सर्वोच्‍च बलिदान देने वाले लेफ्टिनेंट नवदीपकी जीवनी

12 आतंकियों को मौत के घाट उतार देश के लिए सर्वोच्‍च बलिदान दे गए लेफ्टिनेंट नवदीप

लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह(अशोक चक्र)

लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह(अशोक चक्र)
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        जय हिन्द दोस्तों सैनिक जीवन कितना मुश्किल होता है ,इसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता,एक सैनिक ही इसको समज सकता है ,जब पढने की उम्र होती है तब हम सेना में भर्ती हो जाते है ,जब खेलने कूदने की उम्र होती है उस समय ट्रेनिंग के समय एक दो एक कर रहे होते है.,और उस्ताद के डंडो का सामना कर रहे होते है ,इसके बाद जब  लाइफ को एन्जॉय करने की बारी होती है तो उस समय हम कई दूर बॉर्डर पर घनी अँधेरी रात में ड्यूटी कर रहे होते है ,जब इश्क करने  की उम्र होती है उस समय हम किसी आतंकी की गोलियों का सामना कर रहे होते है ,और जिस समय प्रेम के बंधन में  बंधने की बारी आती है उस समय एक सैनिक तिरंगे में लिपटकर घर आता है ,मित्रो इस द्रश्य को आप अपने मन में कल्पना करे और सोचे की हमारे सैनिक हमारे लिय क्या कुछ कर जाते है ,अरे भाई जी पेमेंट तो एक नेता भी लेता है ,वो क्यों नही शहीद हो जाता,इसलिये दोस्तों आगर आपके आस पास कोई सैनिक परिवार है तो उनका सम्मान करे ,क्युकी एक सैनिक होना आसन नही होता ,और एक सैनिक का परिवार होना उससे भी मुस्किल होता है .आज फौजी नामा किम इस कड़ी में आपके सामने  एक ऐसे ही वीर सैनिक की कहानी ले कर आया हु जिन्होंने बहुत छोटी सी उम्र में देश के लिये अपना सर्वोच्च बलिदान दिया 
लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह(अशोक चक्र)
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     लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह का जन्म पंजाब के गुरदासपुर में 08 जून 1985 में हुआ था,इनके पिता का नाम श्री जोगिंदर सिंह और माता का नाम जतिंदर कौर है,इनके पिता श्री जोगिंदर सिंह भी indian armyमें थे ,वे बंगाल इंजीनियर्स में सूबेदार मेजर के पद पर तैनात थे,नवदीप कि शुरुवाती शिक्षा आर्मी स्कूल में हुई,उसके बाद नवदीप ने कोलकाता से एम बी ए की डिग्री हासिल की,नवदीप ने सन 2010 में सी डी एस की परीक्षा पास की और ओ टी ए  चेन्नई में अपनी ट्रैनिंग शुरू की,ट्रैनिंग पूरी करने के बाद नवदीप को ए ओ सी कोर में बतौर लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया,नवदीप की पहली पोस्टिंग 15 मराठा लाइट इन्फैंट्री में की गई ,ये यूनिट जम्मू कश्मीर के गुरेज सैक्टर में तैनात थी, लेफ्टनेंट नवदीप को घातक प्लाटून का कमांडर नियुक्त किया गया,(घातक प्लटून इन्फैंट्री यूनिट का एक विशेष दल होता है,इस दल में यूनिट के चुने हुए जवान होते हैं ,जो कि हर प्रकार के ऑप्रेशन करने के लिए,
सक्षम होते है)
19 अगस्त 2011में सेना को खुफिया एजेंसियों के द्वारा जानकारी मिली की 15 से 20 खूंखार आतंकी गुरेज सैक्टर से भारतीय सीमा में घुसने के प्रयास में है,इस प्रयास को विफल करने के लिए15 मराठा ने एक दल नियुक्त किया ,इस दल की अगुवाई  लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह कर रहे थे,जल्द ही इनकी टुकड़ी निकल गई और आतंकवादियो को खोजने का कार्य शुरू कर दिया,जल्द ही आतंकियों से दल  का आमना सामना हो गया,और दोनों तरफ से भयानक गोला बारी शुरू हो गई थी,नवदीप सिंह ने असीम साहस का परिचय देते हुए 03 आतंकियो को  शुरुवाती मुद्दभेड में ही मार गिराया ,परन्तु लेफ्टिनेंट नवदीप के सर में भी गोली लग गई और वे जख्मी हो गए,जख्मी होने के बावजूद  भी लेफ्टिनेंट ने गोला बारी जारी रखी,और एक अन्य आतंकी को भी ढेर कर दिया ,लेफ्टिनेंट नवदीप ने अपनी जान और अपने ज़ख्म की परवाह ना करते हुए अपने दल का नेतृत्व किया,बल्कि अपनी राइफल से आतंकियो पर लगातार फायर भी करते रहें इस घमासान में 12 आतंकी मारे गए,
                               परन्तु सर में गोली लगने के कारण ,और अत्याधिक मात्रा में रक्त बह जाने के कारण लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह भी वीरगति को प्राप्त हो गए,नवदीप सिंह केवल 26 साल की उम्र में शहीद हो गए।

लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह को उनके असाधारण साहस, उत्कृष्ट नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान के लिए  "अशोक चक्र"मरणोपरांत दिया गया। जो कि उनके पिता सूबेदार मेजर जोगिंदर सिंह ने लिया,
 उनकी माता ने कहा ""कि उनको गर्व है कि वो एक सैनिक की मां हैं"
ऐसे देश प्रेम को सलाम हैं, नमन है जय हिन्द
 
ऐसे वीर सैनिक की कहानियों को लिख कर मुझे पुष्प की अभिलाषा याद आती हैं,किसी कवि ने क्या खूब लिखा है
जिसमें एक पुष्प भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि ,मुझे ये इच्छा नहीं है कि मैं किसी सुंदरी के गहनों में गूंथा जाऊं,मुझे ये भी इच्छा नहीं है की किसी प्रेमी युगल की माला में जोड़ा जाऊं,ऐसे तमाम प्रकार की खुशी से पुष्प दूर होकर, यहां तक  पुष्प भगवान को  अर्पित होने में भी माना कर रहा है ,पुष्प
कहता है कि हे वनमाली मुझे तोड़ के उस रास्ते पर फेक देना
जिस रास्ते पर अनेक सैनिक,युद्ध के लिए जा रहे हो ,पुष्प उन
सैनिकों के पैरो में गिर कर अपने जीवन को उनको  समर्पित
करना चाहता है,,
                      
तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन भी समर्पित फिर भी सोचता हु मेरे देश तुझे और क्या दु '

जय हिन्द , जय जवान,


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