 बटालियन थी,
इंडियन आर्मी की पैराशूट रेजिमेंट
इमेज सोर्स youtube 



आजादी के बाद .......


आजादी के बाद एयरबोर्न डिविजन को भारत और पाकिस्तान के बीच बाटा गया,50 वीं पैरा ब्रिगेड को भारतीय सेना में मिलाया गया ,77 पैरा ब्रिगेड को भंग का दिया गया और 14 पैरा शूट ब्रिगेड पाकिस्तान चली गई,
लेकिन 77 पैरा ब्रिगेड की 60 पैरा शूट फील्ड एम्बुलेंस यूनिट को बरकार रखा गया,

इस प्रकार आजादी के समय भारत में केवल एक ही पैरा ब्रिगेड था,50 पैरा ब्रिगेड की 3 पैरा शूट बटालियन थी,
1. पहली बटालियन पंजाब रेजीमेंट (पैरा)
2. तीसरी बटालियन मराठा रेजिमेंट(पैरा)
3. पहली बटालियन कुमाऊं रेजिमेंट (पैरा)

1947 का भारत पाकिस्तान युद्ध

आजादी की बाद ही भारत पाकिस्तान में युद्ध छिड़ गया, इस युद्ध में 50 बी पैरा ब्रिगेड ने मुख्य भूमिका निभाई थी,50 पैरा ब्रिगेड की तीनों बटालियन नोशेरा, झगर,और पूछ में लड़ाई लड़ी,50 वीं पैरा ब्रिगेड के कमांडर
ब्रिगेडियर मोहमद उस्मान 3 जुलाई 1948 में वीर गति को प्राप्त हुए,उनको मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था,

इसके बाद 1950 में ही 60 पैरा शूट फील्ड एम्बुलेंस यूनिट को सयुक्त राष्ट्र सेना में भेजा गया,60 पैरा शूट फील्ड एम्बुलेंस यूनिट ने वहा पर बहुत ही सराहनीय काम किया ,,इस पैरा यूनिट ने उत्तर कोरिया में युद्ध में घायल सैनिकों और नागरिकों की देख भाल की ,1950 से 1954 तक 60 पैरा शूट फील्ड एम्बुलेंस यूनिट ने यूएन सेना में अपना योगदान दिया,,1951 में यूनिट ने ऑपरेशन टॉम हॉक में अमेरिका की 187 एयरबोर्न रेजिमेंट के साथ भी हिस्सा लिया ,,


फिर से स्थापना.............

15 अप्रैल 1952 में पैरा शूट रेजिमेंट की बटालियन को एक बार से खड़ा किया गया,,
और पैरा शूट रेजिमेंट का रिकॉर्ड और डिपो उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थापित किया गया,और तीनों पैरा शूट बटालियन के नाम भी बदल दिए ।
1 पैरा बटालियन (पंजाब )
2 पैरा बटालियन(मराठा)
3 पैरा बटालियन(कुमाऊं)
तीनों बटालियन के सैनिकों के डॉक्यूमेंट्स उनकी पुरानी यूनिट से मथुरा रिकॉर्ड में मगवा दिए गए थे,l अब पैरा शूट रेजिमेंट के निशान को भी बदली कर दिया गया था,पैरा रेजिमेंट केलिए नया कैप और नए निशान 3 पैरा के कैप्टन एम एल तुली ने डिजाइन किया था,
सन् 1961 में पैरा शूट रेजिमेंट की चौथी बटालियन का गठन किया गया,जिसका नाम 4 पैरा बटालियन रखा गया,

इसके बाद पैरा शूट रेजिमेंट की ताक़त बढाने के लिए 1962 में 5 पैरा बटालियन और 1963 में 6 पैरा बटालियन,
1964 में 7 पैरा बटालियन को खड़ा किया गया,

9 पैरा की स्थापना कैसे हुई ..........

9 para sf
इमेज सोर्स गूगल 


1965 के भारत पाकिस्तान के युद्ध में ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स के मेजर मेघ सिंह राठौर के अधीन अगल अलग इन्फेंट्री बटालियन से वॉलंटियर (volunteers) सैनिक इक्कट्टा किए गए ,और एक दल बनाया गया ,जो मुश्किल टास्क को कर सके,,1965 के इस युद्ध में इस विशेष दल बहुत ही मुश्किल और खतरनाक अभियानों को अंजाम दिया,1965 के युद्ध के बाद इस दल को भंग कर दिया गया,और सभी सैनिकों को उनकी रेजीमेंट में वापस भेज दिया गया,लेकिन इसके बाद मेजर मेघ सिंह को ऐसे ही एक टुकड़ी बनाने का काम सौंपा गया,जिसके बाद 1 जुलाई 1966 को 9 पैरा बटालियन(कमांडो) की स्थापना की गई, उस समय इस बटालियन के अधिकतर सैनिक ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स के थे,एक साल के बाद सन 1967 में इस पैरा बटालियन को 2 भागो में बाट दिया गया,दूसरी बटालियन को 10 पैरा रेजिमेंट(कमांडो) का नाम दिया गया,

सन् 1979 में 1 पैरा रेजिमेंट को ब्रिटिश SAS को तरह बनाने के लिए इस दल को 3 साल की विशेष ट्रेनिंग पर रखा ,और ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 1 पैरा रेजीमेंट(कमांडो) का नाम बदल कर 1 पैरा रेजिमेंट ( स्पेशल फोर्स) कर दिया गया,

इसके बाद 9 पैरा ,और 10 पैरा के सैनिकों को भी यह 3 साल की ट्रेनिंग करवाई गई और 9 पैरा और 10 पैरा का नाम भी कमांडो से बदलकर स्पेशल फोर्स(विशेष बल) कर दिया गया,
सन् 1994 में 21 मराठा लाइट इन्फेंट्री बटालियन को भी पैरा रेजिमेंट में बदल दिया गया,और 1 फरवरी 1996में ट्रेनिंग के बाद 21 पैरा रेजिमेंट (स्पेशल फोर्स(विशेष बल) का नाम दिया गया,



1965 का भारत पाकिस्तान युद्ध.........

1965 में युद्ध में 1 पैरा रेजिमेंट ने हाजी पीर के दर्रे पर कब्जा करने के अभियान में मुख्य भूमिका निभाई ,, मेजर रण जीत सिंह दयाल के नेतृत्व में 1 पैरा ने सांक, सेर, लेदवाली गली ,और हाजी पीर पर कब्जा किया था,,जिसके लिए मेजर रण जीत सिंह दयाल को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था,,और 1 पैरा को 1965 के युद्ध में युद्ध सम्मान हाजी पीर और थियेटर सम्मान जम्मू कश्मीर दिया गया था,
balidan
इमेज सोर्स ssb क्रैक 



1971 का युद्ध.........

बांग्लादेश के भिभाजन के इस युद्ध में भी पैरा रेजीमेंट से अपना युद्ध कौशल दिखाया,और जम्मू ,पूंछ और भी अन्य इलाकों में लड़ाइयां लड़ी,,पैरा शूट रेजिमेंट की 2 पैरा ढाका में घुसने वाली पहली यूनिट थी,इस युद्ध भी पैरा शूट रेजिमेंट के जवानों को अनेक वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया,



पैरा रेजिमेंट का ट्रेनिंग सेंटर..........

पैरा रेजिमेंटल ट्रेनिंग सेंटर 15 जनवरी 1992 से बेगलेरू में स्थित है,,


para balidan
इमेज सोर्स गूगल 

पैरा रेजिमेंट की बटालियन ,,.........


1st पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स )"Red Devils"

2nd पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स )"Predators"

3rd पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स )Russell's Vipers"

4th पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स ) "Daggers"

5th पैरा बटालियन

6th पैरा बटालियन

7th पैरा बटालियन

9th पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स ) "Mountain Rats/Ghost Operators/Pirates"

10 th पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स )"Desert Scorpions"

11 th पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स )"Vipers"
12 th पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स )"Dirty Dozens"
13 th पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स )"Thunderbolts"
21 पैरा बटालियन
( स्पेशल फ़ोर्स )Waghnakhs"

23 पैरा बटालियन (2014 में 24 राजपूताना रेजिमेंट से 23 पैरा में कन्वर्ट की गई है

29 पैरा बटालियन (2014 में 29 राजपूत रेजिमेंट से 29 पैरा में कन्वर्ट हुई है

31 राष्ट्रीय राइफल्स

106 TA बटालियन


116 TA बटालियन


8 पैरा बटालियन का महर रेजिमेंट में विलय कर दिया गया था,सन 1976 में,,उसके बाद इस यूनिट को 12 मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री यूनिट में तब्दील किया गया,


पैरा रेजिमेंट के पास अवॉर्ड्स.....


अशोक चक्र............8

1. कैप्टन अरुण सिंह .9 पैरा एसएफ (1996)
2. मेजर सुधीर कुमार वालिया ,9 पैरा एसएफ (2000)
3. पैराट्रूपर संजोग छेत्री 9 पैरा एसएफ)2003
4. कैप्टन हर्षन आर 2 पैरा एसएफ (2007)
5. हवलदार गजेंद्र सिंह बिष्ट 10 पैरा एसएफ (2009 NSG)
6. हवलदार बहादुर सिंह बोहरा 10 पैरा एसएफ (2009)
7. मेजर मोहित शर्मा 1 पैरा एसएफ (2009)
8. लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी( 9 पैरा एसएफ
2016)


महावीर चक्र.......... 11

कीर्ति चक्र........... 13

वीर चक्र............61

शौर्य चक्र........ 53

सेना मेडल ........ 246
सेना मेडल बार .... 5

मेंशन इन डिस्पैच ........265

पैरा शूट रेजिमेंट मोटो.....शत्रुजीत


मार्च .... तुम भारत के वीर हो ,तुम अपने देश के रक्षक हो , तू अपनी हिम्मत बढ़ाए जा ,जाती भेद भाव को मिटाए जा,कदम बढ़ाए जा पीछे हटना काम नही आगे बढ़े जा,,


पैरा बटालियन के कुछ महत्वपूर्ण अभियान...........



1. ऑपरेशन मांधोल(operation mandhol)....

ऑपरेशन मांधोल 9 पैरा एसएफ के सैनिकों के द्वारा 1971 के युद्ध में चलाया गया एक अभियान है,,जिसमे 9 पैरा के सैनिकों को पाकिस्तानी तोप खाने की लोकेशन को नष्ट करना था,ये अभियान 13 दिसंबर 1971 की शाम को 5.30 को शुरू किया गया था,9 पैरा के कमांडो ने पुंछ नदी को पार किया और मांधोल गांव(पाकिस्तान में ) में पहुंचने के बाद तोप खाने को लोकेशन को तलाश किया, यहां पर दुश्मन की 6 तोप लगी हुई थी ,,जो भारतीय इलाको पर लगातार गोला बारी कर रही थी, तोप खाने की लोकेशन मिलने के बाद इस दल में अपनी टीम को 6 दलों में बाट लिया और हर एक दल को एक तोप नष्ट करनी थी,मौके पर 9 पैरा के सैनिकों ने दुश्मन पर हमला बोल दिया और ,दोनो तरफ से भारी गोलाबारी शुरू हो गई ,,इस गोलाबारी कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और कुछ भाग खड़े हुए,दो भारतीय सैनिक भी घायल हुए,,आखरी में 9 पैरा के कमांडो ने सभी 6तोपो को बर्बाद कर दिया और 14 दिसंबर की सुबह ही वापस गए,इस प्रकार ऑपरेशन मांधोल सफल हुआ,


2. चाचरो रेड.........

1971 के युद्ध में 10 पैरा एसएफ ने युद्ध के दौरान चाचरो, बीरा वाह और इस्लाम कोट में छापे मारे ,,युद्ध के समय 10 पैरा एसएफ पाकिस्तान के अंदर 80 किलोमीटर तक घुस गई थी,,और कई महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को बर्बाद कर दिया था,यह अभियान 5 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ,,जब 10 पैरा एसएफ के सैनिकों ने चाचरो में पाकिस्तानी रेंजर के मुख्यालय पर रेड मार कर उसे अपने कब्जे में लिया,,इस कार्यवाही में 17 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए ,और कुछ को बंदी बना लिया गया,,अभियान सफल होने के बाद चाचरो को इंडियन आर्मी की पैदल सेना के हवाले कर दिया गया,इस रेड में 10 पैरा एसएफ का कोई भी सैनिक हताहत नही हुआ था,


3. ऑपरेशन खुखरी..........

सन 2000 में 5/8 गोरखा राइफल्स के जवान जो सयुक्त राष्ट्र सेना में शामिल थे, और सिएरा लियोन में तैनात थे ,,223 गोरखा सैनिक जिनको रिवॉल्यूशनरी यूनाइटेड फ्रंट के विद्रोहियों ने धोखे से बंदी बना लिया था,अपने बंदी सैनिकों को विद्रोहियों से छुड़ाने के लिए 2 पैरा एसएफ के 90 पैरा ट्रूपर को न्यू दिल्ली से सिएरा लियोन के लिए रवाना किया गया ,इस दल का नेतृत्व मेजर हरिंदर सूद कर रहे थे,2 पैरा के सैनिकों ने विद्रोहियों (जिनकी संख्या 2000 से 2500 तक थी)
को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया,,जिसके कारण 5/8 गोरखा रेजीमेंट के बंदी सैनिकों को छुड़ा लिया गया,


ऑपरेशन पवन......

ऑपरेशन पवन जो श्रीलंका में चलाया गया था,,इस अभियान में भी इंडियन आर्मि की 5 पैरा ,ने भी हिस्सा लिया था,


ऑपरेशन कैक्टस..

सन 1988 में मालदीव में इंडियन पैरा रेजिमेंट को तरफ से एक अभियान चलाया गया जिसका नाम ऑपरेशन कैक्टस था,,इस अभियान में मालदीव सरकार को बचाने के लिए इंडियन पैरा कमांडो को वहा भेजा गया था,,6 पैरा और 7 पैरा के जवानों ने इस अभियान में हिस्सा लिया था और बहुत ही अच्छे तरीके से अभियान को पूरा भी किया था,,


इसके बाद भी आज के समय तक पैरा रेजिमेंट के सभी बटालियन भारत देश की सुरक्षा में लगी है और हर समय हमारी सीमाओं की सुरक्षा करती है,
इसके अलावा भी इंडियन पैरा बटालियन के द्वारा हर समय अभियान चलाए जाते है ,,
ऑपरेशन इन म्यांमार,2015,सर्जिकल स्ट्राइक 2016 इसमें मुख्य है ,जम्मू काश्मीर के इलाकों में इंडियन पैरा रेजिमेंट हमेशा तैनात रहती है,,

महेंद्र सिंह धोनी भी पैरा शूट रेजिमेंट का हिस्सा है ,महेंद्र सिंह धोनी को 1 नवंबर 2011 को 106 TA बटालियन(पैरा) में आन्रेरी कमीशन दिया गया था,

पैरा स्पेशल फोर्सेज में जाने के लिए सैनिकों को एक कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है,,जो की बहुत ही मुश्किल ट्रेनिंग होती है,,इस ट्रेनिंग का पास रेशों 10 % है, अगर किसी बैच में 100 जवान पैरा ट्रेनिंग के लिए आए है तो उसमे से 10 सैनिक ही पैरा ट्रेनिंग को पूरा कर पाते है,
तो दोस्तो ये थी पैरा रेजीमेंट के बारे में थोड़ी से जानकारी ,,अगर आपके कोई सुझाव हो तो जरुर कमेन्ट करे

जय हिन्द 














एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ